सूडान में किडनैप हुए भारतीय आदर्श बेहरा को अभी तलाशा ही जा रहा था कि पश्चिमी अफ्रीकी देश माली में भी 05 भारतीयों को अपहरण कर लिया गया है. सशस्त्र हमलावरों ने भारतीयों को कोबरी इलाके के पास तब अगवा किया जब वे एक स्थानीय बिजली परियोजना पर काम कर रहे थे. भारतीयों की किडनैपिंग के बाद दूसरे लोगों में दहशत है.
अलकायदा और आईएस के आतंकी संगठनों का कोहराम
शनिवार को माली की बिजली कंपनी के अधिकारियों ने भारतीयों के अपहरण की पुष्टि की है. अधिकारियों की ओर से कहा गया है कि भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कंपनी ने बाकी भारतीयों को राजधानी बामाको भेज दिया है.
अभी तक किसी संगठन ने भारतीयों की किडनैपिंग की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन इलाके में अलकायदा और आईएसआईएस से जुड़े आतंकी संगठन सक्रिय हैं. माना जा रहा है कि उन्हीं सशस्त्र आतंकियों ने भारतीयों को अगवा किया है.
अल-कायदा से जुड़े आतंकी संगठन जमात नुसरत अल-इस्लाम वल मुस्लिमीन (जेएनआईएम) ने हाल के महीनों में अपनी पकड़ और मजबूत की है. हाल ही में इस संगठन ने ईंधन पर नाकेबंदी लगा दी थी, जिससे पहले से जूझ रही माली की अर्थव्यवस्था और बिगड़ गई है.
माली में बढ़ी अस्थिरता, किडनैप किए गए लोगों की तलाश
माली पिछले कई वर्षों से इस्लामिक आतंकवाद और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है. 2012 से माली में विद्रोह जारी है, बार-बार हुए सैन्य तख्तापलट और आतंकवादी हमलों के कारण देश की शासन व्यवस्था को नाजुक हालात में है.
इसी साल सितंबर में अलकायदा के संगठन के आतंकियों ने दो अमीराती और एक ईरानी नागरिक का अपहरण किया था, जिन्हें 50 मिलियन डॉलर की फिरौती के बाद रिहा किया गया था.
ये ग्रुप उत्तरी माली से बढ़कर देश के मध्य और पड़ोसी देशों बुर्किना फासो और नाइजर तक फैल चुका है.
भारतीय विदेश मंत्रालय और माली सरकार इस ताजा घटना की जांच में जुट गई है. भारतीय अधिकारी लगातार माली सरकार से संपर्क में जुटी हुई है. अपहरण किए गए भारतीयों की सुरक्षित वापसी के प्रयास तेज किए जा रहे हैं.
फ्रांस-अमेरिका से दूरी, रूस से माली सरकार ने बनाई नजदीकी
माली की सैन्य सरकार ने फ्रांस और अमेरिका से दूरी बनाकर रूस से करीबी बढ़ाई है. फ्रांस ने साल 2013 में माली में इस्लामी चरमपंथियों से लड़ने के लिए ऑपरेशन सर्वाल (बाद में बरखाने) शुरू किया था, शुरुआती सफलताएँ मिलीं, लेकिन एक दशक के बाद भी सुरक्षा स्थिति खराब होती गई, जिसके बाद माली की सैन्य सरकार में यह धारणा बनी कि फ्रांसीसी हस्तक्षेप प्रभावी नहीं है.
माली की वर्तमान सैन्य सरकार ने अगस्त 2020 और मई 2021 के तख्तापलट के बाद फ्रांस पर अपनी संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. माली ने फ्रांसीसी सेना की गतिविधियों को एकतरफा और अपने अनुरोधों की अनदेखी बताते हुए रक्षा समझौतों को समाप्त कर दिया.
फ्रांस और अमेरिका से तल्खी के बाद, माली ने रूस के साथ अपने संबंध मजबूत किए और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए रूसी वैगनर समूह के भाड़े के सैनिकों को देश में तैनात कर दिया, लेकिन आए दिन किडनैपिंग और आतंकी हमलों के सामने प्रशासन पस्त नजर आ रहा है.

