ड्रैगन और टैंगो यानि चीन-भारत के बीच लगातार सुधर रहे हैं संबंध. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात और द्विपक्षीय वार्ता के बाद लद्दाख मोर्चे पर दोनों देशों ने सकारात्मक काम करना शुरु कर दिया है.
चीन के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को घोषणा की कि उसने भारत के साथ बातचीत की, जिसमें चीन-भारत सीमा के पश्चिमी भाग, विशेष रूप से लद्दाख क्षेत्र के प्रबंधन और नियंत्रण पर विशेष तौर पर बातचीत की गई है.
गौरतलब है कि साल 2020 में एलएसी पर गलवान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी, जिसके बाद हालात बेहद तनावपूर्ण थे. लेकिन पिछले साल से दोनों देशों के बीच संबंध सुधरे हैं और दोनों देशों का मानना है कि वैश्विक जरूरत इस बात की है कि भारत और चीन के बीच संबंध मित्रवत रहें.
लद्दाख क्षेत्र पर भारत के साथ सकारात्मक बातचीत: चीनी रक्षा मंत्रालय
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को एक अहम जानकारी साझा की है. चीन की ओर से कहा गया कि, “भारत के साथ एलएसी को लेकर एक हाईलेवल बातचीत की गई है. यह बातचीत 25 अक्टूबर को भारत की तरफ मोल्डो-चुशुल सीमा मीटिंग प्वांइट पर की गई. इस बातचीत का उद्देश्य विवादित सीमावर्ती क्षेत्रों में आपसी विश्वास को बहाल करना और किसी भी तरह के सैन्य टकराव को टालना है.”
चीनी प्रवक्ता ने कहा, “भारत-चीन ने इंडो-चाइना बॉर्डर के पश्चिमी खंड के नियंत्रण पर सक्रिय और गहन संवाद किया. ये बातचीत विशेष रूप से लद्दाख क्षेत्र के प्रबंधन और नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित थी. दोनों देश सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए हैं.”
पीएम मोदी ने किया था चीन का दौरा, शी जिनपिंग से हुई थी द्विपक्षीय वार्ता
इसी साल 31 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी चीन पहुंचे थे. शंघाई सहयोग संगठन (एसीओ) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सीमा मुद्दे के ‘निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य’ समाधान की दिशा में आगे बढ़ने पर सहमत हुए थे. पीएम मोदी-जिनपिंग दोनों ने ही ये अमेरिका का नाम लिए बिना माना था कि वर्तमान वैश्विक व्यवस्था में वेस्ट की दादागीरी नहीं चल सकती है. अगर मुकाबला करना है कि भारत-चीन को एक साथ आना होगा. भारत-चीन के बीच निवेश और व्यापार बढ़ाने पर भी चर्चा हुई थी.
इस बातचीत का असर था कि अब 5 साल के अंतराल के बाद भारत-चीन और चीन-भारत के बीच डायरेक्ट फ्लाइट को भी हरी झंडी मिल चुकी है.
एलएसी पर अभी क्या सैन्य स्थिति है, जानिए
जून 2020 में चीनी सेना पीएलए को गलवान वैली में भारतीय सेना से मुंहतोड़ जवाब मिला था. जिसके बाद से बेहद संवेदनशील हालात हो गए थे. दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया था. भारतीय सैनिक और चीनी सैनिक दोनों एकदूसरे के सामने तनावपूर्ण हालात में खड़े रहे.
कई राउंड सैन्य बातचीत फेल होने के बाद संबंध सुधारने के लिए कूटनीतिक पहल की गई. कूटनीतिक पहल उस वक्त रंग लाई जब पिछले साल रूस के कजान में पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई. इस मुलाकात से कुछ घंटे पहले एलएसी को लेकर बड़ी सहमति बन गई.
दोनों देशों के सैनिक फ्रंटलाइन से पीछे हटे और पेट्रोलिंग पर तैयार हुए. एलएसी पर फिलहाल पेट्रोलिंग है. लेकिन सैनिकों की पूरी तरह से वापसी नहीं हुई है. पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के हजारों सैनिक तैनात हैं.
लेकिन भारत-चीन के बीच एक बार फिर से हाईलेवल वार्ता हुई है, जिसे चीन ने पॉजिटिव बताया है. हालांकि भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है.

