रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ हुए डिसएंगेजमेंट करार को आगे ले जाने का ऐलान किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि सैनिकों के पीछे हटने के बाद दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों की संख्या को कम करने पर भी विचार कर सकते हैं.
हाल ही में थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी कहा था कि डिसएंगेजमेंट के बाद चीनी सेना से डि-एस्कलेशन यानी सैनिकों की संख्या को कम करने पर भी बात की जाएगी.
गुरुवार को अरूणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा और मेजर बॉब खाथिंग वीरता संग्रहालय का ई-उद्घाटन करते हुए रक्षा मंत्री ने चीन के साथ सीमा-विवाद समाप्त करने की दिशा में डिसएंगेजेमेंट से आगे जाने की बात कही.
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत एलएसी के कुछ इलाकों में डिसएंगेजमेंट बहाल करने के लिए भारत और चीन के बीच बनी व्यापक सहमति के जिक्र के साथ की.
राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत और चीन के बीच एलएसी के कुछ इलाकों में मतभेदों को दूर करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर बातचीत जारी है और इसके परिणामस्वरूप समानता और आपसी सुरक्षा के आधार पर व्यापक सहमति बनी है. इस सहमति में पारंपरिक इलाकों में गश्त और स्थानीय चरवाहों के अधिकार भी शामिल हैं.
रक्षा मंत्री के मुताबिक, दोनों देशों के बीच इस सहमति के आधार पर सैनिकों को वापस हटाने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. हमारी कोशिश होगी कि मामले को सैनिकों को वापस हटाने की प्रक्रिया से आगे ले जाया जाए, लेकिन इसके लिए हमें थोड़ा और इंतजार करना होगा.”
रक्षा मंत्री ने असम के तेजपुर में 4 कोर मुख्यालय से उद्घाटन किया. उन्हें तवांग जाना था, लेकिन खराब मौसम के कारण वे नहीं जा सके. प्रकाश पर्व ‘दीपावली’ के साथ-साथ ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के अवसर पर वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया गया. प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर का दिन प्रथम उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है.
रक्षा मंत्री ने उत्तर-पूर्व राज्यों की प्रगति में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने असम और तवांग को जोड़ने वाली सेला सुरंग का विशेष उल्लेख किया, जो पूर्वोत्तर क्षेत्रों में संपर्क बढ़ाती है. उन्होंने कहा, “आने वाले समय में अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे परियोजना पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र, खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाएगी. करीब 2000 किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग इस क्षेत्र के साथ-साथ पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक और आर्थिक संपत्ति के रूप में अपनी पहचान बनाएगा.”
गुरुवार को दीपावली के अवसर पर भारत और चीन की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के पांच मीटिंग पॉइंट पर मिठाई और उपहार का आदान-प्रदान किया. डिसएंगेजमेंट करार के तहत बुधवार को दोनों देशों की सेनाएं डेप्सांग प्लेन और डेमचोक जैसे विवादित इलाकों से पीछे हट गई थी. माना जा रहा है कि जल्द यहां दोनों देशों के सैनिक पेट्रोलिंग करेंगे. (दीपावली पर चीन सेना को मिठाई, Patrolling होगी शुरू)