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इंतजार खत्म, सेना को मिली स्वदेशी AK-203 राइफल

लंबे इंतजार के बाद भारतीय सेना को स्वदेशी एके-203 राइफल मिलनी शुरु हो गई हैं. पहली खेप में रुस की मदद से अमेठी के कोरवा प्लांट में बनी 27 हजार एके-203 असॉल्ट राइफल सेना को अब तक मिल चुकी हैं. माना जा रहा है कि अगले दो हफ्तों में 8000 राइफल की अगली खेप मिल सकती है. 

मेक इन इंडिया के तहत एके-203 असॉल्ट राइफल के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश के कोरवा (अमेठी) में एक साझा प्लांट का उद्घाटन किया था. लेकिन पहले कोविड महामारी, यूक्रेन युद्ध और फिर लेन-देन में आ रही दिक्कतों के चलते प्लांट में राइफल के निर्माण में देरी हो रही थी. लेकिन अब खबर है कि प्लांट में निर्माण शुरु हो चुका है. इसी कड़ी में 27 हजार राइफल सेना को दी गई हैं. 

भारत में एके-203 के निर्माण के लिए एडवांस वेपन एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (पूर्व में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड) और रुस की कलाश्निकोव कंपनी ने एक संयुक्त उद्यम इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) का गठन किया था. जुलाई 2021 में दोनों देशों ने कोरबा प्लांट में साढ़े सात लाख (7.50 लाख) से भी ज्यादा एके-203 राइफल के निर्माण के लिए 5000 करोड़ का करार किया था. इस बीच गलवान घाटी की झड़प और पूर्वी लद्दाख में चीन से शुरु हुए विवाद के चलते भारतीय सेना को अमेरिका से 72 हजार सिग-सोर राइफल्स की खेप का ऑर्डर भी देना पड़ा. 

कोरबा प्लांट के उत्पादन में देरी के चलते वर्ष 2021 में भारतीय सेना को 70 हजार एके-203 राइफल भी सीधे रुस से ऑफ द सेल्फ खरीदनी पड़ी थी. 

भारतीय सेना को पुरानी पड़ चुकी इंसास राइफल की रिप्लेसमेंट के लिए एके-203 राइफल की जरूरत है. निकट भविष्य में एके-203 ही भारत की मुख्य असॉल्ट राइफल बन जाएगी. क्योंकि भारतीय सेना (वायुसेना और नौसेना को भी) साढ़े छह लाख असॉल्ट राइफल की जरुरत पड़ने जा रही है. माना जा रहा है कि भारत की सशस्त्र सेनाओं की जरूरत पूरा करने के बाद यहां से इन राइफल का एक्सपोर्ट भी किया जा सकता है.

7.62 एमएम कैलिबर की एके-203 राइफल एक मिनट में 700 राउंड फायर कर सकती है. इसकी रेंज 500-800 मीटर है और 3.8 किलो वजन के साथ इस राइफल को हल्का माना जाता है. हल्की लेकिन घातक होने के चलते सैनिकों को इस राइफल को ऑपरेट करना आसान होता है.

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सल्ंस

ाल 

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