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मिलन एक्सरसाइज के लिए तैयार सिटी ऑफ डेस्टिनी

अरब सागर में हूती विद्रोहियों के ड्रोन अटैक और सोमालियाई समुद्री-लुटेरों के हाईजैकिंग के खौफ के बीच भारतीय नौसेना बंगाल की खाड़ी में बड़ा युद्धाभ्यास करने जा रही है. ऐसा युद्धाभ्यास जिससे दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना का दम भरने वाला चीन भी चकित रह जाएगा. 50 देशों की नौसेनाओं और 20 घातक जंगी जहाजों का इसी महीने होने जा रहा है ‘मिलन’. 

हिंद महासागर में लगातार मालदीव, बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते चीन अपने प्रभाव का विस्तार करने में जुटा है. ऐसे में चीन से मिल रहीं चुनौतियों के बीच भारत बंगाल की खाड़ी में करने जा रहा है ‘मिलन’ युद्धाभ्यास. 

अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, दक्षिण कोरिया जैसे शक्तिशाली देश भारत के साथ 19 से 27 फरवरी तक समंदर में दिखाएंगे दमखम. भारतीय नौसेना आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत के साथ सबसे बड़े युद्धाभ्यास मल्टीलेटरल नेवल एक्सरसाइज मिलन 2024 में उतरेगी. सिटी ऑफ डेस्टिनी यानी आंध्र प्रदेश के पोर्ट सिटी विशाखापट्टनम में होने वाली इस एक्सरसाइज को लेकर चीन के कान खड़े हो गए हैं. 

अरब सागर और रेड सी में हाल ही में हुए समुद्री हमलों ने ना सिर्फ भारत बल्कि अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों की भी चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में इस एक्सरसाइज का मकसद देशों में सामंजस्य बढ़ाना और ऐसे हमलों से निपटने का गुर सीखना है. आए दिन व्यापारिक जहाजों पर ड्रोन हमले किए जा रहे हैं, ऐसे हमलों के खतरों से कैसे निपटा जाए ये सब इस एक्सरसाइज का अहम हिस्सा होगा. मिलन एक्सरसाइज का थीम है ‘कैमेरेडरी, कोहिजन और कोलोब्रेशन’. 

वर्ष 1995 से भारतीय नौसेना मिलन एक्सरसाइज का आयोजन करती आ रही है. दो साल में एक बार होने वाली इस एक्सरसाइज में मित्र-देशों की नौसेनाएं हिस्सा लेती आई हैं. पिछले दो संस्करण से ये एक्सरसाइज नौसेना के पूर्वी कमान के मुख्यालय विशाखापट्टनम में आयोजित किए गए हैं. पहले ये एक्सरसाइज अंडमान निकोबार में होती थी. 

मिलन एक्सरसाइज शिवाजी महाराज के जन्मदिवस यानी 19 फरवरी को शुरु होगी और 27 फरवरी तक चलेगी. नौ दिनों तक चलने वाली मिलन एक्सरसाइज का ये 12वां संस्करण है. दरअसल, भारत में इंडियन नेवी की शुरुआत अंग्रेजों के समय से मानी जाती है जिसे रॉयल इंडियन नेवी कहा जाता था. जबकि हकीकत ये है कि भारत में मराठा शासकों की एक बड़ी नौसेना थी जिसमें 70-80 जहाज थे. मध्यकालीन युग में छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठा नौसेना की नींव डाली थी. उन्होंने मुंबई से लेकर कोंकण-तट तक कई समुद्री-दुर्ग यानी किलों का निर्माण किया था. गोवा के करीब कर्नाटक के कारवार बंदरगाह में मराठाओं के समय में जहाज का निर्माण किया जाता था. आज कारवार में ही एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस तैयार किया जा रहा है जहां आने वाले समय में भारत के मैरीटाइम थियेटर कमान का हेडक्वार्टर होगा. 

हाल ही में भारतीय नौसेना ने नेवी डे भी कोंकण तट पर बने शिवाजी महाराज के सिंधुदुर्ग किले में नेवी-डे मनाया था. इससे पहले नौसेना ने अपने फ्लैग से अंग्रेजों का प्रतीक हटाकर शिवाजी महाराज की नौसेना का प्रतीक चिन्ह शामिल किया था. यानी भारतीय नौसेना गुलामी की मानसिकता को धीरे-धीरे कर दूर कर अपने गौरवशाली इतिहास को अपनाने में जुटी है. फिर चाहे वो दक्षिण का चोला साम्राज्य हो या फिर सातवाहन शासक, या फिर मराठा नौसेना. भारतीय नौसेना, हिंद महासागर क्षेत्र की नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर और ब्लू वाटर नेवी बनाने के साथ-साथ समुद्री-इतिहास के साथ भी कदम-ताल कर रही है. 

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