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Combat-Ready है नौसेना का मिशन: एडमिरल त्रिपाठी

CNS addressing sailors in Capital.

By Akansha Singhal

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी के मुताबिक, इंडियन नेवी की मुख्य जिम्मेदारी ‘मेरीटाइम सिक्योरिटी’ और ‘कॉम्बैट-रेडी’ रहना है. राजधानी दिल्ली स्थित नौसेना भवन में तैनात नौसैनिकों को संबोधित करते हुए एडमिरल त्रिपाठी ने अपने दृष्टिकोण और अपेक्षाओं को साझा करते हुए राष्ट्र की समुद्री सुरक्षा को बनाए रखने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “हमारा कर्तव्य है हर समय, हर जगह, हर प्रकार से कॉम्बेट रेडी (युद्ध के लिए तैयार रहना) और राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा करना.” 

व्यक्तिगत और संगठनात्मक स्तर पर सेफ्टी और सिक्योरिटी को सुनिश्चित करने पर बल देते हुए नेवी चीफ ने भारतीय नौसेना को एक विश्वसनीय(क्रेडिबल), एकजुट (कोहेसिव) और फ्यूचर-रेडी फोर्स बनाने का आह्वान किया.

एडमिरल त्रिपाठी ने नौसैनिकों को याद दिलाया कि “हम जो कर रहे हैं, उसे क्यों कर रहे हैं” यह समझना महत्वपूर्ण है, जिससे प्रयास सही दिशा में हों और वांछित परिणाम प्राप्त हो सके. उन्होंने समय की कसौटी पर खरे उतर सिस्टम की ताकत और प्रभावशीलता पर बात की और नवीनतम डिजिटल पहल के माध्यम से नवीनतम जानकारी तक पहुंचने और संचार के नए रास्ते अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया.

व्यक्तिगत और संगठनात्मक स्तर पर सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देते हुए, नेवी चीफ ने युद्ध-तत्परता, विश्वसनीयता, सामंजस्य और भविष्य की तैयारियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. इससे पहले 24 मई को राजधानी दिल्ली में ही चीफ ऑफ नेवल स्टाफ (सीएनएस) ने भारतीय नौसेना के अधिकारियों को संबोधित करते हुए युद्ध तत्परता और आत्मनिर्भरता पर दिया था. अपने पहले संबोधन में, एडमिरल त्रिपाठी ने भारतीय नौसेना की युद्ध तत्परता, राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता पर जोर दिया था. उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य हर समय राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा के लिए युद्ध तैयार रहना है—किसी भी समय, कहीं भी, किसी भी तरह!” उन्होंने सतर्कता और सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर बल दिया. 

एडमिरल त्रिपाठी ने आत्मनिर्भरता की प्रतिबद्धता दोहराते हुए आंतरिक समाधान और अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया था. उन्होंने अधिकारियों से “समाधान प्रदाता” बनने और परिणामों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया. उनका संबोधन नौसेना के भविष्य के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश था.

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