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पुतिन दौरा: अमेरिका को नहीं होगी आपत्ति

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दौरे से भारतीय नौसेना की मिलिट्री डिप्लोमेसी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि अमेरिका जैसे देश एक दूसरे की जरूरतों को समझते हैं. ये मानना है देश के नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी का.

मंगलवार को एडमिरल त्रिपाठी राजधानी दिल्ली में वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नेवी चीफ से रुस के साथ सामरिक संबंधों पर सवाल किया गया था. हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के साथ भारत के रक्षा संबंधों पर आपत्ति दर्ज कराई है. इसके अलावा, अमेरिका के साथ भी भारत के तल्ख संबंध सामने आए हैं, जबकि भारत, अमेरिका से भी बड़ी मात्रा में हथियार खरीदता है.

इस सवाल के जवाब में एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि “भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता पर गर्व है और हमारे देश के उच्चतम नेतृत्व ने एकदम स्पष्ट किया है. हमारी सभी देशों के साथ सभी मुद्दों पर सहमति बनाने की क्षमता है. मुझे ऐसा लगता है कि सभी देश पर्याप्त परिपक्व हैं एक दूसरे की जरूरतों को समझने के लिए.”

मिलिट्री डिप्लोमेसी बेहद महत्वपूर्ण: एडमिरल त्रिपाठी

नौसेना प्रमुख ने बताया कि भारत के लिए “मिलिट्री डिप्लोमेसी बेहद महत्वपूर्ण है. हमारे देश के सैनिक दूसरे देश (रूस, अमेरिका) जा रहे हैं एक्सरसाइज में हिस्सा लेने के लिए. हमारा सीनियर (राजनीतिक) नेतृत्व भी इन देशों की यात्रा कर रहा है, हमें हथियार और दूसरे सैन्य उपकरण भी इन देशों से मिल रहे हैं. ऐसे में हम अपने सभी विदेशी साझेदारों के साथ मिलकर चलने में सक्षम हैं.”

भारत और रुस की है सामरिक साझेदारी

वर्ष 2000 से भारत और रूस के बीच सामरिक पार्टनरशिप है, जिसे 2010 में स्पेशल और प्रिविलेज स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप में तब्दील कर दिया गया था. पुतिन के दौरे से पहले, भारत ने रूस से परमाणु पनडुब्बी लीज पर लेना का करार भी किया है. जंगी जहाज से लेकर सुखोई और मिग-29के फाइटर जेट और मी-17 हेलीकॉप्टर से लेकर एस-400 मिसाइल तक, रूस ने भारत को मुहैया कराए हैं.

अमेरिका से भी हथियार खरीदता है भारत

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कई बार सार्वजनिक तौर से भारत और रुस के रक्षा संबंधों पर सवाल खड़े किए हैं. जबकि, भारत ने अमेरिका से पी8आई टोही विमान से लेकर एमक्यू-9 रीपर ड्रोन और एमएच-60आर हेलीकॉप्टर लिए हैं. स्वदेशी एलसीए तेजस के एविएशन इंजन में अमेरिका से देरी से मिलने को लेकर भी सामरिक जानकार, रूस से भारत के संबंधों को बड़ा कारण मानते हैं.

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