अपने ‘क्वाड’ सहयोगी के साथ सामरिक संबंध मजबूत करने के लिए भारतीय नौसेना युद्धाभ्यास के लिए जापान पहुंची है. जापान और भारतीय नौसेना के संयुक्त युद्धाभ्यास से चीन चौकन्ना हो गया है, क्योंकि चीन की ना तो जापान से पटती है और ना ही हिंदुस्तान से.
भारतीय नेवी की टुकड़ी ऐसे वक्त में जापान पहुंची है जब ऐसी खबरें आई हैं कि ड्रैगन को जवाब देने के लिए जापान ने ओकिनावा द्वीप पर अपनी बेहद ही खतरनाक मिसाइल यूनिट तैनात की है. जापान ने अपनी पहली सतह से समंदर तक मार करने वाली मिसाइल यूनिट को तैनात किया है ताकि चीन को माकूल जवाब दिया जा सके. टाइप-12 सतह से जहाज तक मार करने वाली मिसाइलों से लैस, रेजिमेंट का सबसे अहम काम ओकिनावा और मियाको द्वीप के बीच पानी में नेविगेट करने वाले चीनी सैन्य जहाजों की निगरानी करना होगा. समंदर में जापान और चीन की ये अदावत पुरानी है. पर जापान से भारत के और मजबूत होते संबंध चीन को अखर रहे हैं.
भारत के साथ जापान की रणनीतिक साझेदारी बढ़ रही है, हाल ही में जापान की सेना की एक टुकड़ी ने राजस्थान के महाजन रेंज में सैन्य अभ्यास किया था और अब भारतीय नौसेना जापान के अत्सुगी पहुंची है.
ओशियन ऑफ फ्रेंडशिप: जापान में पी8आई
भारतीय नौसेना का पी8आई विमान, एंटी सबमरीन वारफेयर एक्सरसाइज के लिए जापान पहुंच गया है. भारतीय नेवी ने एक्स पोस्ट में फोटो शेयर करते हुए लिखा है, “भारतीय नौसेना का पी8आई विमान द्विपक्षीय पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास के लिए जापान पहुंचा है. चालक दल जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) के साथ समुद्री टोही और एएसडब्ल्यू संचालन की योजना बनाएगा.” रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इससे पहले पिछले साल दिसंबर में, आईएनएस कदमत, उत्तरी प्रशांत महासागर में लंबी दूरी की तैनाती पर ऑपरेशनल टर्नअराउंड (ओटीआर) के लिए जापान के योकोसुका पहुंचा था. आईएनएस कदमत्त की जापान यात्रा का उद्देश्य भारत और जापान के बीच समुद्री सहयोग को और मजबूत करना था.
भारत और जापान ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ साझा करते हैं. दोनों देशों के बीच दोस्ती का एक लंबा इतिहास है जो आध्यात्मिक समानता और मजबूत सांस्कृतिक संबंधों पर आधारित है. रक्षा मंत्रालय के अलावा विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत-जापान रक्षा और सुरक्षा साझेदारी द्विपक्षीय संबंधों का एक अभिन्न स्तंभ है. रणनीतिक मामलों में पिछले कुछ वर्षों में भारत-जापान रक्षा आदान-प्रदान को मजबूती मिली है और भारत-प्रशांत क्षेत्र की शांति, सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों पर भारत-जापान में आपसी साझेदारी बढ़ी है,
कैसी है भारत और जापान में मित्रता?
मार्च के महीने में ही विदेश मंत्री एस जयशंकर जापान के 3 दिनों के दौरे पर गए थे. जापान के दौरा ऐसे वक्त में हुआ था जब चीन भारत के खिलाफ मालदीव पर डोरे डाल रहा है. दरअसल चीन की विस्तारवादी नीति से जापान भी तंग है, ऐसे में जापान और भारत का करीब आना चीन को अखर रहा है. जापान की धरती से चीन पर एस जयशंकर ने कटाक्ष किया था. एस जयशंकर ने कहा था कि “हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति परिवर्तन एक बहुत बड़ी वास्तविकता है. क्षमता और प्रभाव बदलने से महत्वाकांक्षाओं में भी बड़े बदलाव होते हैं, जिससे रणनीतिक परिणाम भी जुड़े होते हैं. हर किसी को वास्तविकता से निटपना पड़ेगा.” एस जयशंकर ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 4 वर्षों से तनाव कायम रहने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि “चीन 2020 में सीमा पर हुई हिंसा का जिम्मेदार है. वह समझौतों का पालन नहीं कर रहा है. साल 1975 से लेकर 2020 यानी 45 सालों तक सीमा पर कोई हिंसा नहीं हुई थी, लेकिन 2020 में सब बदल गया. कई चीजों पर असहमत हो सकती है, लेकिन जब कोई देश किसी पड़ोसी के साथ लिखित समझौतों का पालन नहीं करता है, तो रिश्ते की स्थिरता पर सवालिया निशान खड़ा हो जाता है.”
जापान-चीन में क्यों है तनातनी?
दरअसल दूसरे की जमीन को अपना बताना, दूसरे के इलाकों पर कब्जा करना. दूसरे की संपत्ति को अपने नक्शे में दिखा देना चीन की ये हरकत किसी से छिपी नहीं है. दक्षिण चीन सागर में कई द्वीपों पर चीन अपना दावा करता है. चीन का जापान के साथ सेनकाकू आइलैंड (टोक्यो), दिओयू आइलैंड (बीजिंग) और तिआओयूताई आइलैंड (ताइवान) को लेकर विवाद है. 1970 के दशक में जब इन द्वीपों में ऑयल रिजर्व होने की बात सामने आई तो चीन ने इन द्वीपों पर अपना बता दिया. ना सिर्फ इन द्वीपों पर अपना दावा ठोंका, बल्कि चीन ने द्वीपों के आसपास अपने कोस्ट गार्ड तैनात कर दिया. जिसपर जापान ने आपत्ति जताई. इसके अलावा चीन से जापान पर फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट के रेडियोएक्टिव पानी को प्रशांत महासागर में छोड़ने का विरोध किया था. पिछले साल अगस्त में पानी की पहली खेप को समंदर में छोड़ा गया तो चीन ने जापान से आने वाले सीफूड्स पर बैन लगा दिया था.
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |
ReplyForwardAdd reaction |