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तुर्की को ब्रिक्स का मलाल, कश्मीर पर एर्दोगन के अनर्गल बोल

दुनिया तरक्की के रास्ते पर है, चांद तक पहुंच रही है, एक से एक बिजनेस मॉडल ला रही है, अपने देश के सुरक्षा पुख्ता कर रही है, तो भारत का एक ऐसा पड़ोसी मुल्क और उसके मित्रों को सिर्फ और सिर्फ कश्मीर पर रोना आता है. जब देखो तब, मुंह खोलते ही कश्मीर राग शुरु हो जाता है.

ब्रिक्स में शामिल होने के लिए बेकरार तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन पाकिस्तान पहुंचे तो पाकिस्तान की तरह वो भी कश्मीर का रोना लेकर बैठ गए. क्या पाक पीएम शहबाज शरीफ की तरह ही राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन की भी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है, क्या वो ये नहीं जानते हैं कि कश्मीर “भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा”.

पाकिस्तान दौरे पर पाकिस्तान के साथ विकास की बात करने गए एर्दोगन भारत में ताका झांकी कर रहे हैं.

हम कश्मीर के भाईयों के साथ खड़े हैं: तुर्की के राष्ट्रपति

पाकिस्तान के दौरे पर पहुंचे तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने शहबाज शरीफ से द्विपक्षीय वार्ता के दौरान कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की वकालत की है. एर्दोगन ने कहा कि “कश्मीर मुद्दे को भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए, जिसमें कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं पर उचित विचार किया जाना चाहिए.” 

एर्दोगन ने मीडिया को दिये बयान में कश्मीर मुद्दे पर बात की. उन्होंने कहा, “हमारा राज्य और हमारा राष्ट्र, अतीत की तरह आज भी हमारे कश्मीरी भाइयों के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है.”

पाकिस्तान है एर्दोगन का दूसरा घर: शहबाज शरीफ

पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ को लगा चलो कोई तो है, जो कश्मीर के मुद्दे पर उनके नापाक इरादों के साथ है. इसलिए शहबाज ने एर्दोगन की शान में ऐसे कसीदे पढ़े हैं, ऐसे कसीदे पढ़े हैं, कि पूछिए ही मत.

शहबाज शरीफ ने कहा कि, “पाकिस्तान, तुर्की के नेता का दूसरा घर है और यहां पांच साल बाद उनका फिर से आना अद्भुत है.” भूकंप और बाढ़ के दौरान पाकिस्तान के साथ खड़े रहने के लिए तुर्की का आभार जताया. शहबाज ने कहा, “आपकी पाकिस्तान यात्रा ने हमारे भाईचारे के संबंधों को एक नई ऊंचाई दी है.”

ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है तुर्की, भारत ने रोका रास्ता?

तुर्की, ब्रिक्स समूह का सदस्य बनना चाहता है. ब्रिक्स के 16वें शिखर सम्मेलन से पहले तुर्की ने औपचारिक रूप से ब्रिक्स में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था. ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका संस्थापक सदस्य हैं. जबकि ईरान, मिस्र और इथियोपिया और यूएई को हाल ही में इसमें जगह दी गई है. तुर्की के आवेदन पर बात आगे नहीं बढ़ पाई.

हालांकि पिछले साल रूस के कजान में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन को आमंत्रित किया गया था. उसी दौरान ये बात भी सामने आई थी कि भारत ने ब्रिक्स में शामिल नए देशों को वोटिंग-अधिकार ना देने की बात कही है. ऐसे में जब ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने पहुंचे तुर्की के राष्ट्रपति तैयब एर्दोगन को शिखर सम्मेलन के आखिरी दिन ब्रिक्स-प्लस सम्मेलन में शामिल किया गया. यानी पिछले साल कजान में हुए 23 अक्टूबर को मुख्य सम्मेलन में उन्हें जगह नहीं दी गई.

मुख्य शिखर सम्मेलन में उन्हीं नौ (09) देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बैठक में शामिल किया गया जो मुख्य सदस्य-देश हैं. इनमें पांच संस्थापक-सदस्य देश, भारत, रूस, चीन, ब्राजील और साउथ अफ्रीका शामिल थे. 

दरअसल तुर्की नाटो देशों में शामिल है, जिसके बाद कई नेताओं ने ब्रिक्स में एर्दोआन के बुलाए जाने पर आपत्ति जताई थी. ऐसा भी कहा गया कि भारत ने भी तुर्की के ब्रिक्स में शामिल होने का विरोध किया है. चूंकि तुर्की की पाकिस्तान से करीबी है इसलिए भारत नहीं चाहता था कि वो ब्रिक्स देशों में शामिल हो. हालांकि तुर्की ने अपनी सफाई में कहा था कि भारत के तुर्की की ब्रिक्स सदस्यता का विरोध करने वाली बात बिल्कुल बेबुनियाद है. ब्रिक्स की जगह तुर्की को ब्रिक्स प्लस में जगह दी गई है जिन 13 देशों को ब्रिक्स-प्लस में जगह दी गई है, उनमें तुर्की के अलावा, अल्जीरिया, बेलारूस, बोलीविया, क्यूबा, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, मलेशिया, नाइजीरिया, थाईलैंड, उगांडा, उज्बेकिस्तान और वियतनाम शामिल हैं.

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