ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अगर पाकिस्तान ने युद्ध खींचने की जुर्रत की होती, तो पूरी तरह बर्बाद हो चुका होता. क्योंकि थलसेना और वायुसेना के हमले के बाद भारतीय नौसेना भी अरब सागर के जरिए हमला करने के लिए तैयार थी. ये खुलासा खुद सेना ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (यूएनपीकेएफ) में हिस्सा लेने वाले देशों के आर्मी चीफ की मौजूदगी में किया है.
भारतीय सेना ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में हिस्सा लेने वाले देशों के आर्मी चीफ को दिया प्रेजेंटेशन
राजधानी दिल्ली में चल रहे तीन दिवसीय (14-16 अक्टूबर) चीफ कॉन्क्लेव के दौरान, भारतीय सेना के डिप्टी चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने यूएनपीकेएफ देशों के आर्मी चीफ और टॉप मिलिट्री कमांडर्स की मौजूदगी में ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ा एक ऑडियो-वीडियो प्रेजेंटेशन दिया और इस दौरान भारत की सैन्य तैयारियों की जानकारी दी. ले.जनरल घई ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान थलसेना और वायुसेना के साथ ही नौसेना भी पूरी तरह तैयार थी. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, ले.जनरल घई, डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स) के पद पर तैनात थे. पाकिस्तानी डीजीएमओ ने ले.जनरल घई को ही फोन कर जंग रूकवाने की मिन्नत की थी.
पाकिस्तान ने अगर युद्ध खींचा होता, चल जाता भारतीय नौसेना का ब्रह्मास्त्र
उपसेना प्रमुख ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर की रिहर्सल के वक्त, नौसेना को भी पाकिस्तान में हमले के कोऑर्डिनेट्स साझा किए थे. लेकिन आतंकी ठिकानों और पाकिस्तानी वायुसेना के एयरबेस को तबाह करने के बाद भारत ने अपना उद्देश्य पूरा कर लिया था और जंग रोक दी थी. अगर पाकिस्तान ने युद्ध को बढ़ाने की जुर्रत की होती तो, नौसेना भी ऑपरेशन सिंदूर में शामिल हो सकती थी, जो पाकिस्तान की बर्बादी का कारण बनता.
चीफ कॉन्क्लेव में जुटे 30 देशों के सेना प्रमुख और वाइस चीफ
चीफ कॉन्क्लेव में 30 से ज्यादा देशों के सेना प्रमुख, वाइस चीफ और वरिष्ठ सैन्य कमांडर हिस्सा ले रहे हैं. इन देशों में भूटान, बुरुंडी, इथोपिया, फिजी, फ्रांस, घाना, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, मंगोलिया, पौलेंड, श्रीलंका, तंजानिया, उगांडा, उरुग्वे, वियतनाम शामिल हैं, अल्जीरिया, आर्मेनिया, बांग्लादेश, ब्राजील, कम्बोडिया, इटली, नेपाल, कीनिया, रवांडा, सेनेगल, ऑस्ट्रेलिया, इजिप्ट (मिस्र), मलेशिया, मोरक्को, नाइजीरिया, थाईलैंड और मेडागास्कर शामिल है. (अमेरिका-पाकिस्तान पर राजनाथ का वार, 30 देशों के सेना प्रमुख थे मौजूद)
अब बर्दाश्त नहीं पाकिस्तान के आतंकी हमले: लेफ्टिनेंट जनरल घई
डिप्टी चीफ ने जम्मू कश्मीर में आतंक के इतिहास और पाकिस्तान की अहम भूमिका को लेकर विस्तृत जानकारी दी और बताया कि 2001 के संसद हमले, उरी अटैक और पुलवामा (2019) के बाद भी भारत ने संयम रख कर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की थी. लेकिन पहलगाम हमले से भारत के सब्र का बांध टूट गया और इस बार पाकिस्तान को न भूलने वाला सबक सिखाया.
ले.जनरल घई ने पाकिस्तान में 09 आतंकी ठिकाने और 11 एयरबेस पर हुए हमलों के वीडियो और तस्वीरें भी अपने प्रेजेंटेशन में साझा किए. साथ ही 88 घंटे के ऑपरेशन में पाकिस्तानी वायुसेना के फाइटर जेट, टोही विमान, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को हुए नुकसान की जानकारी भी दी. लेकिन बताया कि इस दौरान ये ध्यान रखा गया कि पाकिस्तान को ‘कोलेट्रल डैमेज’ यानी सामान्य लोगों को नुकसान न पहुंचाया जाए.
पीएम मोदी के निर्देश पर बदली आतंकवाद के खिलाफ नीति
भारतीय सेना ने यूएन शांति सेना को ये भी बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी के निर्देश पर अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने आतंकवाद को लेकर अपनी नीति बदल दी है. अब आतंकी घटनाओं को युद्ध की तरह देखा जाएगा और न्यूक्लियर ब्लैकमेल के आगे भारत नहीं झुकेगा. साथ ही आतंक को अंजाम देने वालों और आतंक का समर्थन करने वालों में कोई अंतर नहीं माना जाएगा.