इजरायल पर 200 से ज्यादा मिसाइल हमलों के बाद अब ईरान पछता रहा है. हमले के दो हफ्ते के बाद भी इजरायल का ईरान के खिलाफ कोई एक्शन ना लेना ईरान को पच नहीं रहा है. ईरान को अंदर-ही-अंदर ये डर सता रहा है कि इजरायल का अगला कदम है तो है क्या ? इसी खौफ के कारण मिडिल ईस्ट में तनाव के बाद अब ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची शांति वार्ता में लग गए हैं.
अब्बास अराघची ने कहा है कि दूसरे देशों के जरिए अमेरिका के साथ डिप्लोमैटिक रास्ते खुले हैं और ईरान जंग रोकने की पहल कर रहा है. सऊदी अरब समेत कई देशों के दौरे पर गए ईरानी विदेश मंत्री के अचानक से बदले सुर किसी के गले नहीं उतर रहा है.
नेतन्याहू ने बताया आशीर्वाद, तो सऊदी अरब पहुंचे ईरानी विदेश मंत्री
अमेरिका का कट्टर दुश्मन ईरान अब अमेरिका के जरिए ही युद्ध और संघर्ष खत्म कराना चाहता है. ईरान और सऊदी अरब के रिश्ते एक पटरी पर नहीं हैं पर मिडिल ईस्ट में भड़की आग को शांत कराने के लिए सऊदी अरब के साथ ईरान ने संबंध सुधारने के संकेत दिए हैं और यही वजह है कि ईरान के विदेश मंत्री ने सऊदी अरब पहुंचकर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की है. वजह ये भी है कि हाल ही में इजरायली पीएम ने संयुक्त राष्ट्र में नक्शा दिखाकर भारत, सऊदी अरब को आशीर्वाद बताया है.
इजरायल की सऊदी अरब से बढ़ती करीबी ईरान के लिए चिंता बढ़ सकती है, लिहाजा ईरान अब सऊदी अरब को अपने पाले में करना चाहता है, क्योंकि ईरान और सऊदी अरब दोनों ही मिडिल ईस्ट की बड़ी शक्तियां हैं. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सऊदी अरब रवाना होने से पहले कहा ,”इजरायल के खिलाफ सामूहिक आंदोलन शुरु किया जाएगा.”
ईरान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक्स पर पोस्ट करके लिखा, “विदेश मंत्री के दौरे का मकसद क्षेत्र में यहूदी प्रशासन के नरसंहार और आक्रामकता को रोकना, साथ ही गाजा और लेबनान में भाइयों और बहनों के दर्द को खत्म करना है.”
अमेरिका के साथ कूटनीतिक रास्ते खुले हैं: ईरान
ईरान पर किसी भी वक्त इजरायल जवाबी कार्रवाई कर सकता है. लिहाजा ईरान अब डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए इजरायल को रोकना चाहता है. अगर इजरायल ने पलटवार किया तो ईरान के साथ युद्ध जैसी स्थिति बन जाएगा. अगर दोनों देशों में युद्ध हुआ तो मुस्लिम देशों की भूमिका बड़ी होगी. सऊदी अरब, जॉर्डन जैसे देश तटस्थ हैं पर तनाव की स्थिति में ये देश ईरान या इजरायल में से एक को चुन सकते हैं. ईरान और सऊदी अरब में पिछले कई सालों से तनाव है पर चीन की मध्यस्थता से दोनों देशों में रिश्ते थोड़े सुधरे हैं.
ईरान जानता है कि अगर इजरायल ने हमला किया तो उनकी कठिनाइयां और बढ़ जाएंगी. और तरह की पाबंदियां लगाई जा सकती हैं, जिससे ईरान में आर्थिक संकट और गहरा जाएगा. लिहाजा ईरान अब डर रहा है, इसलिए दूसरे देशों के माध्यम से अमेरिका से संपर्क साधकर इजरायल के हमले को टालना चाहता है.