अमेरिका सहित सभी जी-7 देशों को उम्मीद है कि पश्चिम एशिया संकट का हल कूटनीति के जरिए निकाला जा सकता है. अमेरिका सहित दुनिया के सभी सात विकसित देशों का मानना है कि पूरे पश्चिम एशिया में युद्ध की आग बढ़ाना किसी के हित में नहीं है.
इजरायल पर ईरान के मिसाइल अटैक और उससे उपजे संकट के समाधान के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जी-7 देशों की मौजूदा अध्यक्ष इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के आह्वान पर एक कॉन्फ्रेंस कॉल का आयोजन किया गया था. इस कॉन्फ्रेंस में सभी सात जी-7 देशों के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद थे.
बैठक में इजरायल पर ईरान के हमले की जमकर आलोचना की गई. हालांकि, बैठक में तनाव कम करने पर जोर दिया गया.
अमेरिका, इटली, कनाडा, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान और फ्रांस वाले इस समूह ने पश्चिम एशिया में संघर्ष रोकने के लिए गाजा में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के 2735 प्रस्ताव और इजरायल-लेबनान के बीच 1701 प्रस्ताव को लागू करने का आह्वान किया.
उधर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इजरायल और हिजबुल्लाह, दोनों को ही लगातार एक दूसरे पर हमला करने के लिए नाराजगी जताई है. गुटेरेस ने कहा रोजाना, इजरायल और हिजुबल्लाह एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं. ऐसे में यूएन के 1701 प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं रह जाता है.
यूएन के 1701 प्रस्ताव के तहत इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच वर्ष 2006 में (लेबनान युद्ध) के दौरान युद्धविराम स्थापित किया गया था. प्रस्ताव के तहत इजरायल और लेबनान की सीमा पर एक ब्लू लाइन खींची गई है जहां यूएन पीसकीपिंग फोर्स (यूएनआईएफएल) तैनात है.
लेबनान में लिमिटेड ग्राउंड अटैक से पहले इजरायल ने यूनाइटेड नेशन्स इंटरिम फोर्स इन लेबनान को अपने प्लान की जानकारी दी थी. यानी इजरायली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ब्लू लाइन पार कर सीमावर्ती दक्षिणी लेबनान में दाखिल हो रही है.