चीन के बल पर उछल रहे हैं मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू. चीन के साथ हुए सैन्य समझौते के बाद मालदीव के राष्ट्रपति मोइज्जू ने एक बार फिर से भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया है. मोइज्जू ने कहा है कि 10 मई के बाद किसी भी भारतीय सैनिक को मालदीव में रहने की इजाजत नहीं दी जाएगी, फिर चाहे वो सादे कपड़ों में ही क्यों ना हो. मोहम्मद मोइज्जू ने ये बयान देकर भारत के साथ संबंधों को और बिगाड़ने का काम किया है.
सादे कपड़ों में भी नहीं रहने देंगे: मोइज्जू
मालदीव के साथ भारत के रिश्ते कभी भी ऐसे खराब नहीं हुए थे, जितना पिछले 5 महीने में बिगड़े हैं. राष्ट्रपति मोइज्जू ‘गो बैक इंडिया’ के नारे के साथ नवंबर 2023 में सत्ता में आए थे. मोइज्जू के विरोध के बाद भारत ने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया और टेक्निकल स्टाफ को मालदीव भेजा. पर अब टेक्निकल भारतीयों की मौजूदगी भी मालदीव के राष्ट्रपति को अखर रही है. मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा- “कुछ लोग देश में अफवाह फैला रहे हैं कि भारतीय सैनिक देश छोड़ नहीं रहे हैं, वो टेक्निकल स्टाफ के बहाने सिर्फ यूनिफॉर्म बदलकर सादे कपड़ों में देश लौट रहे हैं. ये सच नहीं है. भारतीय सैनिक यूनिफॉर्म या सादे कपड़ों में भी देश में नहीं रहेंगे. मैं यह पूरे भरोसे के साथ कह सकता हूं.”
मालदीव में भारतीय सैनिकों की जगह टेक्निकल स्टाफ
2 फरवरी को भारत और मालदीव के बीच भारतीय सैनिकों को लेकर सहमति बनी कि भारत अपने सैनिकों को मार्च और मई के बीच वापस बुला लेगा. मालदीव की रेस्क्यू यूनिट में भारतीय सैनिकों की जगह भारत के ही टेक्निकल स्टाफ लेंगे. इस समझौते का पहला फेज 10 मार्च तक पूरा हो जाएगा. अभी मालदीव में करीब 88 भारतीय सैनिक हैं. जो दो हेलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते हैं. इन ऑपरेशन को संभालने के लिए ही टेक्निकल स्टाफ भेजा गया है. पर मुइज्जू ने कहा कि दस मई के बाद किसी भी भारतीय सैनिक को मालदीव नहीं आने दिया जाएगा.
चीन के साथ हुए सैन्य समझौते ने बाद बदला सुर
चीन और मालदीव के बीच बढ़ रही गलबहियां भारत के लिए खतरा बढ़ा रहे हैं. चीन और मालदीव के बीच रक्षा से जुड़ा समझौता हुआ है, जो भारत के लिए खतरनाक बन सकता है. चीन ने बिना किसी शर्त के मालदीव को सैन्य सहायता देने का वादा किया है. हालांकि, यह सैन्य मदद किस तरह की होगी, इसके बार में ज्यादा जानकारी नहीं सामने आई हैं. ये समझौता माले के पास चीन के जासूसी जहाज को रुकने की इजाजत के बाद हुआ है. मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून ने चीनी सैन्य अधिकारी जनरल झांग बाओकुन से साथ मालदीव को मुफ्त सैन्य सहायता से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किया है. जिसकी तस्वीरें मालदीव के रक्षा मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट की. करार को लेकर चीन ने इशारे ही इशारे में भारत के लिए भी बात की. चीन ने कहा कि इस सैन्य समझौते में कोई तीसरा पक्ष निशाने पर नहीं है, मालदीव और चीन के संबंधों से तीसरे पक्ष को इसमें कोई बाधा नहीं आएगी.
