भारत के नागरिकों के अमेरिका से निर्वासन को शुरु हुए विवाद के बीच विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया है कि अमानवीय व्यवहार को लेकर अमेरिका से बातचीत की गई है.
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, “नई दिल्ली ने लोगों को वापस लाने की स्थिति के बारे में वाशिंगटन के समक्ष अपनी चिंताएं दर्ज कराई हैं. हमने हमेशा से ही इस बात पर जोर दिया है कि लोगों के साथ सही सलूक हो. हम अमेरिकी अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं. ये बात उनसे चलती रहती है, जब भी हमारी जानकारी में ऐसी कोई घटना आती है तो.”
इस बीच सरकार ने बताया है कि अमेरिकी अधिकारियों ने भारत को बताया है कि 487 अन्य भारतीय नागरिकों को “अंतिम निष्कासन आदेश” दिए गए हैं.
ये मुद्दा उठना जायज है, सम्मान के व्यवहार पर जोर: विक्रम मिसरी
पीएम मोदी के फ्रांस-अमेरिका के दौरे की ब्रीफिंग करने आए विक्रम मिसरी से भारतीय के वापसी के बारे में सवाल पूछे गए. विक्रम मिसरी ने जवाब में बताया, “यह मुद्दा उठाना जायज है और मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम इन सभी मामलों के संबंध में अमेरिकी अधिकारियों के संपर्क में हैं. यह एक सतत चर्चा है, न कि एक बार की बातचीत. हमने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि लोगों के साथ निष्पक्ष और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए, यहां तक कि निर्वासित लोगों के साथ भी. जब भी दुर्व्यवहार का कोई मामला हमारे ध्यान में आता है, हम इसे उठाते हैं और हम भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेंगे.”
ये निर्वासन पहले की उड़ानों से अलग है: विक्रम मिसरी
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने निर्वासित लोगों के लिए इस्तेमाल किए गए अमेरिकी वायु सेना के विमान और उन स्थितियों पर प्रतिक्रिया दी. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, “यह विशेष निर्वासन पहले की उड़ानों की तुलना में कुछ अलग है. अमेरिकी प्रणाली में ही, इसे एक राष्ट्रीय सुरक्षा अभियान के रूप में वर्णित किया गया था, शायद इसीलिए उन्होंने एक सैन्य विमान का इस्तेमाल किया.”
लोगों के हथकड़ियों को लेकर विक्रम मिसरी ने कहा, “विदेश मंत्री का बयान आपने देखा होगा. तीन-चार मुद्दे हैं. हथकड़ियां आदि की बात जो है, वो एक प्रक्रिया है. ये साल 2012 से ही है. हम अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क में हैं और हमने हमेशा जोर दिया है कि लोगों के साथ सही सलूक होना चाहिये. बदसलूकी अगर होती है तो उठाते रहेंगे और उठाते रहे हैं. असली कैंसर जो विदेश मंत्री ने कहा अवैध प्रवासन के प्रोमोट करने का गैंग है. उनके खिलाफ काम करना होगा.”
एस जयशंकर ने सदन को क्या बताया था
एस जयशंकर ने राज्यसभा में भारतीयों के निर्वासन पर जवाब देते हुए कहा, “डिपोर्टेशन की ये कार्रवाई कोई नई नहीं है. आज से पहले भी जो लोग गैर कानूनी तरीके से किसी दूसरे देश में रहते हुए पाए जाते थे, उन्हें उनके देश भेजा जाता रहा है.” एस जयशंकर ने विपक्ष को कहा- “मैं आपसे ये साफ कर देना चाहता हूं कि काम के सिलसिले में किसी नागरिक का एक देश से दूसरे देश में जाना उस देश के विकास में अहम भूमिका निभाती है. हमारा मानना है कि अगर ये कानून के दायरे में हो, तो ही सही है. किसी नागरिक के किसी दूसरे देश में गैर कानूनी तरीके से घुसने को हम कभी सपोर्ट नहीं करते. जो भी नागरिक गैर कानूनी तरीके से किसी भी देश में गए हैं, वो देश अपने कानून के हिसाब से उन्हें पकड़कर वापस भेजता है. इसमें कुछ नया नहीं है.”
एस जयशंकर ने बताया, “साल 2012 से लागू स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) के तहत डिपोर्ट किए जा रहे लोगों को फ्लाइट में रिस्ट्रेन (बांधकर) ले जाया जाता है.
वर्ष 2009 से अब तक अमेरिका से करीब 15 हजार भारतीयों को डिपोर्ट किया गया है.