यूक्रेन युद्ध को लेकर पूरे यूरोप की आंखों की किरकिरी बने हंगरी ने यूरोपीय यूनियन (ईयू) से सीधे टक्कर लेने की ठान ली है. इस बार वजह बने हैं गैर-कानूनी शरणार्थी. सीमा पर दाखिल होने के लिए खड़े घुसपैठियों को हंगरी ने बस में बिठाकर ईयू के हेडक्वार्टर भेजने का ऐलान किया है.
हंगरी के विदेश मंत्री वेंस रेटवरी का आरोप है कि ईयू, गैरकानूनी प्रवासियों (घुसपैठियों) को लेकर बुडापेस्ट पर दबाव डाल रहा है. ईयू ने हंगरी से सटे सर्बिया की सीमा पर गैरकानूनी प्रवासियों का आदेश दिया है. अपने देश में दाखिल होने की मनाही पर ईयू ने हंगरी पर बड़ा जुर्माना ठोक दिया है.
इसी महीने की एक तारीख को हंगरी को ईयू को 200 मिलियन यूरो के तौर पर जुर्माना देना था. लेकिन हंगरी ने जुर्माना देने से साफ इंकार कर दिया है.
हंगरी ने उल्टा, सर्बिया सीमा पर बड़ी संख्या में बस तैनात कर दी है ताकि वहां इकठ्ठा शरणार्थियों को ब्रसेल्स भेज दिया जाए. ब्रसेल्स में ईयू का हेडक्वार्टर है. (https://x.com/EuropeInvasionn/status/1832706126661525789)
ईयू के कानूनों के तहत यूरोप के सभी सदस्य देशों को अपने देश में प्रवासियों को दाखिल होने दिया जाता है. क्योंकि हंगरी भी ईयू को देश है तो उसे भी ऐसा करना होगा. लेकिन हंगरी ने साफ कर दिया है कि जो भी देश में शरण लेना चाहता है वो पहले सर्बिया या फिर यूक्रेन स्थित हंगरी के दूतावास से वीजा लेकर आए. बिना वीजा के किसी को हंगरी में दाखिल नहीं होने दिया जाएगा. इसी को लेकर हंगरी और ईयू में ठनी हुई है.
हंगरी ने पिछले कुछ सालों से अपने देश में गैरकानूनी प्रवासियों का दाखिला पूरी तरह बंद किया हुआ है. हंगरी का आरोप है कि शरणार्थियों के आने से यूरोप में विघटन आ सकता है.
एक अनुमान के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में हंगरी ने करीब 10 लाख गैर-कानूनी शरणार्थियों को अपने देश में आने से रोका है. हंगरी ने सर्बिया से सटी सीमा पर मजबूत तारबंदी कर रखी है ताकि कोई भी गैर-आधिकारिक तौर से बॉर्डर पार न कर पाए. यही वजह कि हंगरी में आज एक भी गैर-कानूनी प्रवासी नहीं है.
हर साल मिडिल-ईस्ट, अफ्रीका और एशियाई देशों से भारी संख्या में गैर-कानूनी शरणार्थी यूरोप पहुंचने की कोशिश करते हैं. इनमे से कुछ कामयाब हो जाते हैं और कुछ सुरक्षाबलों की गोलियों का शिकार बन जाते हैं. कई बार समंदर में बोट डूबने की खबरें भी सामने आई हैं. (https://x.com/RadioGenoa/status/1780962632226205911)
जर्मनी और फ्रांस में हुए दंगों के लिए प्रवासी नागरिकों को ही जिम्मेदारी ठहराया जा रहा है.
इसी साल हंगरी को ईयू की गवर्निंग काउंसिल की अध्यक्षता भी मिली है. लेकिन ये पहली बार नहीं है जब हंगरी ने ईयू के विरोध कोई कार्रवाई की है.
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी हंगरी का रुख ईयू और नाटो देशों के विपरीत है. यहां तक की हंगरी ने साफ कह दिया है कि अगर नाटो सैनिक रूस के खिलाफ यूक्रेन की तरफ से लड़ने जाएंगे तो वो अपने सैनिकों को नहीं जाने देगा.
हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन की हाल ही में मॉस्को और बीजिंग यात्रा को लेकर भी यूक्रेन सहित अधिकतर यूरोपीय देशों ने जमकर आलोचना की थी.
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