मुइज्जू पर जयशंकर का अंदाज पड़ा भारी
भारत-मालदीव के रिश्तों में कड़वाहट पर हर किसी की नजर विदेश मंत्री जयशंकर पर होती है. उनकी बेबाक बयानबाजी से अमेरिका. रूस समेत दुनिया के बड़े देश वाकिफ है. ऐसे में हाल ही में मोइज्जू के ‘बिग बुली’ वाले बयान पर जयशंकर ने ऐसा सुनाया की राष्ट्रपति मोइज्जू का मजाक बनकर रह गया. एस जयशंकर ने अपने अंदाज में कहा, “जब पड़ोसी देश मुश्किल में होते हैं तो बिग बुलीज यानी बदमाश या दबंग 4.5 अरब डॉलर की मदद नहीं देते.” इसी साल जनवरी में राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा था कि हम भले ही छोटा देश हो सकते हैं लेकिन इससे किसी को भी हमें बुली करने का लाइसेंस नहीं मिलता. एस जयशंकर अपनी किताब ‘व्हाई भारत मैटर्स’ पर बात करते हुए मालदीव को खरी-खरी सुना दी. जयशंकर से सवाल किया गया कि क्या भारतीय उपमहाद्वीप में भारत को ‘बुली’ के तौर पर देखा जाता है ? तो जयशंकर ने कहा “आप अगर भारत को बुली बताते हैं तो इस बात का ध्यान रखिए कि ‘बिग बुलीज’ कोरोना के समय अन्य देशों में वैक्सीन की सप्लाई नहीं करते. युद्ध या संकट में फंसे देशों की खाद्य या उर्वरक जरूरतों को पूरा नहीं करते. अपने पड़ोसी मुल्कों को 4.5 अरब डॉलर की मदद नहीं देते.”
मालदीव जान गया भारत की असलियत: ग्लोबल टाइम्स
चीन की हर हरकत को बेहद करीबी से जानता है भारत. 6 मार्च यानी आज ही मालदीव के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीपों में से एक पर नया बेस जटायु खोला गया है. भारतीय नौसेना हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है और यही बात चीन को पच नहीं रही (https://youtu.be/ksmauqLUVWo?si=Z-ukhPocHvJlkwAn). चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में एस जयशंकर और भारत के खिलाफ बहुत अनाप शनाप लिखा गया है. एस जयशंकर के पड़ोसी देशों के मददगार वाले बयान पर जहर उगला गया है. ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया ‘जयशंकर ने अपने पड़ोसियों को भारत की सहायता के बारे में दावा किया, पर उन्होंने ये नहीं बताया कि भारत ने उन देशों पर नियंत्रण को मजबूत करने के लिए सहायता का उपयोग कैसे किया. जब छोटे देश भारत से विमुक्त होंगें तो भारत सहायता की बात करने लगता है. भारत हिंद महासागर में अपने हक वाली मानसिकता का विस्तार कर रहा है. इसी मानसिकता के चलते भारत छोटे दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों से जुड़ता है. मालदीव पर भी भारत दबाव डाल रहा है. पर मालदीव जैसे देशों को धीरे-धीरे भारत की असलियत जान गए हैं.’
चीन के बल पर मोइज्जू भारत पर भले ही आंखे तरेरना की कोशिश कर रहे हैं, पर भारत-चीन के बीच हुए करार को लेकर भारत अलर्ट हो गया है. आशंका इस बात की है कि चीनी युद्धपोत मालदीव के बंदरगाहों पर आसानी से आ जा सकेंगे और चीनी नौसेना ने मालदीव में अपना बेस बनाकर भारत की जासूसी कर सकती है. हिंद महासागर में मालदीव और चीन मिलकर टेंशन बढ़ा रहे हैं. पर मोइज्जू के ताजा बयान को भारत कैसे प्रतिक्रिया देता है, इसपर सभी की नजर है.
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