बांग्लादेश में चल रहे संकट के बीच भारत सरकार, 1965 और 1971 युद्ध में हिस्सा लेने वाले वीर सैनिकों के लिए युद्ध सम्मान योजना के तहत 15 लाख की राशि देने की तैयारी कर रही है. इसके लिए भारतीय सेना के एडजुटेंट जनरल (एजी) ब्रांच ने सभी कमांड सहित पूर्व सैनिकों से जुड़े सरकारी महकमों से रिकॉर्ड मांगा है.
जानकारी के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय के पूर्व सैनिक कल्याण विभाग (डीईएसडब्लू) ने एजी ब्रांच से इस प्रस्ताव को लेकर जानकारी मांगी थी. इसके तहत डीईएसडब्लू डिपार्टमेंट 1965 और 1971 युद्ध में हिस्सा लेने वाले सभी (भूतपूर्व) सैनिकों को 15 लाख की ‘वन-टाइम ग्रांट’ देने की तैयारी कर रही है.
टीएफए के पास एजी ब्रांच के उस लेटर की कॉपी है जो सभी कमांड, केंद्रीय सैनिक बोर्ड (केएसबी), ईसीएचएस, भारतीय सेना की वेटरनर्स विंग इत्यादि को भेजा गया है.
एजी ब्रांच के लेटर के मुताबिक, जिन सैनिकों को समर सेवा स्टार, पूर्वी स्टार और पश्चिमी स्टार मेडल प्रदान किए गए थे, वे सभी इस राशि के हकदार हैं. ये स्टार उन सभी सैनिकों को दिए गए थे जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 युद्ध में हिस्सा लिया था.
एजी ब्रांच ऐसे सभी (पूर्व) सैनिकों की जानकारी इकठ्ठा कर रहा है. साथ ही अगर सैनिकों की जानकारी नहीं है तो उनके पत्नियों की जानकारी भी मुहैया कराई जा सकती है. इसमें कमीशंड ऑफिसर्स के साथ-साथ शॉर्ट सर्विस कमीशन ऑफिसर (एसएससीओ) और इमरजेंसी कमीशंड ऑफिसर्स (ईसीओ) भी शामिल हैं.
वर्ष 2022 में जब इस प्रस्ताव को पहली बार लाया गया था तो पूर्व सैनिकों के संगठनों ने इस स्कीम के तहत सैन्य अफसरों के साथ जेसीओ और एनसीओ (सैनिकों) को भी शामिल करने की अपील की थी.
सोशल मीडिया पर एजी ब्रांच का ये लेटर वायरल हो रहा है. हालांकि, भारतीय सेना की तरफ से इस लेटर और प्रस्ताव के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है.
गौरतलब है कि पिछले साल बांग्लादेश (शेख हसीना) सरकार ने भारतीय सेना के उन सैनिकों के परिवारों (वंशज) को ‘मुजीब स्कॉलरशिप’ देने की घोषणा की थी जो 1971 युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए थे या फिर दिव्यांग हो गए थे. मुजीब स्कॉलरशिप के तहत हायर सेकेंडरी में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को 500 डॉलर का प्रावधान था जबकि अंडर-ग्रेजुएट्स को 1000 डॉलर.
हाल ही में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देकर भारत आने और अंतरिम सरकार बनने से मुजीब स्कॉलरशिप के भविष्य पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं.
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