Alert Breaking News Classified Geopolitics NATO Reports Russia-Ukraine War

जर्मन सेना का ऑडियो लीक, फिर ‘शर्मिंदगी’

जर्मनी की सेना को एक के बाद एक ‘शर्मिंदगी’ का सामना करना पड़ रहा है. ताजा मामला जर्मनी के वायुसेना प्रमुख की टॉप मिलिट्री कमांडर्स से बातचीत का ऑडियो लीक से जुड़ा है. इस ऑडियो में जर्मनी के कमांडर्स क्रीमिया के क्रेच ब्रिज को टॉरस मिसाइल से टारगेट करने की बात करते सुने जा सकते हैं. जहां पूरी दुनिया में जर्मनी के सीक्रेट लीक होने को लेकर आलोचना हो रही है, रुस ने मास्को में जर्मन राजदूत को तलब कर जवाब तलब किया है.

रूसी मीडिया ने 38 मिनट का ऑडियो जारी किया है जिसमें दावा किया गया है कि जर्मनी के मिलिट्री कमांडर्स क्रीमिया में मिसाइल अटैक को लेकर चर्चा कर रहे हैं. ये ऑडियो ऐसे समय में सामने आया है जब जर्मनी के चांसलर ओलाफ शुल्ज इस बात को लेकर पशोपेश में पड़े हैं कि रुस के खिलाफ यूक्रेन को मिसाइल सप्लाई की जाए या नहीं. टोरस मिसाइल की रेंज ब्रिटेन की स्टॉर्म-शेडो और फ्रांस की स्कैल्प मिसाइल से कहीं ज्यादा है जो फिलहाल यूक्रेन की सेनाएं रुस के खिलाफ इस्तेमाल कर रही हैं. 

जानकारी के मुताबिक, लीक ऑडियो में जर्मनी के वायुसेना प्रमुख खासतौर से टॉरस मिसाइल से क्रेच ब्रिज को टारगेट करने पर बात कर रहे हैं. इसके अलावा बातचीत में यूक्रेन को समर्थन दे रहे देशों के सैनिकों की युद्ध के मैदान में मौजूदगी और दूसरे देशों की मिसाइलों के बारे में है. साथ ही यूक्रेन के सैनिकों को ट्रेनिंग पर चर्चा की जा रही है. अजोव सागर पर बना 12 किलोमीटर लंबा क्रेच ब्रिज क्रीमिया को मैनलैंड रशिया से जोड़ता है. वर्ष 2014 में रुस ने क्रीमिया को यूक्रेन से छीन लिया था. उसके बाद ही क्रेच ब्रिज को बनाया गया था. पिछले दो सालों में यानी जब से रूस और यूक्रेन में युद्ध शुरु हुआ है तब से कई बार इस पुल को तबाह करने की कोशिश की गई है. 

जर्मनी ने बातचीत को स्वीकार करते हुए इसे ‘इंफॉर्मेशन-वॉर’ से जोड़ते हुए रुस द्वारा जासूसी की आलोचना की है. जर्मनी का आरोप है कि इस तरह के लीक से यूरोपीय देशों में रुस के खिलाफ एकजुटता में दरार पैदा करने की कोशिश की जा रही है. 

पिछले एक हफ्ते में ‘बुंदेसवेहर’ (जर्मन सशस्त्र सेनाओं) को दूसरी बार शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है. लाल सागर में जर्मन के एक युद्धपोत ने अपने सहयोगी देश अमेरिका के एमक्यू-9 रीपर को दुश्मन का ड्रोन समझ कर दो बार टारगेट करने की कोशिश की. लेकिन दोनों ही टारगेट लक्ष्य पर नहीं लग पाए. इस तरह के ऑपरेशन को लेकर जर्मन मीडिया ने अपने देश की सेना पर तीखा निशाना साधा है. गौरतलब है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी की सेना पहली बार युद्ध के मैदान में उतरी है (लाल सागर में German नेवी के लिए शर्मिंदगी) रुस-यूक्रेन युद्ध से घबराए जर्मनी ने अपना डिफेंस बजट दोगुना कर दिया है जो जीडीपी का करीब दो प्रतिशत है. 

तीसरे वर्ष में दाखिल हो चुके रुस-यूक्रेन युद्ध में जहां पुतिन की सेना मजबूत स्थिति में है, कीव की हालत खराब है. अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के यूक्रेन को दी जाने वाली वित्तीय और सैन्य सहायता पर रोक लगाने से कीव में बेचैनी है. वहीं अमेरिका और यूक्रेन के यूरोपीय सहयोगी देश भी खुलकर रुस के सामने आने से बच रहे हैं. यूरोप इस बात से भयभीत है कि अगर रुस के खिलाफ सीधे कोई कार्रवाई की तो यूक्रेन युद्ध की आग पश्चिमी देशों तक फैल जाएगी.

ReplyForwardAdd reaction
ReplyForwardAdd reaction
ReplyForwardAdd reaction
ReplyForwardAdd reaction

 

ReplyForwardAdd reaction

 

ReplyForwardAdd reaction
ReplyForwardAdd reaction