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सीडीएस ने जारी की मिलिट्री Cyberspace Doctrine

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को सेना के तीनों अंगों के लिए साझा साइबरस्पेस डॉक्ट्रिन जारी की. इस ज्वाइंट डॉक्ट्रिन का उद्देश्य साइबरस्पेस संचालन के मिलिट्री-पहलुओं को समझने पर जोर देना है और ऑपरेशन की योजना बनाने तथा संचालन में कमांडरों को वैचारिक मार्गदर्शन प्रदान करना है. 

रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि मंगलवार को सीडीएस ने  चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) की बैठक के दौरान साइबरस्पेस संचालन के लिए ‘ज्‍वाइंट डॉक्ट्रिन’ जारी किया. ‘ज्‍वाइंट डॉक्ट्रिन’ एक प्रमुख प्रकाशन है, जो आज के जटिल सैन्य संचालन वातावरण में साइबरस्पेस संचालन में कमांडरों का मार्गदर्शन करेगा. 

सीओएससी में थलसेना, वायुसेना और नौसेना, तीनों के प्रमुख शामिल होते हैं. डॉक्ट्रिन को रिलीज करने के वक्त थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी मौजूद थे. 

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ‘ज्‍वाइंट डॉक्ट्रिन’ का विकास संयुक्तता और एकीकरण का एक महत्वपूर्ण पहलू है, एक ऐसा कदम जिसे भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है. साइबरस्पेस संचालन के लिए ‘ज्‍वाइंट डॉक्ट्रिन’ जारी प्रक्रिया को गति देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. 

युद्ध के पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा, साइबरस्पेस आधुनिक युद्ध में एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है. सीडीएस जनरल चौहान ने इस मौके पर कहा कि जल, थल और आकाश के क्षेत्रों में सरहदों से परे साइबरस्पेस पूरे विश्‍व में प्रचलित है और इसीलिए पूरे विश्‍व में इसकी महत्‍ता है. साइबरस्पेस में हमले किसी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था, सामंजस्य, राजनीतिक निर्णय लेने और राष्ट्र की अपनी रक्षा करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं.

जनरल चौहान ने कहा कि साइबरस्पेस में संचालन को राष्ट्रीय सुरक्षा ताने-बाने में जोड़ा जाना चाहिए, ताकि अन्य सभी परिचालन माहौल तथा शक्ति के सभी आयामों  में लाभ और गतिविधियों को प्रभावित करने के लिए ‘एंड्स’, ‘वेज़’ और ‘मीन्‍स’ विकसित किए जा सकें.

सीडीएस के मुताबिक, यह सिद्धांत साइबरस्पेस संचालन के सैन्य पहलुओं को समझने पर जोर देता है और साइबरस्पेस में संचालन की योजना बनाने तथा संचालन में कमांडरों, स्‍टॉफ और कर्मियों को वैचारिक मार्गदर्शन प्रदान करता है. इसके अलावा यह सभी स्तरों पर हमारे सैनिकों में जागरूकता बढ़ाने के लिए भी कारगर है.

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