नॉर्थ कोरिया में बाइबिल, अमेरिकी डॉलर और चावल की तस्करी करते हुए 6 अमेरिकी लोगों को हिरासत में लिया गया है. अमेरिकी नागरिकों पर ये एक्शन साउथ कोरिया की पुलिस ने लिया है. बाइबिल से भरी हजारों प्लास्टिक की बोतलों को जलमार्ग से नॉर्थ कोरिया भेजा जा रहा था. साउथ कोरियाई पुलिस के मुताबिक, अमेरिकी लोग, यूएसबी स्टिक में फिल्म भरकर समुद्र के रास्ते उत्तर कोरिया भेजने की कोशिश कर रहे थे.
साउथ कोरिया में 6 अमेरिकी नागरिक पकड़े गए
साउथ कोरिया के ग्वांगह्वा द्वीप पर 6 अमेरिकी नागरिकों को हिरासत में लिया गया है. स्थानीय पुलिस ने बताया कि इन लोगों को गंगवा द्वीप के पास चावल, एक डॉलर के नोट और बाइबिल से भरी हजारों प्लास्टिक की बोतलें समुद्र के रास्ते से भेजने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस ने बताया पकड़े गए अमेरिकी लोग 20 से 50 वर्ष के उम्र के हैं. उनसे पूछताछ की जा रही है. गिरफ्तार अमेरिकी कोरियाई भाषा में बोल नहीं सकते थे, इसलिए उनको एक ट्रांसलेटर दिया गया है.
ग्वांगह्वा द्वीप के बारे में जानिए, जहां से पकड़े गए अमेरिकी
ग्वांगह्वा द्वीप, साउथ कोरिया की राजधानी सियोल के नॉर्थ वेस्ट में है. द्वीप, नॉर्थ कोरिया के बेहद नजदीक पड़ता है. ग्वांगह्वा द्वीप के आसपास के समुद्र के कुछ हिस्से दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा केवल 10 किलोमीटर दूर है. इस जगह से अक्सर नॉर्थ कोरिया में छिपा कर सामान भेजा जाता रहा है. तानाशाह किम जोंग के विरोध समूहों के लिए चावल से भरी बोतलें, के पॉप म्यूजिक, साइथ कोरिया ड्रामा को पेन ड्राइव के जरिए भेजा जाता रहा है. पिछले साल ही इस क्षेत्र को बेहद खतरनाक घोषित किया गया था.
साउथ कोरिया की नई सरकार ने की है तानाशाह से संबंध सुधारने की पहल
जून में राष्ट्रपति ली जे म्युंग की नई सरकार ने उत्तर कोरिया के साथ तनाव कम करने और सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है. इसके तहत ऐसे अभियानों पर सख्ती की जा रही है. नए राष्ट्रपति ने सत्ता संभालने के साथ ही कहा था कि उनकी कोशिश रहेगी कि वो उत्तर कोरिया के साथ संबंध सुधारें. राष्ट्रपति ली ने उत्तर कोरिया के साथ शांति वार्ता को फिर से शुरू करने का वादा किया है.
ली सरकार ने प्योंगयांग विरोधी लाउडस्पीकर प्रसारण को भी रोक दिया है, ताकि सैन्य तनाव कम हो. 14 जून को भी ग्वांगह्वा द्वीप से उत्तर कोरिया की ओर गुब्बारे भेजने के आरोप में एक कार्यकर्ता को हिरासत में लिया गया था. साल 2019 के बाद से दोनों देशों के बीच आधिकारिक तौर पर बातचीत बंद है. लाउडस्पीकर और प्रोपेगेंडा भाषणों पर रोक लगाकर साउथ कोरिया की नई सरकार ने पहल की है. लेकिन इस पहल पर नॉर्थ कोरिया की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.