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मेलोनी के दखल से इटली में भारतीय रिहा

इटली में भारतीय मजदूर का हाथ काटे जाने और उसकी हत्या के बाद आखिरकार इटली पुलिस जाग गई है. इटली की पुलिस ने 33 भारतीयों को गुलामी से मुक्त कराया है. ये कार्रवाई इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के हस्तक्षेप के बाद की गई है. मेलोनी ने भारतीयों को गुलाम की तरह बनाकर रखने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही का ऐलान किया था.

इटली के वेरोना प्रांत में पुलिस ने 33 भारतीय खेतिहर मजदूरों को मुक्त करवाया है. बताया जा रहा है कि इन भारतीयों से गुलामों जैसा बर्ताव किया जा रहा था. इटली पुलिस ने मजदूरों को बंधक बनाने और उनके साथ बर्बरता के मामले में 2 भारतीयों को गिरफ्तार किया है. दबोचे गए आरोपी कृषि क्षेत्र की दो कंपनियों के मालिक हैं. उनके पास से फाइनेंस पुलिस ने 475,000 यूरो यानी 43 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है.

बेहतर भविष्य का झांसा देकर गुलाम बनाया था
दरअसल इटली में श्रमिकों के उत्पीड़न का मामला तब चर्चा में आया जब पिछले महीने मशीन में हाथ कटने से भारतीय मजदूर की मौत हो गई थी. इटली पुलिस के मुताबिक श्रमिकों को बेहतर भविष्य का लालच देकर इटली लाया गया था. भारत से इटली लाने वाले आरोपी भी भारतीय ही थे. आरोपी मजदूरों को भारत से मौसमी कार्य परमिट पर इटली लाते थे, उनसे प्रत्येक को 17,000 यूरो का भुगतान करने और उन्हें बेहतर भविष्य का वादा करने के लिए कहते थे.

10-12 घंटे काम, नहीं मिलती थी कोई छुट्टी
इटली पुलिस का दावा है कि प्रवासियों को खेती का काम दिया जाता था, जिसमें उन्हें सप्ताह में सातों दिन और प्रतिदिन 10-12 घंटे काम करना होता था और इसके बदले उन्हें प्रति घंटे केवल 4 यूरो मिलते थे.

मजदूर जब तक अपने ऋण का भुगतान नहीं कर देते, तब तक उनका वेतन पूरी तरह से रोक दिया जाता था. कुछ भारतीय श्रमिकों से ये भी कहा गया कि स्थायी वर्क परमिट के लिए अतिरिक्त 13,000 यूरो का भुगतान करना होगा. इसलिए जब तक यह रकम नहीं चुका देते मुफ्त में काम करवाते थे. 13000 यूरो चुकाना श्रमिकों के लिए असंभव होता था. लिहाजा बिना मजदूरी या कम मजदूरी लोग काम करते रहते थे.

मेलोनी ने खाई थी कड़ी सजा दिलाने की कसम
पीएम जॉर्जिया मेलोनी और पीएम मोदी की दोस्ती बेहद गहरी मानी जाती है. मौके मौके पर पीएम मोदी के साथ मेलोनी अपने सेल्फी शेयर करती रहीं हैं. साथ में अपनी जोड़ी को ‘मेलो़डी’  कहती हैं. 

जून के महीने में इटली में उस वक्त सनसनी फैल गई थी जब एक भारतीय मजदूर का हाथ कटा मिला था. फल की मशीन में आने से मजदूर का हाथ कटा था. पर अमानवीय ये है कि उसे अस्पताल ले जाने के बजाए मालिक ने गाड़ी में बैठाकर पेड़ के नीचे छोड़ दिया. ज्यादा खून बह जाने के कारण सतनाम नाम के शख्स की मौत हो गई थी. मजदूर की मौत के खिलाफ इटली की सड़कों पर प्रदर्शन भी किए गए थे.

सतनाम सिंह की मौत को जॉर्जिया मेलोनी ने अमानवीय कृत्य बताया था. इटली की संसद में औपचारिक बयान देते हुए मेलोनी ने कहा था”ये अमानवीय कृत्य है. इतालवी लोग ऐसे नहीं हैं.मुझे उम्मीद है कि इस बर्बरता के लिए कड़ी सजा दी जाएगी.”

श्रम शोषण के खिलाफ है मेलोनी सरकार- कृषि मंत्री
इटली की श्रम मंत्री मरीना कैलदेरोन ने इसे बर्बरतापूर्ण बताया था. इटली की कृषि मंत्री फ्रांसेस्को ने भी संसद में कहा था कि “जॉर्जिया मेलोनी की सरकार सभी प्रकार के श्रम शोषण के खिलाफ सबसे आगे है. इस मसले पर हमें उदासीन नहीं रहना चाहिए.” मंत्री मरीना ने सतनाम के साथ जो हुआ था उसकी तुलना एक डरावनी फिल्म से की थी. और कहा था कि लोगों को दंडित किया जाएगा.

इस घटना के बाद से इटली की पुलिस भारतीय मजदूरों के रेस्क्यू में जुट गई थी. 33 भारतीय मजदूरों की रिहाई की गई है. मालिकों पर पुलिस ने जुर्माना भी लगाया है. क्योंकि इटली प्रशासन ने बिना मजदूरी, या कम मजदूरी में पूरे हफ्ते 10-12 घंटे काम करवाने को गुलामी माना है.

पुलिस के मुताबिक पीड़ितों को सुरक्षा, काम के अवसर और कानूनी निवास के कागजात दिए जाएंगे. दरअसल दूसरे यूरोपीय देशों की तरह, इटली में भी श्रमिकों की कमी बढ़ती जा रही है, जिसे अक्सर अप्रवास के माध्यम से पूरा किया जाता है, खासकर कम वेतन वाली नौकरियों में.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (आईएसटीएटी) के 2021 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 11% इतालवी श्रमिक अवैध रूप से कार्यरत थे, जो कृषि में 23% से अधिक हो गया. इटली में प्रवासी कार्य वीज़ा प्रणाली में धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं, जिसकी जांच की जा रही है,

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