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आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे भारत-फ्रांस, पेरिस की बैठक में फैसला

अपने यूरोपीय सहयोगी फ्रांस के साथ भारत ने पेरिस में की है बड़ी बैठक. इस संयुक्त बैठक में आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ मिलकर कार्रवाई करने का संकल्प लिया गया. भारत-फ्रांस संयुक्त कार्य समूह की आतंकवाद विरोधी बैठक के दौरान 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए नरसंहार की मिलकर निंदा की गई और क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म के खिलाफ दोनों ने प्रतिबद्धता जताई.

पेरिस में भारत-फ्रांस संयुक्त कार्य समूह की बैठक, आतंकवाद रहा प्रमुख मुद्दा

पेरिस में हुई इस बड़ी बैठक में भारत और फ्रांस ने अपने-अपने देशों में मौजूदा आतंकवाद के खतरे पर बात की, जिसमें सीमा पार आतंकवाद, राज्य प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियां, कट्टरपंथ फैलाने वाले संगठनों की भूमिका, और मिडिल ईस्ट में आतंकवाद की स्थिति जैसे विषय शामिल थे.

भारत की ओर से इस बैठक का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव केडी देवाल ने किया, वहीं फ्रांस की ओर से आतंकवाद विरोधी राजदूत ओलिवियर कारोन ने भाग लिया.

बैठक में भारत और फ्रांस ने आतंकवाद के खिलाफ आपसी सहयोग को और मजबूत करने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं.

आतंकियों के एन्क्रिप्टेड मैसेज और सोशल मीडिया का इस्तेमाल चुनौतीपूर्ण

भारत और फ्रांस के प्रतिनिधियों ने यह भी माना कि आतंकवादी अब नई तकनीकों जैसे इंटरनेट, सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके प्रचार और भर्ती कर रहे हैं, जिससे उन्हें रोकना और चुनौतीपूर्ण हो गया है.

लेकिन दोनों देशों ने माना कि इसे रोकना होगा. देशों ने संकल्प लिया कि आतंकवाद के मामले में मिलकर प्रशिक्षण कार्यक्रम और संयुक्त अभ्यास करेंगे ताकि आतंकवाद से निपटने की तैयारियों को और मजबूती दी जा सके, भारत-फ्रांस मिलकर ऑनलाइन आतंकियों की भर्ती रोकने का प्लान तैयार करेंगे.

इसके अलावा भारत-फ्रांस सूचना और अनुभवों का आपसी आदान-प्रदान भी करेंगे, जिससे एक-दूसरे की नीतियों से सीख लेकर आतंकवाद के खिलाफ और मजबूत कार्रवाई करेंगे.

दोनों देश ने इस बात पर सहमति जताई कि संयुक्त राष्ट्र, एफएटीएफ (एफएटीएफ) और नो मनी फॉर टेरर (एनएमएफटी) जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मिलकर काम करेंगे.

भारत और फ्रांस हैं एक दूसरे के सैन्य सहयोगी

भारत और फ्रांस एक दूसरे के मजबूत और पुराने सैन्य सहयोगी हैं, जो रणनीतिक साझेदारी, संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और रक्षा उपकरणों की खरीद के माध्यम से मजबूत हुए हैं. दोनों देश संयुक्त अभ्यास जैसे ‘शक्ति’ (थल सेना) और ‘गरुड़’ (वायु सेना) आयोजित करते हैं, जो उनकी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाते हैं. 

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