रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने नई दिल्ली के दौरे से इतने अभिभूत हुए हैं कि मॉस्को पहुंचने के बाद भी भारत की तारीफ करते नहीं थक रहे. पुतिन ने भारत को एक मिसाल बताते हुए कहा है कि ये सैकड़ों भाषाओं और संस्कृति को एक साथ रखने की काबिलियत रखता है.
पिछले सप्ताह पुतिन अपने दो दिवसीय दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे थे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके बीच जो केमेस्ट्री देखने को मिली उससे एक बात तो साबित हो चुकी है कि भारत पर चाहे कितना ही वेस्ट का दबाव हो, वो रूस को हर क्षेत्र में प्राथमिकता देता है.
पुतिन ने रूस पहुंचने के बाद एक कार्यक्रम में भारत-रूस के स्टैटजिक पार्टनरशिप पर भी खुलकर बात की है.
पुतिन ने की भारत की संस्कृति-एकता की प्रशंसा
पुतिन ने कहा कि वह कुछ दिन पहले ही भारत गए थे और देश की इतनी ज्यादा डायवर्सिटी देखकर एक बार फिर हैरान रह गए. पुतिन बोले, “वहां लगभग 1.5 बिलियन लोग रहते हैं, और सिर्फ एक तिहाई लोग हिंदी बोलते हैं, शायद 500 से 600 मिलियन. बाकी लोग अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं, और उनमें से कई एक-दूसरे को समझते भी नहीं हैं.”
पुतिन भारत की तारीफ में यहीं नहीं रुके, कहा, “रूस और भारत जैसे बड़े देशों के लिए, इतनी डायवर्सिटी के बीच एकता बनाए रखना बहुत जरूरी है. डायवर्सिटी में एकता एक ऐसा प्रिंसिपल है जिसे दोनों देशों को बचाना चाहिए, और इसे गहरी ऐतिहासिक जड़ों और कई संस्कृति पहचान वाले समाजों के लिए नींव बताया.”
पुतिन के दौरे से अमेरिका को लगी मिर्ची, दोनों देशों ने ट्रेड बढ़ाने पर जताई है सहमति
अपने दौरे पर पुतिन और पीएम मोदी के बीच वैश्विक मुद्दों पर तो बात हुई ही रूस-भारत के बीच ट्रेड बढ़ाने, सामंजस्यता बढ़ाने पर भी चर्चा हुई. रूस और भारत के बीच पार्टनरशिप को और मजबूत करने पर प्रतिबद्धता जताई गई.
रूस-भारत के बीच न्यूक्लियर एनर्जी कोऑपरेशन, मिलिट्री-टेक्निकल कोऑपरेशन और द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ावा देने की कोशिशों सहित कई बड़ी संयुक्त योजनाओं की भी समीक्षा की गई.
रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर पीएम मोदी ने शांति पर जोर दिया तो बदले में पुतिन ने भी युद्ध के मुद्दे पर भारत से संपर्क की इच्छा जताई. तो पुतिन ने साल 2026 में पीएम मोदी को रूस आने के लिए न्योता दिया है.
पुतिन के भारत के हिट दौरे से अमेरिकी इतना पछताया कि सुरक्षा नीति जारी करते हुए उसने भारत के संबंधों को मजबूती पर जोर दिया, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद बिगड़ गए हैं.
पीएम मोदी और पुतिन एक दूसरे को देते हैं प्राथमिकता
रूस और भारत के बीच संबंध किस कदर मजबूत हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि वेस्ट के दबाव के बावजूद भारत नहीं झुका. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते थे कि भारत, रुस से तेल खरीदना बंद करें. भारत पर तरह-तरह के आक्षेप लगाए गए, लेकिन भारत ने टैरिफ का भार झेलना मंजूर किया, लेकिन रूस से व्यापार जारी रखा.
ठीक इसी तरह से यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध को रोकने के लिए पुतिन ने जब अलास्का में ट्रंप से मुलाकात की थी, तो उस मीटिंग से पहले और मीटिंग के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर लंबी बातचीत करके बातचीत के बारे में बताया था.
अब एक बार फिर से रूस पहुंचकर पुतिन ने भारत की एकता और संस्कृति की तारीफ करके हिंदुस्तानियों का दिल जीत लिया है.

