दलाई लामा से मिलने भारत पहुंची अमेरिका की पूर्व स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर हमला बोलते हुए साफ कर दिया है कि चीन को तिब्बत धर्मगुरु के उत्तराधिकारी को चुनने नहीं दिया जाएगा. बुधवार को पेलोसी ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात के बाद ये बात कही. उनके साथ अमेरिकी कांग्रेस (संसद) की ‘फॉरेन अफेयर्स कमेटी’ के सदस्य भी शामिल थे.
पेलोसी ने कहा कि “दलाई लामा, ज्ञान, परंपरा, करुणा, आत्मा की पवित्रता और प्रेम के अपने संदेश के साथ लंबे समय तक जीवित रहेंगे और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। लेकिन आप, चीन के राष्ट्रपति (शी जिनपिंग), आप चले जायेंगे और कोई भी आपको किसी भी चीज़ का श्रेय नहीं देगा.”
पेलोसी इन दिनों फॉरेन अफेयर्स कमेटी के एक सात सदस्य प्रतिनिधिमंडल के साथ धर्मशाला की यात्रा पर हैं. जल्द ही अमेरिका ‘रिजॉल्व तिब्बत एक्ट’ को पारित करने जा रहा है जिसमें चीन को तिब्बत से विवाद सुलझाने पर जोर दिया गया है. यही वजह है कि नैन्सी पेलोसी पूरे प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत के दौरे पर हैं. इस एक्ट के जरिए चीन को दलाई लामा से वार्ता करने का भी सुझाव है.
दलाई लामा से मिलने से पहले मंगलवार को पेलोसी ने धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित-संसद को भी संबोधित किया था. चीन के कब्जे और फिर तिब्बत क्रांति (1959) के बाद से दलाई लामा ने भारत में शरण ले रखी है. वे तभी से धर्मशाला में रहते हैं जहां तिब्बत की ‘निर्वासित सरकार’ का प्रशासनिक कार्यालय भी है.
हालांकि, पेलोसी और अमेरिकी संसद के प्रतिनिधिमंडल के दलाई लामा से मुलाकात को लेकर चीन ने अपना विरोध जताया था. बावजूद इसके पेलोसी ने न केवल धर्मशाला की यात्रा की बल्कि दलाई लामा से मुलाकात भी की.
पेलोसी के बयान पर अभी तक चीन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने मंगलवार को आधिकारिक बयान जारी कर कहा था कि, “ज़िज़ांग (तिब्बत) प्राचीन काल से ही चीन का हिस्सा रहा है. ज़िज़ांग के मामले पूरी तरह से चीन के घरेलू मामले हैं और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप की अनुमति कभी नहीं दी जाएगी. किसी को भी और किसी भी ताकत को चीन को नियंत्रित करने और दबाने के लिए ज़िज़ांग को अस्थिर करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। ऐसे प्रयास कभी सफल नहीं होंगे.
चीनी दूतावास ने कहा था कि “दलाई लामा कोई शुद्ध धार्मिक व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि धर्म की आड़ में चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में लगे एक राजनीतिक निर्वासित व्यक्ति हैं. हम अमेरिकी पक्ष से दलाई समूह की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति को पूरी तरह से पहचानने, ज़िज़ांग (तिब्बत) से संबंधित मुद्दों पर चीन के प्रति अमेरिका द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने, दुनिया को गलत संकेत भेजने से रोकने का आग्रह करते हैं.”
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