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पिनाका में बढ़ रही पश्चिमी देशों की दिलचस्पी

भारत के स्वदेशी मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम, पिनाका का डंका अब पश्चिमी देशों तक बज रहा है. आर्मेनिया को एक्सपोर्ट करने के बाद इंडोनेशिया और नाईजीरिया जैसे देश तो पिनाका में दिलचस्पी दिखा ही रहे हैं, फ्रांस भी खासा प्रभावित है. यही वजह है कि भारत के दौरे पर आए फ्रांस के सेनाध्यक्ष पिनाका के फायरिंग प्रदर्शन देखने के लिए राजस्थान जा रहे हैं. 

फ्रांसीसी सेना के सेनाध्यक्ष जनरल पियरे शिल इनदिनों (27-29 फरवरी) भारत की यात्रा पर हैं. मंगलवार को जनरल पियरे ने भारतीय समकक्ष जनरल मनोज पांडे से राजधानी दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक में मुलाकात की. इस दौरान दोनों देशों के सेना प्रमुखों ने आपसी विचारों का आदान-प्रदान किया और दोनों सेनाओं के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने सहित विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर रचनात्मक चर्चा की. जनरल पियरे ने अपनी यात्रा की शुरुआत राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर भावपूर्ण पुष्पांजलि समारोह के साथ की, जहां उन्होंने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय सशस्त्र बलों के वीरगति को प्राप्त नायकों को श्रद्धासुमन अर्पित किये.

बुधवार को जनरल पियरे जयपुर स्थित भारतीय सेना की सप्तशक्ति कमान का दौरा करेंगे और वरिष्ठ सैन्य कमांडरों से बातचीत करेंगे. राजस्थान दौरे के दौरान सभी की निगाहें टिकी होंगी महाजन फील्ड फायरिंग रेंज पर यहां जनरल पियरे भारत की पिनाका रॉकेट सिस्टम का फायरिंग प्रदर्शन देखेंगे. 

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित पिनाका, एक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम है जो 44 सेकंड में 12 रॉकेट दागता है. भगवान शिव के धनुष ‘पिनाक के नाम पर इस रॉकेट सिस्टम को नाम दिया गया है जो चंद सेकेंड में दुश्मन के बंकर, चौकियों और दूसरे महत्वपूर्ण ठिकानों को नेस्तनाबूद कर देने की क्षमता रखता है. 90 के दशक के मध्य से भारतीय सेना पिनाका को इस्तेमाल कर रही है. करगिल युद्ध के दौरान भी भारतीय सेना ने पाकिस्तानी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया था. 

पिनाका की रेंज करीब 40 किलोमीटर है लेकिन वर्ष 2019 में डीआरडीओ ने इस रॉकेट को मिसाइल सिस्टम में तब्दील कर दिया था ताकि मारक क्षमता और रेंज को बढ़ाया जा सके. अब पिनाका सिस्टम की रेंज करीब 75 किलोमीटर हो गई है. हाल ही में भारतीय सेना ने इन पिनाका सिस्टम की 06 नई रेजीमेंट को पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी एलएसी पर तैनात किया है. 

पिछले साल जुलाई के महीने में आर्मेनिया ने करीब 2000 करोड़ रुपये में भारत से पिनाका की चार बैटरी (यूनिट) खरीदी थी. इसको लेकर आर्मेनिया के पड़ोसी और दुश्मन देश अजरबैजान ने भारत से अपनी नाराजगी जताई थी. (भारत का पिनाका पहुंचा आर्मेनिया, मिर्ची लगी पाकिस्तान के दोस्त को)

मौजूदा रुस-यूक्रेन युद्ध में रॉकेट सिस्टम का जबरदस्त इस्तेमाल किया गया है. रुस ने यूक्रेन के सैन्य ठिकानों और आर्टिलरी गन सिस्टम को तबाह करने के लिए स्मर्च और ग्रैड रॉकेट सिस्टम का बड़ी संख्या में इस्तेमाल किया है. भारत के पास भी स्वेदशी पिनाका के अलावा ये दोनों (ग्रैड और स्मर्च) रॉकेट सिस्टम हैं. 

दरअसल, किसी भी तोप से एक के बाद एक गोला दागने में काफी समय लगता है. मिसाइल सिस्टम भी एक बार में एक या दो बार ही दागी जा सकती है. लेकिन दुश्मन के ठिकानों को पूरी तरह तबाह करने के लिए एक बाद एक रैपिड फायरिंग के लिए रॉकेट सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा दुश्मन देश की सेना पर भी इस तरह के प्रहार का काफी साईक्लोजिक प्रभाव पड़ता है. यही वजह है कि मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम रणभूमि का एक अहम हथियार बनकर उभरा है. इसी का कारण है कि फ्रांस सहित ज्यादा से ज्यादा देशों की सेनाओं की दिलचस्पी पिनाका जैसे रॉकेट सिस्टम में काफी बढ़ गई है. (https://youtu.be/cHrj8wHbozc?si=cmLM1O2BXTG_IXFP)

भारतीय सेना के मुताबिक, गुरूवार (29 फरवरी) को जनरल पियरे प्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) में अधिकारियों को संबोधित भी करेंगे. सेना के प्रवक्ता के मुताबिक, “जनरल पियरे शिल की यात्रा रक्षा, सुरक्षा और प्रौद्योगिकी में अपने रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने के लिए फ्रांस और भारत की साझा प्रतिबद्धता को उजागर करती है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच इस तरह की द्विपक्षीय यात्राएं और विभिन्न अभ्यास सशस्त्र बलों के बीच लंबे समय से चले आ रहे बंधन का प्रतीक हैं तथा क्षेत्रीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनके समर्पण को मजबूत करते हैं.”

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