Breaking News Reports

भाभा परमाणु केंद्र में जासूसी की साजिश, अलेक्जेंडर निकला अख्तर हुसैनी

देश के सबसे बड़े न्यूक्लियर रिसर्च यूनिट भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) में जासूसी करने के इरादे से घुसे एक फर्जी वैज्ञानिक को किया गया है गिरफ्तार. 59 साल के अख्तर हुसैनी के पास से एजेंसियों ने परमाणु डेटा और 14 नक्शे बरामद किए हैं. 

कई फर्जी पासपोर्ट, आधार और पैन कार्ड, साथ ही बार्क के फर्जी पहचान पत्र भी बरामद हुए. अख्तर हुसैनी ने फर्जी साइंटिस्ट बनकर बार्क में घुसकर जासूसी की फिराक में था. एक पहचान पत्र में उसका नाम अली रजा हुसैन और दूसरे में अलेक्जेंडर पामर लिखा था. 

खुलासा हुआ है कि अख्तर हुसैनी अपने छोटे भाई आदिल हुसैनी के साथ भारत की न्यूक्लियर पावर से जुड़ी जानकारी हासिल करना चाहता था. आदिल को दिल्ली की स्पेशल सेल अरेस्ट कर पुलिस रिमांड में पूछताछ कर रही है जबकि अख्तर मुंबई पुलिस की कस्टडी में है. वहीं बार्क की सुरक्षा की समीक्षा की गई है.

खुफिया सूचना के बाद हुसैनी बंधुओं पर कसा शिकंजा, आईएसआई लिंक वाया झारखंड

जांच अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी का नाम अख्तर कुतुबुद्दीन हुसैनी है. उसे वर्सोवा (मुंबई) से गिरफ्तार किया गया था. अख्तर की निशानदेही पर उसके छोटे भाई आदिल को दिल्ली और एक शख्स मुनाजिर को झारखंड से गिरफ्तार किया गया है. खुलासा हुआ है कि मुनाजिर (झारखंड निवासी) एक साइबर कैफे चलाता था, वो उसके जरिए ही अख्तर- आदिल पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में रहते थे. 

इसी शख्स ने हुसैनी बंधुओं के जाली पासपोर्ट भी बनाए थे. वहीं एजेंसियों एक और शख्स की भी तलाश कर रही हैं, जिसने अख्तर और आदिल के एजुकेशन सर्टिफिकेट और दूसरे जरूरी डॉक्यूमेंट्स बनाए थे. अख्तर की गिरफ्तारी के दौरान उसके घर से 14 संवेदनशील नक्शे भी बरामद किए गए हैं.

बताया जा रहा है कि एजेंसियों की नजर में ये उस वक्त गया, जब पिछले कुछ महीनों में  कई अंतरराष्ट्रीय कॉल किए गए. एजेंसियों को शक है कि वह विदेशी नेटवर्क के संपर्क में था, जिनका संबंध संदिग्ध परमाणु डेटा से हो सकता है.

रशियन वैज्ञानिक और ईरानी एटॉमिक एनर्जी ऑर्गनाइजेशन से क्या है हुसैनी बंधुओं का संबंध

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के शिकंज में आए अख्तर हुसैनी के छोटे भाई आदिल हुसैनी ने पूछताछ में कई बातें बताई हैं. आदिल ने कहा है कि उसने रशियन साइंटिस्ट से परमाणु से संबंधित कुछ डिजाइन लेकर ईरान के एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन (एईओआई) के एक एजेंट को बेचने की बात कही थी. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इनके तार ईरान से भी जुड़े हो सकते हैं.

साल 2004 में दुबई से निर्वासित किया गया था अख्तर हुसैनी

जांच से पता चला है कि अख्तर हुसैनी को साल 2004 में गोपनीय दस्तावेज रखने वाला वैज्ञानिक होने का दावा करने के बाद दुबई से निर्वासित कर दिया गया था. इसके बाद भी वह नकली पासपोर्ट के जरिए उसने दुबई, तेहरान और अन्य जगहों की यात्रा की थी. 

हैरानी की बात ये है कि पुलिस को बरगलाने के लिए अख्तर हुसैनी ने कहा कि उसका भाई आदिल हुसैनी मर चुका है. लेकिन जांच एजेंसियों ने ऐसे सबूतों के साथ दोनों को गिरफ्तार किया है, जिससे एक बड़ा न्यूक्लिकर की जासूसी करने वाले नेटवर्क का भंडाफोड़ कर दिया गया है. 

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *