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अफगान पठान से दोस्ती, Ayni एयरबेस किया खाली

सामरिक तौर से महत्वपूर्ण सेंट्रल एशियाई देश तजाकिस्तान के एयनी एयरबेस से भारत ने पिछले 25 सालों की मौजूदगी खत्म करने का फैसला किया है. देश से बाहर इस एकमात्र एयरबेस को भारत, 2002 से ऑपरेट कर रहा था. ताजिकिस्तान से समझौता की मियाद पूरी होने के चलते भारत ने बेस खाली किया है या किसी दूसरी वजह से ये साफ नहीं है. 

वर्ष 2002 में रुस के साथ मिलकर ताजिकिस्तान के एयनी एयरबेस को लेकर भारत ने किया था समझौता

साल 2002 में भारत, रूस और ताजिकिस्तान के बीच एक बड़ा समझौता हुआ था, जिसके तहत भारत ने इस एयरबेस के पुनर्निर्माण और आधुनिकरण का काम अपने हाथों में लिया था.  साल 2022 में ही लीज़ समाप्त हो गई थी. भारत की वापसी की प्रक्रिया 2022 में ही पूरी हो गई थी, लेकिन बेस खाली करने की जानकारी अब सामने आई है. 

9-11 हमले और अफगानिस्तान में अमेरिका के हमले के बाद ताजिकिस्तान ने भारत और रूस के साथ मिलकर एयनी एयरबेस को लेकर ये संधि की थी. उस वक्त, अगले 20-20 वर्ष के लिए भारत और रूस को इस एयरबेस का रख-रखाव करना था. अब इस एयरबेस को ताजिकिस्तान ने पूरी तरह अपने कब्जे में कर लिया है या रूस की भी मौजूदगी है, ये भी साफ नहीं है. 

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान का इंतजार

ऐसा फैसला क्यों लिया गया है, इस पर विदेश मंत्रालय का औपचारिक बयान आना है, लेकिन बताया जा रहा है कि तजाकिस्तान के राष्ट्रपति विदेशी सैनिकों की लंबे वक्त तक मौजूदगी के खिलाफ थे. वहीं भारत का फोकस भी हाल के वर्षों में सेंट्रल एशिया की जगह इंडो पैसिफिक क्षेत्र पर है. 

अफगानिस्तान के तालिबान के करीब पहुंचा भारत

एयनी एयरबेस के खाली होने की खबर ऐसे समय में आई है जब भारत और तालिबान के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैं. खबर ऐसे भी सामने आई है कि निकट भविष्य में अफगानिस्तान, बगराम एयरबेस को भारत को सौंपने पर विचार कर सकता है. ये वही बगराम एयरबेस है जिस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नजर है.

भारत की तरफ से हालांकि बगराम एयरबेस को लेकर कोई मंशा जाहिर नहीं की गई है. लेकिन अगर ऐसा होता है तो ये भारत के लिए सामरिक तौर से एक बड़ा कदम माना जाएगा.

रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जाता है एयनी एयरबेस 

ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है एयनी एयरबेस. भारतीय सैन्य अभियानों के लिए एक अहम केंद्र माना जाता था, क्योंकि यह बेस अफगानिस्तान और चीन के शिंजियांग प्रांत से भी सटा है. लिहाजा पाकिस्तान के साथ भारत चीन की भी गतिविधि पर नजर रखता था. 

एयनीबेस पर वर्ष 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दौरा किया था. साथ ही वायुसेना के सुखोई और मिग-29 फाइटर जेट भी यहां तैनात रहे थे और एक्सरसाइज भी की थी. वर्ष 2021 में अफगानिस्तान से भारतीय मूल के नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए वायुसेना ने इस बेस का इस्तेमाल किया था. 

इस बेस का निर्माण सोवियत संघ के समय में हुआ था, लेकिन सोवियत की समाप्ति के बाद यह बेस ताजिकिस्तान सरकार के कंट्रोल में आ गया.

हालांकि भारत और तजाकिस्तान के साथ संबंध बेहद संतुलित हैं. कई तरह के व्यापारिक और सैन्य सहयोग दोनों देशों के संबंध को अच्छा बनाते हैं. 

लीज़ पर था एयरबेस, विदेशी सैनिकों की मौजूदगी को लेकर था तजाकिस्तान पर दबाव

भारतीय वायुसेना ने एयनी एयरबेस पर मिग-29 फाइटर जेट्स, हेलीकॉप्टर, हैंगर और रनवे सिस्टम को अपग्रेड किया था. बताया जा रहा है कि भारत, ताजिकिस्तान के साथ मिलकर लीज़ के तहत इस एयरबेस को ऑपरेट कर रहा था. 

भारत ने 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अपने नागरिकों को निकालने के लिए इस एयरबेस का काफी इस्तेमाल किया था. 

इस बेस पर लगभग 150 भारतीय कर्मी, जिनमें बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) के सदस्य भी शामिल थे, वो तैनात थे. जिन्हें भारत वापस बुला चुका है. 

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल और पूर्व वायुसेना प्रमुख बी.एस. धनोआ ने इस एयरबेस की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस एयरबेस का वित्तपोषण विदेश मंत्रालय द्वारा किया गया था.

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