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भारत और नेपाल के DGMO पहुंचे पिथौरागढ़, सैन्य संबंधों में जगी नई किरण

जेन-जी आंदोलन के बाद नेपाल की सेना ने पहली बार भारतीय सेना के साथ साझा युद्धाभ्यास, सूर्यकिरण के 19वें संस्करण में हिस्सा लिया है (26 नवंबर-08 दिसंबर). उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में दोनों देशों की सेनाओं ने काउंटर-टेररिज्म ड्रिल में हिस्सा लिया. खास बात है कि युद्धाभ्यास के समापन पर दोनों देशों के डीजीएमओ ने एक्सरसाइज की समीक्षा की.

ये पहला युद्धाभ्यास है जिसकी समीक्षा डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (डीजीएमओ) ने की है. अभी तक इस तरह की मिलिट्री एक्सरसाइज की समीक्षा, फील्ड फोर्मेशन्स के कमांडर करते आए हैं. भारतीय सेना की तरफ से डीजीएमओ, लेफ्टिनेंट जनरल मनीष लूथरा ने एक्सरसाइज में हिस्सा लिया तो, नेपाल की तरफ से मेजर जनरल अनूप जंग थापा ने.

यूएन चार्टर के तहत सूर्यकिरण एक्सरसाइज का 19वां संस्करण संपन्न

बटालियन-स्तर की इस एक्सरसाइज को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के आतंक-विरोधी चार्टर के तहत आयोजन किया गया. एक्सरसाइज के दौरान साझा टेक्टिक्स, टेक्नीक और प्रोसिजर को प्रदर्शित किया गया. इस दौरान, दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियों ने पहाड़ और जंगल-क्षेत्र में इंटेलिजेंस पर आधारित सर्जिकल ऑपरेशन्स की रिहर्सल की. इनमें आईएसआर यानी इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रेनोकोसेंस सहित प्रशेसियन-टारगेटिंग ड्रोन, डे-नाइट वेपन साइट और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) आधारित सर्विलांस फीड जैसे उन्नत दर्जे की टेक्नोलॉजी को शामिल किया गया. इसके अलावा जंग के दौरान कम्युनिकेशन सिस्टम को कैसे सुरक्षित रखा जाए, उससे जुड़े ऑपरेशन्ल और लॉजिस्टिक प्लेटफॉर्म का भी इस्तेमाल किया गया.

भारतीय सेना के मुताबिक, दोनों देश सामरिक तौर से महत्वपूर्ण हिमालय की सुरक्षा और मानवीय सहायता की तैयारियों को बखूबी जानते हैं. ऐसे में दोनों देशों के डीजीएमओ ने ऑपरेशन्ल तालमेल को मजबूत करने, आपसी विश्वास को गहरा करने और दोनों सेनाओं के बीच दीर्घकालिक सैन्य भाईचारे को मजबूत करने के लिए अभ्यास की सराहना की.

एक्सरसाइज में बटालियन, कंपनी और स्मॉल टीम के स्तर पर काउंटर-टेररिज्म वातावरण में निर्बाध अंतर-संचालन, समन्वित मिशन योजना और संयुक्त सामरिक संचालन के समन्वित निष्पादन पर प्रकाश डाला गया.

भारतीय सेना के मुताबिक, सूर्यकिरण एक्सरसाइज का 19वां संस्करण, क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए एकता, तैयारी और साझेदारी का एक शक्तिशाली प्रदर्शन है.

जेन-जी आंदोलन के बाद नेपाल आर्मी की मदद से काठमांडू में बनी नई सरकार

इसी वर्ष सितंबर के महीने में नेपाल में युवाओं ने सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था. बड़ी संख्या में नौजवान और छात्र-छात्राएं सड़कों पर उतर आए थे. ऐसे में प्रधानमंत्री केपी शर्मा और राष्ट्रपति तक को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में सेना की मदद से नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया था.

ओली की सरकार को चीन का पिछलग्लू माना जाता था. ऐसे में पिथौरागढ़ जिले में भारत और चीन के ट्राई-जंक्शन पर कालापानी पानी इलाके को नेपाल की पूर्व-सरकार अपना बताने की कोशिश करती थी. 

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