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राफा बॉर्डर पर जबरदस्त प्रदर्शन, गाजा छोड़ने का विरोध

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के अमेरिका के दौरे से पहले मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फिलिस्तीनियों को गाजा छोड़कर मिस्र और जॉर्डन में बसाने के प्लान पर सड़कों पर बवाल मच गया है. राफा बॉर्डर पर हजारों की संख्या में इजिप्ट (मिस्र) के लोगों ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन शुरु कर दिया है.

4 फरवरी को नेतन्याहू और ट्रंप की व्हाइट हाउस में बैठक होनी है. उससे पहले बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी राफा बॉर्डर पर जमा हो गए और ट्रंप की नीति का विरोध कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप के खिलाफ नारेबाजी की है और कहा है कि गाजा के लोगों को उनकी जमीन से हटाने की कोशिश न केवल गलत है, बल्कि इससे पूरे क्षेत्र में हिंसा और अस्थिरता बढ़ सकती है.

इजरायल-हमास के युद्धविराम के बाद ऐसा लग रहा था कि थोड़े दिनों के लिए ही सही लोगों को बम-गोलियों की आवाजें नहीं सुनाई देंगी. लेकिन राफा बॉर्डर पर जो कुछ भी हो रहा है उससे ट्रंप नाराज हो सकते हैं और अगर ट्रंप जबरन फिलिस्तीनी लोगों को अरब देशों में बसाने की कोशिश करते हैं, तो मामला संवेदनशील हो सकता है. (https://x.com/mshohood/status/1885320443382333890?s=46)

ट्रंप के खिलाफ राफा बॉर्डर पर प्रदर्शन

इजिप्ट के लोगों ने इस बात का विरोध किया कि गाजा के लोगों को उनके देश से हटाकर इजिप्ट में बसाने से मिडिल ईस्ट में टेंशन को बढ़ावा मिलेगा.

जॉर्डन-इजिप्ट के राष्ट्रपति कर चुके हैं ट्रंप को मना

हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्लान को लेकर जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी के साथ कॉल पर बात की है. लेकिन दोनों ही देश फिलिस्तीनी लोगों को उनके देश में बसाने का विरोध जता चुके हैं.

जॉर्डन ने कहा, हमें किसी भी तरह का कोई विस्थापन मंजूर नहीं है. जॉर्डन के विदेश मंत्री ने कहा है कि गाजा में रहने वाले लोग अपनी जमीन से बेहद लगाव रखते हैं और उसे छोड़ना उनके लिए अस्वीकार्य है. यूएन के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो जॉर्डन में पहले से ही 20 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी शरणार्थी रह रहे हैं. ट्रंप के इन नए ऑफर पर जॉर्डन भी टेंशन में है.

अपनी मातृभूमि छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे: फिलिस्तीनी राष्ट्रपति

ट्रंप के प्रस्ताव पर फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने भी आपत्ति जताई है. महमूद अब्बास ने अपने बयान में कहा, “फिलिस्तीनी लोग अपनी मातृभूमि को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे. हमें मरना मंजूर है, लेकिन अपनी जमीन और पवित्र स्थलों को छोड़कर जाना मंजूर नहीं है.”

यहूदियों को नहीं सौपेंगे अपनी जमीन: स्थानीय लोग

सिर्फ राष्ट्रपति ही नहीं फिलिस्तीनी नागरिकों ने भी ट्रंप के ऑफर को बकवास बताया है. स्थानीय लोगों को इस बात का गुस्सा है कि ट्रंप ने ये कैसे कहा कि वो किसी और देश में जाकर बसेंगे. स्थानीय लोगों ने कहा, “इस बात को मानना लोगों के लिए नामुमकिन है. ये सच है कि हम तकलीफ में हैं लेकिन ये नहीं होगा कि हम अपना देश यहूदियों के लिए छोड़ दें. अगर हमें जाना होता तो हम बहुत पहले ही चले जाते. हमने तय किया है कि मर जाएंगे लेकिन फिलिस्तीन में ही रहेंगे.”

ट्रंप के किस बयान पर हो रहा है बवाल?

इजरायली हमलों के बाद गाजा को डिमोलिशन साइट बताते हुए अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिलिस्तीनी लोगों के लिए एक मास्टर प्लान बनाया है. ट्रंप का मानना है कि फिलिस्तीनी शरणार्थियों को जॉर्डन, मिस्र और दूसरे अरब देशों को ट्रांसफर होना चाहिए. ट्रंप ने कहा- “युद्ध क्षेत्र को साफ करने की जरूरत है और आम नागरिकों को निकालकर दूसरे देशों में बसाना चाहिए.”

मिडिल ईस्ट में फिर जंग की आहट

जिस तरह से सड़कों पर उतरकर लोगों ने ट्रंप का विरोध किया है वो प्रदर्शन अमेरिका को बेहद भड़काने वाला है. इसके अलावा जिस तरह से हमास के आतंकी वर्दी पहनकर फिलिस्तीन में जश्न मना रहे हैं और बंधकों की रिहाई के वक्त फिलिस्तीनी लोग अभद्रता कर रहे हैं, उसे न तो अमेरिका और न ही इजरायल पचा पाएगा. इजरायल गाजा में हमेशा से अपने एक्शन को सही बताता रहा है. ऐसे में अब

4 फरवरी को ट्रंप और नेतन्याहू की व्हाइट हाउस में बैठक

अगला सप्ताह मिडिल ईस्ट के लिए बेहद ही अहम हो सकता है, क्योंकि 3 फरवरी को सीजफायर के अगले चरण पर चर्चा होनी है, इसका मकसद जंग को स्थायी तौर पर खत्म करना है. तो 4 फरवरी को ट्रंप से मिलने के लिए नेतन्याहू अमेरिका में मौजूद रहेंगे.

ट्रंप ने राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के बाद ही कह दिया था कि उन्हें नहीं लगता कि हमास और इजरायल के साथ शांति समझौता ज्यादा दिनों तक रह सकता है. ऐसे में व्हाइट हाउस में बैठकर ट्रंप और नेतन्याहू अगली रणनीति पर बात कर सकते हैं.

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