पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर इसलिए संभव हो सका, क्योंकि बॉर्डर एरिया में भारत की कनेक्टिविटी बेहद मजबूत थी. साथ ही सीमावर्ती इलाकों से भी भारत का सपंर्क था. ये मानना है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का.
रविवार को रक्षा मंत्री, लेह (लद्दाख) में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के सीमावर्ती इलाकों में 125 प्रोजेक्ट का एक साथ वर्चूयली उद्घाटन कर रहे थे. इसमें, चीन सीमा से सटे पूर्वी लद्दाख में श्योक टनल (सुरंग) का उद्घाटन भी शामिल था.
श्योक टनल का बताया सामरिक महत्व
गलवान घाटी के करीब डुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) रोड पर 920 मीटर लंबी श्योक सुरंग का निर्माण, सामरिक महत्व रखता है.
राजनाथ सिंह के मुताबिक, दुनिया के सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण इलाके में निर्मित यह इंजीनियरिंग को एक नायाब तोहफा, इस सामरिक क्षेत्र में, ऑल वेदर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा. इसके अलावा यह टनल, भारी बर्फबारी, बर्फीली तूफान और विपरीत तापमान वाले इस क्षेत्र में, सुरक्षा, मोबिलिटी और विशेषकर सर्दियों के मौसम में तेजी से तैनाती को भी कई गुना बढ़ेगी.
लद्दाख में श्योक टनल के साथ-साथ जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में भी, अन्य परियोजना राष्ट्र को समर्पित की गई हैं. लगभग 5,000 करोड़ रुपये की लागत से पूरे हुए ये 125 प्रोजेक्ट्स, बीआरओ के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा उद्घाटन समारोह था.
इंफ्रास्ट्रक्चर जुड़ा है कम्युनिकेशन और शांति से
राजनाथ सिंह ने कहा कि यदि मैं हमारी सेनाओं से मिलने, देश के किसी भी कोने में पहुंच जाता हूँ, तो यह मजबूत कम्युनिकेशन और कनेक्टिविटी की वजह से ही संभव हो पाता है. जैसा कि मैंने पहले कहा था, कम्युनिकेशन को सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. यह बहुत व्यापक शब्द है. कम्युनिकेशन, समाज की शांति, सद्भाव और समझदारी के लिए भी जरूरी है.
रक्षा मंत्री के मुताबिक, सीमावर्ती इलाकों में जो सड़कें बनती हैं, वो सिर्फ सड़क भर नहीं होते, बल्कि सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, आर्म्ड फोर्सेज की मोबिलिटी और प्राकृतिक आपदा के लिए भी लाइफ-लाइन जैसे होती हैं.
ऑपरेशन सिंदूर में जितना आवश्यक था, उतना सबक सिखाया
राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि “हमारी सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) ने आतंकियों का क्या हश्र किया, यह दुनिया जानती है. वैसे करने को तो हम बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन हमारी सेनाओं ने पराक्रम के साथ-साथ धैर्य का भी परिचय देते हुए, उतना ही किया जितना आवश्यक था.”
रक्षा मंत्री के मुताबिक, “इतना बड़ा ऑपरेशन इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि हमारी कनेक्टिविटी मजबूत थी. हमारी आर्म्ड फोर्सेज के पास, सही समय पर लॉजिस्टिक को पहुँचाया जा सका. बॉर्डर एरिया के साथ भी हमारी कनेक्टिविट बनी रही. जिसने ऑपरेशन सिन्दूर को ऐतिहासिक सफलता दी.”
सीमावर्ती इलाकों में बढ़ेगा टूरिज्म और लोकतंत्र के प्रति विश्वास
राजनाथ सिंह ने बताया कि इस तरह के इंफ्रास्ट्रक्टर से एक तो यह हमारी आर्म्ड फोर्सेज की मोबिलिटी को बढ़ावा. दूसरा, जब भी जरूरत पड़ेगी, लॉजिस्टिक को बहुत सरलता से सेना तक पहुंचाया जा सकेगा. तीसरा, इस तरह के प्रोजेक्ट्स के चलते टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा. चौथा, यहां के हमारे भाइयों-बहनों को उस बढ़ते टूरिज्म से रोजगार मिलेगा, आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी. पांचवा, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण, यहाँ के लोगों में विकास के प्रति, सरकार के प्रति, व्यवस्था के प्रति और लोकतंत्र के प्रति विश्वास मजबूत होगा.
इस दौरान, राजनाथ सिंह ने गलवान मेमोरियल का भी उद्धाटन किया, जो वर्ष 2020 में चीन की सेना के साथ झड़प में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की याद में बनाया गया है.

