बलूचिस्तान आंदोलन की वर्षगांठ से पहले पाकिस्तान में चीन के ग्वादर पोर्ट पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ है. दो घंटे तक सुरक्षाबलों से चली मुठभेड़ के बाद पाकिस्तान ने आधा दर्जन से भी ज्यादा बलूच लड़ाकों को मार गिराने का दावा किया है. हर साल बलूच लड़ाके पाकिस्तान के खिलाफ 27 मार्च को ‘ब्लैक-डे’ मनाते हैं.
जानकारी के मुताबिक, बुधवार चार बजे हथियारबंद लड़ाकें ग्वादर पोर्ट के सिक्योरिटी एरिया में दाखिल हो गए थे. इस दौरान दो बम धमाकों और फायरिंग की आवाजें भी सुनाई पड़ी. सुरक्षाबलों ने दो घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद आठ लड़ाकों को मारने का दावा किया. हमले के बाद बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) की माजिद ब्रिगेड ने हमले की जिम्मेदारी ली है. बीएलए के मुताबिक, हमला ग्वादर पोर्ट पर तैनात इंटेलिजेंस विंग के अधिकारियों को निशाना बनाने के लिए किए गया था.
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के फ्लैगशिप प्रोजेक्ट ग्वादर पोर्ट पर ये कोई पहला आतंकी हमला नहीं है. इससे पहले वर्ष 2019 और और फिर पिछले साल अगस्त के महीने में भी ग्वादर पोर्ट का निशाना बनाया गया था. सीपीईसी पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को चीन के शिंजियांग प्रांत को जोड़ता है. इस प्रोजेक्ट में ग्वादर पोर्ट के साथ-साथ रेलवे नेटवर्क और हाईवे भी शामिल है. सीपीईसी (सीपेक) के लिए बड़ी संख्या में चीनी इंजीनियर और दूसरा स्टाफ भी पाकिस्तान में तैनात रहता है. लेकिन बीएलए को चीनी नागरिकों की मौजूदगी मंजूर नहीं है.
ईरान से सटा बलूचिस्तान, पाकिस्तान के बेहद पिछड़े प्रांतों में शामिल है. अपार-खनिज पदार्थ होने के बावजूद पाकिस्तान ने यहां विकास कार्य नहीं किए थे. अब चीन की मदद से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से बलूच लड़ाके गुस्साए हैं और सीपीईसी प्रोजेक्ट पर हमले कर रहे हैं.
पाकिस्तान ने वर्ष 1948 में बलूचिस्तान पर कब्जा किया था. इसी लिए हर साल 27 मार्च को बलूचिस्तान में ‘ब्लैक-डे’ मनाया जाता है और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन होते हैं. इस साल भी 27 मार्च को ‘फ्री-बलूचिस्तान’ आंदोलन को एक बार फिर से खड़ा करने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में बलूचिस्तान और यूरोप दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन किया जाएगा.
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