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बलूचों को पसंद आई ‘धुरंधर’, भारत को बताया सच्चा मित्र

रणवीर सिंह स्टारर धुरंधर ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही है. पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के रहस्यों और जुल्म को बेपर्दा कर रही धुरंधर फिल्म की बलूचिस्तान में जमकर तारीफ की जा रही है. 

सोशल मीडिया एक्स पर बलोच कार्यकर्ता फिल्म में अक्षय खन्ना की एंट्री धड़ाधड़ शेयर करके बलोच संस्कृति और पाकिस्तान का पर्दाफाश करने पर बधाई दे रहे हैं. वहीं बलोच कार्यकर्ताओं की तारीफ के बाद फ्री बलूचिस्तान ट्रेंड कर रहा है.  

हालांकि कुछ बलोच लोगों ने ये भी कहा है कि कुछ और रिसर्च की जा सकती है. एक बड़ी फिल्म में बलोच लोगों की स्थिति दिखाने पर बलूचिस्तान के लोग खुश हैं. लोग फ्री बलोच के मुद्दे पर खुलकर बात कर रहे हैं.

भारत ने बलोच लोगों की स्थिति दिखाने की हिम्मत की: बलोच कार्यकर्ता

रिलीज होते ही धुरंधर ने सीमा पार भी कमाल मचा दिया है. 200 करोड़ की कमाई पार होने के बाद धुरंधर की तारीफ बलूचिस्तान में की जा रही है. फिल्म में बलूचिस्तान, बलोच स्वतंत्रता आंदोलन और भारत-बलूचिस्तान संबंधों को बड़े पैमाने पर दिखाया गया है. बलोच यूजर्स ने सोशल मीडिया पर माना कि बॉलीवुड की किसी मुख्यधारा की फिल्म में बलोच संस्कृति, पहचान और पाकिस्तानी अत्याचारों का जिक्र करना एक बड़ा कदम है. सोशल मीडिया पर पाकिस्तान का असली चेहरा और बलूच लोगों का दर्द दिखाने के लिए काफी सराहना की गई है.

एक बलोच कार्यकर्ता ने लिखा, “यही वजह है कि हम बलूच लोग, इस फिल्म को पसंद करते हैं, हालांकि हम बॉलीवुड से बलूच मुद्दे और बलूचिस्तान में पाकिस्तानी अत्याचारों को दिखाने के लिए और भी बहुत कुछ उम्मीद करते हैं.”

बलूचिस्तान की खूबसूरती और परंपरा दिखा रहा है शेर-ए-बलोच गाना- बलोच कार्यकर्ता

पाकिस्तान से बगावती रुख रखने वाली शाहान बलोच ने लिखा एक्स पर अक्षय खन्ना के गाने को शेयर करते हुए लिखा, “फिल्म में ‘शेर ए बलोच’ गाना और पारंपरिक बलोची ड्रेस में डांस के जरिए बलूचिस्तान की अलग पहचान को खूबसूरती से दिखाया गया है. पाकिस्तान को यह फिल्म इसलिए खटक रही है क्योंकि इसमें ‘फ्री बलूचिस्तान’ का जिक्र है.”

एक अन्य प्रमुख बलोच एक्टिविस्ट सैमी बलोच अक्षय खन्ना का बलोची लिबास में लुक और पाकिस्तानी अत्याचारों के जिक्र की खूब सराहना करते हुए लिखा, “यह कोई डॉक्यूमेंट्री नहीं, एक एंटरटेनमेंट फिल्म है, फिर भी बलोच पहचान को इतने बड़े मंच पर दिखाना अपने आप में बड़ी बात है. 

हम 26/11 जैसे हमलों पर जश्न नहीं मनाते, फिल्म से नाराज हुए मीर यार बलोच

प्रसिद्ध बलोच कार्यकर्ता मीर यार बलोच ने एक्स पर एक लंबा थ्रेड लिखकर फिल्म की आलोचना की है. मीर यार बलोच ने कहा, कि “फिल्म ने बलूचिस्तान को गैंगस्टरों की जमीन के रूप में दिखाया, जबकि बलोच स्वतंत्रता संग्राम का आधार राष्ट्रवाद है, धार्मिक उन्माद नहीं.”

मीर यार बलोच ने लिखा, “बलोच कभी 26/11 जैसे आतंकी हमलों का जश्न नहीं मनाते क्योंकि वे खुद पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के शिकार हैं.”

मीर यार ने फिल्म के उस डायलॉग पर भी कड़ी आपत्ति जताई जिसमें पाकिस्तानी पुलिस अधिकारी कहता है, ‘मगरमच्छ पर भरोसा किया जा सकता है, बलोच पर नहीं. मीर यार बलोच ने इस डायलॉग को बलोच संस्कृति और वफादारी की परंपरा के पूरी तरह खिलाफ बताया और कहा कि “बलोच संस्कृति में ‘एक गिलास पानी की कीमत 100 साल की वफादारी’ होती है.”

हालांकि मीर यार बलोच ने पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान के लोगों पर किए गए अत्याचारों को, और बलोच संस्कृति को दिखाने के लिए फिल्म की तारीफ भी की है.

फिल्म में बलूचिस्तान में दिखाया गया है पाकिस्तानी सेना-आईएसआई का अत्याचार

धुरंधर फिल्म के सीन में रणवीर सिंह बलूचिस्तान में बच्चों दफनाते दिख रहे हैं, जहां एक बलूच नेता बताता है कि आईएसआई ने स्कूल की पानी की सप्लाई में जहर मिला दिया था. फिल्म में आजाद देश के लिए बलूच लोगों के संघर्ष को भी दिखाया गया है. 

ये बात सच है कि बलूचिस्तान के लोग और कार्यकर्ता ये आरोप लगाते रहे हैं कि पाकिस्तान की सेना ने हजारों युवाओं को गायब कर दिया है. अक्सर गायब हुए लोगों के शव आज भी मिलते रहते हैं.

पीएम मोदी से बलूच लोगों को उम्मीद, लाल किले की प्राचीर से कर चुके हैं जिक्र

प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2016 में लाल किले से दिए गये अपने भाषण में बलूचिस्तान का पहली बार जिक्र किया था.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि “जब से उन्होंने बलूचिस्तान, गिलगित और पीओके में मानवाधिकारों के हनन के मामले में पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान के रिकॉर्ड का जिक्र किया है, तब से उन्हें इन क्षेत्रों के लोगों से कृतज्ञता के संदेशों की बाढ़ आ गई है. मैं बलूचिस्तान, गिलगित और पीओके के लोगों का आभारी हूं जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में मुझे धन्यवाद दिया है. अगर बलूचिस्तान के लोग मुझे धन्यवाद देते हैं, तो वे 125 करोड़ भारतीयों को धन्यवाद दे रहे हैं.”

बताया जाता है कि उस वक्त पाकिस्तान सेना ने बलूचों से बर्बर अत्याचार किया था. बलूच कार्यकर्ताओं ने दावा किया था, कि सिर्फ डेरा बुगटी जिले में 50 लोग मारे गये, जबकि पाकिस्तानी सेना ने 150 से ज्यादा लोगों को अगवा कर लिया, जिनका आज तक कोई पता नहीं चल पाया है.

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