By Nalini Tewari
न्यूक्लियर हथियारों की ताकत पर स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानि सिपरी की ताजा रिपोर्ट पर भड़क गया है चीन. सिपरी ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि चीन बहुत तेजी से परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है. चीन हर साल अपने परमाणु जखीरे में 100 परमाणु हथियार बढ़ा रहा है, जो दुनिया के लिए खतरनाक है.
सिपरी की इस रिपोर्ट पर चीन के विदेश मंत्रालय चिढ़ गया है. चीन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि न्यूक्लियर हथियार आत्मरक्षा के लिए हैं.
आत्मरक्षा पर केंद्रित है चीन का न्यूक्लियर प्रोग्राम: चीनी विदेश मंत्रालय
सिपरी के रिपोर्ट पर चीन के विदेश मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि “चीन की परमाणु स्ट्रैटेजी ‘नो फर्स्ट यूज’ यानी पहले इस्तेमाल न करने की रही है. चीन हमेशा अपनी परमाणु क्षमताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए न्यूनतम स्तर पर रखता है और कभी भी हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं होता है. चीन किसी भी समय और किसी भी परिस्थिति में परमाणु हथियारों का ‘पहले इस्तेमाल न करने’ की नीति का पालन करता है.”
चीन के प्रवक्ता ने कहा, “हमने बिना किसी शर्त के गैर परमाणु हथियार वाले देशों और परमाणु मुक्त क्षेत्रों के खिलाफ परमाणु हथियारों के इस्तेमाल न करने या इस्तेमाल करने की धमकी न देने की प्रतिबद्धता जताई है. चीन ऐसी नीति अपनाने वाला एकमात्र परमाणु हथियार संपन्न देश है. चीन अपने वैध सुरक्षा हितों की रक्षा करने और दुनिया को शांतिपूर्ण और स्थिर बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा.”
वेस्ट से प्रभावित है सिपरी रिपोर्ट, हमें बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया: चीन
सिपरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि “चीन अपने परमाणु हथियारों को इतनी तेजी से बढ़ा रहा है कि अगले 7-8 साल में अमेरिका,रूस के बराबर पहुंच जाएगा. परमाणु हथियारों को लेकर सिपरी के इस रिपोर्ट पर चीन के सैन्य मामलों के एक्सपर्ट का कहना है कि रिपोर्ट पश्चिमी एजेंडे से प्रभावित है जो चीन के परमाणु हथियारों और चीन के कथित खतरे की स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है. चीन को गलत तरीके से परमाणु डील वार्ता में धकेलने की कोशिश की जा रही है जिस पर चीन कभी भी तैयार नहीं होगा.”
सिपरी की रिपोर्ट में चीन के लिए क्या कहा गया है?
स्वीडिश थिंकटैंक सिपरी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि “चीन अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ा रहा है. रिपोर्ट में अनुमान जताया गया कि साल 2023 से अब तक चीन सालाना 100 परमाणु हथियार बना रहा है और अब तक करीब 350 नई इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें बना चुका है. इस दशक के अंत तक चीन, रूस और अमेरिका के बराबर इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें बना चुका होगा, हालांकि चीन अभी भी रूस और अमेरिका के परमाणु हथियारों के मुकाबले अभी बहुत पीछे है. चीन अगले सात से आठ वर्षों में 1000 परमाणु हथियार बना सकता है.”
अमेरिका बढ़ा रहा चीन पर दबाव, तो चीन क्यों न बढ़ाए हथियार: एक्सपर्ट
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया में सबसे अधिक परमाणु हथियार अमेरिका और रूस के पास है. दोनों देशों के पास दुनिया का 90% परमाणु हथियार है जिसमें रिटायर कर दिए गए परमाणु बम भी शामिल हैं. रूस के पास 5,459 तो अमेरिका के पास 5,177 परमाणु बम है.
चीन के एक्सपर्ट्स का मानना है कि “अगर इतनी बड़ी संख्या में परमाणु हथियार रखने वाला अमेरिका चीन पर दबाव बना रहा है तो क्या चीन को अपने परमाणु हथियारों का जखीरा नहीं बढ़ाना चाहिए. एक्सपर्ट्स ने कहा है कि अगर चीन पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि रूस और अमेरिका को भी अपने हथियार घटाने चाहिए.”