सीमावर्ती इलाकों में स्थानीय लोगों के पलायन को रोकने और टूरिज्म के जरिए आजीविका प्रदान करने के लिए भारतीय सेना ने चीन-नेपाल ट्राई-जंक्शन एक और होमस्टे शुरु किया है. इस पहल का उद्देश्य कुमाऊं क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना है ताकि वे अपने क्षेत्र के विकास में योगदान कर सकें.
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में सेना का दूसरा होमस्टे शुरु
ये होमस्टे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गर्ब्यांग गांव में ऑपरेशन सद्भावना के तहत शुरू की गई है, जो भारत सरकार के वाईब्रेंट विलेज कार्यक्रम के अनुरूप है. इस क्षेत्र में सेना द्वारा स्थानीय लोगों के लिए शुरु किया गया ये दूसरा होमस्टे हैं. पिछले वर्ष अक्टूबर में भी कालापानी इलाके में एक टेंट होमस्टे शुरु किया गया था (चीन नेपाल Tri-Junction पर सेना का तंबू, होमस्टे टूरिज्म को बढ़ावा).
पिथौरागढ़ में है कालापानी इलाका, जिसे नेपाल ने दिखाया अपने मैप में
दरअसल, पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग पर पड़ने के साथ ही पिथौरागढ़ जिले में ही विवादित कालापानी इलाका है, जिसे नेपाल ने अपने नक्शे में दिखाना शुरु कर दिया है. साथ ही चीन के साथ भी सीमा-विवाद रहा है. ऐसे में सीमावर्ती दूर-दराज के इलाकों से स्थानीय लोगों का पलायन रोका जा सके और पर्यटकों को यहां लाया जा सके, इसके लिए ही सेना ने ये पहल की है.
एलएसी पर चीन बसा रहा है मिलिट्री-विलेज
खास बात ये है कि चीन भी भारत से सटी सीमा (वास्तविक निंयत्रण रेखा यानी एलएसी) पर मिलिट्री विलेज बसा रहा है, जहां पूर्व-फौजियों को लाकर बसाया जा सकता है. युद्ध के समय में इन गांवों को सैनिकों के बैरिक में बदला जा सकता है. ऐसे में भारतीय सेना के ये होमस्टे, एक तरह से चीन के मिलिट्री विलेज का काट कर सकते हैं.
सेना के इस होमस्टे को गर्ब्यांग ग्राम समिति द्वारा संचालित किया जाएगा, जहां महज 1000 रूपये में टेंट में रूका जा सकता है. इस क्षेत्र में पर्यटन के लिहाज से कई पवित्र मंदिर कुंड और गुफाएं हैं. ऐसे में ये क्षेत्र टूरिज्म के लिए आर्कषण का केंद्र बन सकता है.