थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने थिएटर कमांड के पक्ष में बयान देते साफ तौर से कहा है कि ये बेहद जरूरी है और आज या कल बनकर ही रहेगी. जनरल द्विवेदी का बयान एयर फोर्स चीफ ए पी सिंह के उस बयान के बाद आया है जिसमें थिएटर कमांड बनाए जाने का विरोध किया गया था.
बनकर रहेंगी थिएटर कमांड, आज या कल
राजधानी दिल्ली में ऑपरेशन सिंदूर पर लिखी एक पुस्तक के विमोचन से इतर, थलसेना प्रमुख ने मीडिया से ऑन-कैमरा बातचीत करते हुए कहा कि थिएटर कमांड तो बनेंगी ही है. क्योंकि इसकी बेहद जरूरत है. जनरल द्विवेदी ने ये भी समझाया कि थिएटर कमांड की क्यों जरूरत है.
थलसेना प्रमुख के मुताबिक, “आज के समय में लड़ाई सिर्फ सेना ही नहीं लड़ती बल्कि बीएसएफ, आईटीबीपी, इसरो, सिविल एविएशन, रेलवे और इंटेलिजेंस एजेंसियों की भी भागीदारी होती है. ऐसे में यूनिटी ऑफ कमांड बेहद जरूरी है. इसलिए देश को एक ऐसे (टॉप) कमांडर की जरूरत है, जो सभी को दिशा-निर्देश दे सके.”
पीएम मोदी चाहते हैं रक्षा क्षेत्र में सुधार
दुनिया की टॉप सेनाओं की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश की सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) की साझा और एकीकृत कमांड बनाने पर जोर दिया है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वर्ष 2024 के अपने चुनावी घोषणा-पत्र तक में थिएटर कमांड बनाने का लक्ष्य रखा है.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का पद भी इसलिए वर्ष 2019 में बनाया गया था ताकि थिएटर कमांड बनाने की प्रक्रिया आसान की जा सके. मौजूदा सीडीएस जनरल अनिल चौहान और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी भी देश में थिएटर कमांड बनाने के पक्ष में हैं.
वायुसेना प्रमुख ने थिएटर कमांड के विरोध में दिया ये तर्क
वायुसेना ने हालांकि थिएटर कमांड बनाने को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. पिछले महीने महू (इंदौर) स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित रण-संवाद कार्यक्रम में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ने थिएटर कमांड बनाने के बजाए सीडीएस और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के कंधों पर ही ऑपरेशन्ल जिम्मेदारी बनाए रखने की वकालत की थी.
वायुसेना का मानना है कि एयर फोर्स के फाइटर जेट और दूसरे मिलिट्री विमान बेहद कम हैं. अगर थिएटर कमांड बनाए गई तो एयर फोर्स की ताकत बंटने की चुनौती सामने आएगी.
19 कमांड से घटकर रह जाएंगी महज 5-6
अभी देश में थलसेना, वायुसेना और नौसेना की अलग-अलग 17 कमांड हैं. इसके अलावा दो (03) साझा कमांड हैं. लेकिन रक्षा क्षेत्र में सुधार के तहत, जब थलसेना, वायुसेना और नौसेना की साझा कमान बनेंगी, तब महज 4-5 कमांड ही रह जाएंगी.