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काबुल पर दिल्ली का कंट्रोल, बौखलाए पाकिस्तान का बेतुका बयान

अफगानिस्तान को खुले युद्ध की गीदड़भभकी देने वाले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ अपने आंतरिक हालातों को न देखकर भारत को कोसने में लगे हुए हैं. आईएसआईएस, लश्कर, जैश के आतंकियों को पनाह देने और ट्रेनिंग देने वाले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री बिना सिर पैर की बातें कर रहे हैं. 

ख्वाजा आसिफ का कहना है कि इस्तांबुल में तालिबान-पाकिस्तान के बीच वार्ता विफल होने के पीछे भारत है. जबकि ऐसी रिपोर्ट सामने आई थी कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कराने वाले तुर्किए और कतर भी पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की बातें सुनकर हैरान थे.

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का विवादित बयान, अफगानिस्तान को बताया भारत की कठपुतली

तुर्किए में तालिबान के साथ हुई तीन राउंड की वार्ता फेल होने के बाद पाकिस्तान का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है. एक और तो देश के अंदर विद्रोह की चिंगारी भड़की हुई है, तो वहीं खैबर-बलूचिस्तान जैसे इलाकों में बीएलए के लड़ाके पाकिस्तानी सेना को शिकस्त देने में जुटे हुए हैं. अपने आतंरिक हालातों को निपटाने की जगह पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत पर वार्ता सफल न होने का ठीकरा फोड़ा है.

ख्वाजा आसिफ ने मंगलवार को कहा कि “अफगानिस्तान के साथ समझौता होने ही वाला था, लेकिन अफगान वार्ताकारों ने काबुल से बातचीत की और समझौते से पीछे हट गए.”

ख्वाजा आसिफ ने आरोप लगाया कि “समझौते से पीछे हटने के पीछे काबुल में बैठे लोग हैं, जिन्हें दिल्ली कंट्रोल कर रही है.”

अफगान के पास अधिकार नहीं, दिल्ली ने पैठ मजबूत की: ख्वाजा आसिफ

ख्वाजा आसिफ ने कहा, “जब भी हम किसी समझौते के करीब पहुंचे, चाहे पिछले चार दिनों में हो या पिछले सप्ताह, जब वार्ताकारों ने काबुल को रिपोर्ट किया, तो हस्तक्षेप हुआ और समझौता वापस ले लिया गया. समझौता हो गया था, लेकिन काबुल को फोन करने के बाद वार्ताकार डील से पीछे हट गए. काबुल में तार खींचने वाले और कठपुतली शो मंचित करने वाले लोगों को दिल्ली कंट्रोल कर रही है. अफगान सरकार के पास अधिकार की कमी है क्योंकि दिल्ली ने पैठ बना ली है.”

ये है वार्ता असफल होने की असल वजह, अमेरिका संग ड्रोन समझौता तालिबान को अखरा 

इस्तांबुल में तीसरे राउंड की वार्ता के दौरान पाकिस्तानी डेलिगेशन ने अफगान पक्ष से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के साथ बातचीत में शामिल होने को कहा. पाकिस्तान ने बातचीत में कहा, टीटीपी से संबंधित अभियानों के दौरान अफगान क्षेत्र के अंदर हमले करने के पाकिस्तान के ‘अधिकार’ को मान्यता दी जाए. 

लेकिन अफगान डेलिगेशन अपने रुख पर अडिग रहा कि टीटीपी का मुद्दा पाकिस्तान का आंतरिक मामला है, न कि अफगानिस्तान की समस्या. तालिबान ने एक बार फिर से कहा, कि किसी दूसरे देश को नुकसान पहुंचाने के लिए अफगान मिट्टी का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. 

तालिबान ने मीटिंग में ये भी कह दिया है कि पाकिस्तान के किसी भी हमले का जवाब दिया जाएगा और अगर अफगानिस्तान की जमीन पर बमबारी की गई, तो “इस्लामाबाद को निशाना बनाया जाएगा.”

बताया जा रहा है कि तालिबान के प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तानी डेलीगेशन से यह गारंटी मांगी कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन नहीं करेगा. साथ ही अमेरिकी ड्रोन को पाकिस्तानी क्षेत्र और हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति भी नहीं देगा. लेकिन तालिबान की इस मांग पर पाकिस्तानी डेलीगेशन ने साफ साफ मान लिया कि उन्होंने अमेरिका के साथ ऐसा समझौता किया है. 

दावा ये किया जा रहा है कि पहले पाकिस्तानी डेलीगेशन ने तालिबान की बात मान ली थी और सकारात्मक रवैया था. लेकिन इस बीच पाकिस्तानी डेलीगेशन के पास आए एक कॉल के बाद बातचीत का पूरा रुख ही बदल गया. पाकिस्तान ने कह दिया कि अमेरिकी ड्रोन पर उनका नियंत्रण नहीं है. बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी डेलीगेशन के इस रूख से मध्यस्थ कतर और तुर्किए भी असंतुष्ट थे.

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