चीन के साथ भले ही राजनयिक संबंध एक बार फिर से पटरी पर लौट रहे हैं लेकिन लेकिन हिंद महासागर में भारतीय नौसेना पूरी तरह अलर्ट है और चीनी नौसेना के सभी रिसर्च वेसल पर पैनी नजर रखे हुए हैं. साथ ही नौसेना ने अगले वर्ष फरवरी में होने वाली इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू (आईएफआर) आयोजन में चीन के निमंत्रण को लेकर कोई फैसला नहीं किया है.
शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में आईएफआर की कर्टन रेजर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भारतीय नौसेना के वाइस चीफ (सह-प्रमुख) वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने साफ किया कि “जितने भी जहाज हिंद महासागर में दाखिल होते हैं, और जब तक निकल नहीं जाते हैं, इंडियन नेवी पूरी तरह मॉनिटर करती है.”
भारत के मिसाइल परीक्षण की जासूसी के लिए हिंद महासागर आते हैं चीनी जहाज
इस सवाल के जवाब में कि भारत के मिसाइल टेस्ट की जासूसी करने के लिए चीन की पीएलए-नेवी के टोही जहाज हिंद महासागर में आते हैं, एडमिरल वात्सायन ने कहा कि हम पूरी तरह इन घटनाओं से वाकिफ हैं और ‘एक्स्ट्रा’ क्षेत्रीय शक्तियों के जहाज पर नजर रहती है.
अमेरिकी जहाज चिंता का विषय नहीं
वाइस एडमिरल ने हालांकि, इसी महीने अमेरिका के एक रिसर्च वेसल के मालदीव में आने की खबर को चिंता का विषय नहीं बताया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद भारतीय नौसेना के डीजी (ऑपरेशन्स) वाइस एडमिरल एन प्रमोद ने बताया कि अमेरिकी जहाज, स्पेस मॉनिटरिंग के लिए हिंद महासागर में दाखिल हुआ था और भारत की मिसाइल टेस्ट से कोई लेना-देना नहीं था.
दरअसल, इसी महीने के शुरुआत में भारत ने एक लंबी दूरी की मिसाइल टेस्ट के लिए नोटम (नोटिस टू एयरमैन) जारी किया था. इस मिसाइल टेस्ट की दूरी को एक हफ्ते में तीन बार बढ़ाया गया था. लेकिन उसी दौरान चीन और अमेरिका के रिसर्च वेसल हिंद महासागर में पहुंच गए. ऐसे में कयास लगाए जाने लगे थे कि चीन के बाद अब क्या अमेरिका भी भारत की मिसाइलों का जासूसी करने लगा है. लेकिन भारतीय नौसेना ने इन सभी कयासों पर विराम लगा दिया है.
नवंबर के आखिरी हफ्ते में अमेरिका के साथ मालाबार एक्सरसाइज
वाइस चीफ ने ये भी बताया कि अगले महीने (नवंबर) के आखिरी हफ्ते में भारतीय नौसेना, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेना के साथ साझा एक्सरसाइज मालाबार में हिस्सा लेने जा रही है. ये एक्सरसाइज इस वर्ष अमेरिका के जिम्मेदारी-क्षेत्र गुयाम (प्रशांत महासागर) में होने जा रही है.
अगले वर्ष फरवरी में इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू, चीन को निमंत्रण नहीं
वाइस एडमिरल वात्स्यायन ने बताया कि आईएफआर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भारतीय नौसेना और मित्र-देशों के जंगी बेड़ों की समीक्षा करेंगी. विशाखापट्टनम से सटी बंगाल की खाड़ी में आईएफआर को 18 फरवरी 2026 को आयोजित किया जा रहा है. दस वर्ष में एक बार होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय मेरीटाइम आयोजन में रूस और अमेरिका सहित कुल 55 देशों की नौसेनाएं हिस्सा ले रही हैं. इस सवाल पर कि क्या चीन की नौसेना को भी इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है, वाइस एडमिरल ने कोई साफ-साफ जवाब नहीं दिया. ऐसे में इस बात की संभावना है कि चीनी नौसेना को आईएफआर के लिए निमंत्रण नहीं भेजा गया है. (रफाल के बाद अब नौसेना की बारी, राष्ट्रपति करेंगी इंटरनेशल फ्लीट का रिव्यू)
खास बात है कि वर्ष 2016 में हुए आईएफआर में चीनी नौसेना को निमंत्रण भेजा गया था और पीएलए-नेवी के अधिकारियों ने शिरकत भी की थी. लेकिन पिछले दस वर्षों में डोकलाम विवाद और गलवान घाटी की झड़प के बाद से चीन के साथ सैन्य संबंधों में जबरदस्त खटास आ गई है. पाकिस्तान को भारत के खिलाफ उकसाने के कारण भी संबंध सामान्य नहीं हैं. (https://x.com/indiannavy/status/1984245994612040109)
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव हुआ कम, लेकिन भरोसे में लगेगा वक्त
पूवी लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन की सेनाएं तनाव खत्म करने के लिए तैयार हो गई हैं. इस बाबत पिछले वर्ष (2024) में दोनों देशों की सेनाओं ने डिसएंगेजमेंट करार भी किया था और विवादित इलाकों से सैनिकों को पीछे भी हटा लिया था. पिछले हफ्ते ही दोनों देशों के कोर कमांडर्स ने विवाद खत्म करने के लिए 24वीं बार बैठक भी की थी. लेकिन हिंद महासागर में भारतीय नौसेना फूंक-फूंक कर कदम रख रही है.

