अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की होने वाली बैठक से पहले नाटो ने अपना शक्ति प्रदर्शन शुरु किया है. बताया जा रहा है कि इस युद्धाभ्यास के जरिए नाटो देश रूस पर दबाव बना रहे हैं. आश्चर्य करने वाली बात ये है कि इस युद्धाभ्यास में अमेरिकी बी 1 बी बॉम्बर्स भी हिस्सा ले रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की वार्ता से पहले अमेरिका ने नाटो देशों के साथ मिलकर रूस पर अप्रत्यक्ष तौर पर सैन्य अभ्यास के जरिए दबाव बनाना शुरु कर दिया है.
शांति वार्ता से पहले नाटो देशों का युद्धाभ्यास, भड़क सकते हैं पुतिन
15 अगस्त होने वाली ट्रंप-पुतिन की बैठक पर पूरी दुनिया की नजर है. ट्रंप को उम्मीद है कि वो युद्ध पर लगाम लगाने में सफल होंगे, लेकिन अगर युद्ध विराम नहीं हुआ तो यूरोप के एक कदम से रूस और आक्रामक हो सकता है जिसके निशाने पर यूरोप के देश आ सकते हैं. ट्रंप-पुतिन की बैठक से पहले नाटो देशों ने घातक विमानों के साथ एक युद्धाभ्यास शुरु किया है, जिससे पुतिन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है.
इस युद्धाभ्यास में हिस्सा लेने के लिए अमेरिकी वायु सेना के बी-1 बी लांसर बॉम्बर विमान नॉर्वे के ऑरलैंड एयर बेस पर उतरे, जहां बॉम्बर टास्क फोर्स यूरोप के हिस्से के रूप में नाटो सहयोगियों के साथ एक उच्च-स्तरीय प्रशिक्षण अभियान शुरू किया हैं. बताया जा रहा है कि टेक्सास के डायस एयरफोर्स बेस से उड़ान भरकर, इनमें से तीन सुपरसोनिक हैवीवेट विमान नॉर्वे में उतरे और उनके साथ स्पेनिश ईफएफ ए- 18 एम हॉर्नेट भी थे, जो आइसलैंड के केफ्लाविक एयरबेस से नाटो के एयर पुलिसिंग मिशन के साथ नजर आए.
ये सिर्फ उड़ान भरने का नाटक नहीं, नाटो सहयोगियों संग जटिल अभ्यास: अमेरिकी कमांडर
345वें बम स्क्वाड्रन के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल एरिक अल्वारेज ने बड़ा बयान देते हुए कहा, “यह तैनाती हमें अपने नाटो सहयोगियों के साथ एकीकृत, तैयार और अनुकूल तरीके से लड़ने का प्रशिक्षण देती है. यह सिर्फ उड़ान भरने वाला नाटक नहीं है, यह 2025 में बीटीएफ यूरोप में पांचवीं तैनाती है, जो यूरोप में एक अग्रिम, युद्ध-तैयार स्थिति बनाए रखने की अमेरिका की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है. इस में हिस्सा लेने वाले सैनिक जटिल, उच्च-खतरे वाले हवाई क्षेत्र खतरनाक हवाई और जमीनी खतरों का सामना कर रहे हैं.”
नाटो के युद्धाभ्यास के मुकाबले रूस-बेलारूस दिखाएंगे दम
रूस और बेलारूस मिलकर एक बड़ा युद्धाभ्यास करने वाले हैं. माना जा रहा है कि नाटो देशों ने उस युद्धाभ्यास से पहले अपना दमखम दिखाकर ये संदेश देने की कोशिश की है, कि नाटो देश एकजुट हैं और रूस का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं.
रूस 12 से 16 सितंबर तक बेलारूस के साथ जापाड 2025 सैन्य अभ्यास करेगा. रूस और बेलारूस द्वारा आयोजित एक संयुक्त रणनीतिक सैन्य अभ्यास है. रूसी सैनिकों और उपकरणों को बेलारूस पहुंचाया जा रहा है. इस अभ्यास को लेकर कीव और नाटो ने चिंता जताई है, क्योंकि उनका मानना है कि इसका इस्तेमाल आक्रामकता के लिए कवर के रूप में किया जा सकता है.