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जनरल द्विवेदी ने संभाली भारतीय सेना की कमान, JAKRIF से रहा ताल्लुक

Gen Upendra Dwivedi takes over as 30th Army Chief.

दुनियाभर में तेजी से बदल रही जियो-पॉलिटिक्स से और तकनीक के माध्यम से आधुनिक युद्ध का रुख बदलने के बीच जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भारतीय सेना के 30वें प्रमुख के तौर पर कमान संभाल ली है. उन्हें जनरल मनोज पांडे के रिटायरमेंट पर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना का चीफ बनाया गया है. जनरल द्विवेदी फिलहाल भारतीय सेना के सह-प्रमुख  (वाइस चीफ) के पद पर तैनात थे. 

सह-सेना प्रमुख बनाए जाने से पहले ले.जनरल द्विवेदी (2022-24) भारतीय सेना की उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के कमांडर (जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ) थे. पूरे जम्मू-कश्मीर की आंतरिक सुरक्षा से लेकर पाकिस्तान से सटी एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) और पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी. 

जनरल द्विवेदी ने ऐसे समय में कमान संभाली जब शनिवार को ही पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी लाइन ऑफ एक्युअल कंट्रोल (एलएसी) पर बेहद ही संवेदनशील डीबीओ सेक्टर में एक टैंक के नदी में बहने से पांच सैनिकों की मौत हो गई थी. 

1964 में जन्मे जनरल द्विवेदी, 1984 में भारतीय सेना की जम्मू-कश्मीर राइफल्स (जैकरिफ) में कमीशन हुए थे. वे मध्य प्रदेश के रीवा स्थित सैनिक स्कूल के पास आउट हैं और यूएस वार कॉलेज से भी पढ़ाई कर चुके हैे. जैकरिफ से ताल्लुक रखने वाले वे पहले सेना प्रमुख हैं. जनरल द्विवेदी को पूर्वी, पश्चिमी और उत्तरी थिएटर में ऑपरेशन्ल तैनाती का पूरा अनुभव है, साथ ही काउंटर-टेररिज्म में भी उन्हें खासा अनुभव है.

चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के तौर पर जनरल द्विवेदी के सामने देश के सामने सुरक्षा से जुड़ी बड़ी चुनौतियां सामने हैं. जम्मू-क्षेत्र में एक बार फिर सिर उठाता आतंकवाद है तो एलएसी पर चीन से तनातनी जारी है. राष्ट्र सुरक्षा में ग्रे-जोन वारफेयर भी उनके लिए एक चैलेंज है. 

उत्तरी कमान के कमांडर के तौर पर जनरल द्विवेदी ने सिक्योरिटी डोमेन और मिलिट्री सिस्टम में तकनीक को इंटीग्रेट कर ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ाने पर खासा ध्यान दिया था. ऐसे में अब ये कटिंग एज टेक्नोलॉजी पूरी सेना में देखने को मिल सकती है. क्योंकि भारतीय सेना स्वदेशी हथियार और गोला-बारूद सहित रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के राह पर निकल चुकी है. 

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