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इतिहास बना गए जनरल मनोज पांडे, सेना प्रमुख के पद से हुए रिटायर

Gen Manoj Pande on last day of his tenure as Army Chief entering South Block.

दो साल से ज्यादा तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना की कमान संभालने वाले थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे रविवार को रिटायर हो गए. पिछले एक महीने से जनरल पांडे विस्तार पर थे. उनकी जगह पर सरकार ने जनरल उपेंद्र द्विवेदी को भारतीय सेना की कमान सौंपी है. लेकिन जनरल पांडे ने भारतीय सेना के इतिहास में अपना नाम पहले ‘कॉम्बेट सपोर्ट आर्म’ चीफ के तौर पर दर्ज करा लिया है. 

भारतीय सेना के इतिहास के जनरल पांडे पहले चीफ थे जो ‘कॉम्बेट-आर्म’ (इंफैन्ट्री, आर्मर्ड या आर्टिलरी) से ताल्लुक नहीं रखते थे. बावजूद इसके सरकार ने एक ‘कॉम्बेट-इंजीनियर’ को थलसेना प्रमुख बनाकर सेना में कॉम्बेट और कॉम्बेट-सपोर्ट आर्म्स की खाई को पाटने की कोशिश की. 

कोर ऑफ इंजीनियर्स (बॉम्बे सैपर्स) से ताल्लुक रखने वाले जनरल पांडे के नेतृत्व में थलसेना ने मेक इन इंडिया, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर, स्वदेशी हथियार और ‘कटिंग एज मिलिट्री टेक्नोलॉजी’ पर खासा ध्यान दिया. साथ ही पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन ने घुसपैठ जैसे कोई हिमाकत नहीं की. 

दरअसल, जनरल पांडे को 30 मई को ही रिटायर होना था. लेकिन चुनाव के बीच सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का कार्यकाल एक महीने के लिये बढ़ा दिया (30 जून तक). 

1982 में भारतीय सेना में कमीशन हुए जनरल पांडे, आर्मी चीफ बनने से पहले साउथ ब्लॉक स्थित सेना मुख्यालय में वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सह-सेनाध्यक्ष) के पद पर रह चुके थे. 30 अप्रैल 2022 को जनरल पांडे ने सेना प्रमुख का पदभार संभाला था.

रिटायर होने से पहले जनरल पांडे ने खड़कवासला स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में कैडेट-ऑफिसर्स की पासिंग आउट परेड (पीओपी) के दौरान सैन्य मामलों में टेक्नोलॉजी के महत्व और राष्ट्र-निर्माण में युवाओं के योगदान का मंत्र दिया था. थलसेना प्रमुख ने कहा था कि “मिलिट्री-एफेयर्स में टेक्नोलॉजी के जरिए ही क्रांति आ सकती है.”

जनरल पांडे तो मित्र-देशों के साथ मिलिट्री-डिप्लोमेसी को बढ़ावे देने के लिए भी खासा जाना जाएगा. उनके नेतृत्व में पहली बार अमेरिका के साथ मिलकर भारतीय सेना ने राजधानी दिल्ली में पहली ‘इंडो-पैसिफिक आर्मी चीफ कॉन्फ्रेंस’ का आयोजन किया. इस सम्मेलन में भारत और अमेरिका सहित इंडो-पेसिफिक क्षेत्र के डेढ़ दर्जन सेना प्रमुखों सहित कुल 30 देशों ने हिस्सा लिया था. 

साउथ एशिया और इंडो-पेसिफिक में रक्षा-सुरक्षा चुनौतियों के विश्लेषण के लिए जनरल पांडे ने खास ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग’ का आयोजन भी किया था. 

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