इस साल गणतंत्र दिवस परेड में इतिहास बनने जा रहा है. इतिहास इसलिए क्योंकि, पहली बार परेड में एक पिता-पुत्र की जोड़ी दिखाई देगी. दोनों ही आर्मी ऑफिसर हैं और यूनिफॉर्म में परेड का हिस्सा बनने जा रहे हैं.
इस साल कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस समारोह के परेड कमांडर हैं लेफ्टिनेंट जनरल भावनिश कुमार. ले.जनरल कुमार, दिल्ली एरिया के जीओसी (जनरल ऑफिसर कमांडिंग) भी हैं. हर साल जीओसी (दिल्ली एरिया) ही कर्तव्य पथ पर परेड की कमान संभालते हैं. आर्मी जिप्सी में ले.जनरल भावनिश कुमार ही सबसे पहले कर्तव्य पथ पर उतरेंगे.
ले. जनरल कुमार के बेटे लेफ्टिनेंट अहान कुमार भी भारतीय सेना की 61 कैवेलरी में सेवारत हैं. इस बार परेड में लेफ्टिनेंट अहान अपनी यूनिट की टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे हैं. लेफ्टिनेंट अहान और उनकी कैवेलरी की टुकड़ी घोड़े पर कर्तव्य पथ पर मार्च करते हुई दिखाई पड़ेगी.
परेड कमांडर का बेटा, 61 कैवेलरी का हिस्सा
ले.जनरल कुमार के मुताबिक, “परेड में युवा ऑफिसर और सैनिकों को कदमताल करते देख पूरे देश को नाज होता है.” लेकिन अपने बेटे के इस साल परेड में शामिल होने पर परेड कमांडर ने कहा कि ये महज ‘इत्तेफाक’ है लेकिन इसके लिए उनके पूरे परिवार को बेहद ‘गर्व’ महसूस हो रहा है. खास बात ये है कि ले. जनरल कुमार के पिता ने भी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी थी.
लेफ्टिनेंट अहान को मिली पिता से प्रेरणा
परेड में शामिल होने पर लेफ्टिनेंट अहान ने कहा कि वे हमेशा से “अपने दादा और पिता को रोल-मॉडल की तरह देखते थे.” यही वजह है कि लेफ्टिनेंट अहान ने सेना में शामिल होने का मन बनाया था. अपने पिता को परेड कमांडर के तौर पर देखना, लेफ्टिनेंट अहान ने बेहद ‘प्रेरणादायक’ बताया. (https://x.com/YkJoshi5/status/1882720041583685770)
सेना की 61 कैवेलरी में आज भी इस्तेमाल होते हैं घोड़े
भारतीय सेना की 61 कैवेलरी, दुनिया की उन चुनिंदा रेजीमेंट में है जो घोड़ा का इस्तेमाल करती है. हालांकि, अब इस यूनिट का इस्तेमाल ऑपरेशन्स या फिर जंग के मैदान में नहीं किया जाता है.
प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के बाद दुनियाभर की सेनाओं में घोड़ा का इस्तेमाल बंद कर दिया गया था. भारतीय सेना में भी घोड़ों की जगह टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों (आर्मर्ड पर्सनल कैरियर) ने ले ली. लेकिन भारतीय सेना ने माउंटेड कॉलम के तौर 61 कैवेलरी को जिंदा रखा. अब 61 कैवेलरी को सैन्य समारोह के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
61 कैवेलरी के अलावा, इस बार भी कर्तव्य पथ पर महामहिम राष्ट्रपति के साथ प्रेसिडेंशियल बॉडी गार्ड्स (पीबीजी) की टुकड़ी भी घोड़ों पर नजर आएगी. पीबीजी भी सेना की पारंपरिक यूनिट है और अब कॉम्बेट में इस्तेमाल नहीं की जाती है.
आल इंडिया, ऑल क्लास रेजीमेंट दिखाई देगी कर्तव्य पथ पर
सेना के मुताबिक, इस साल 61 कैवेलरी के अलावा परेड में सबसे पहले द गार्ड्स की टुकड़ी कर्तव्य पथ पर कदम-ताल करते हुए दिखाई पड़ेगी. द गार्ड्स, सेना की अकेली इंफैन्ट्री रेजीमेंट है जिसमें सैनिकों की भर्ती पूरे देशभर से होती है. ये एकमात्र रेजीमेंट है जो ऑल इंडिया ऑल क्लास पर आधारित है. (https://x.com/adgpi/status/1881507858774474998)
इस बार जाट, गढ़वाल, महार और जम्मू कश्मीर राइफल्स (जैकरिफ) रेजीमेंट की टुकड़ियां मार्च-पास्ट का हिस्सा हैं. इंफैन्ट्री के अलावा कोर ऑफ सिगनल का मार्चिंग दस्ता भी परेड का हिस्सा है. (कर्तव्य पथ पर सेना के नंदीघोष चेतक ऐरावत)
साझा मिलिट्री बैंड बजाएंगे धुन
इस साल मैकेनाइज्ड इंफैन्ट्री, पंजाब रेजीमेंट और राजपूत रेजीमेंट का एक साझा मिलिट्री बैंड संविधान की धुन कर्तव्य पथ पर बजाएगा. साथ ही सिख, पंजाब और लद्दाख स्काउट का मिलाजुला बैंड कदम-कदम बढ़ाए जा धुन बजाएगा. 13 गोरखा, आर्टिलरी सेंटर (नासिक) और 3 ईएमई का एकीकृत बैंड ध्रुव धुन बजाएगा. (महाभारत के संजय का मॉर्डन अवतार तैयार, सेना को देगा बैटलफील्ड की रियल जानकारी)