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विस्तारवाद नहीं विकास का समर्थन करता है भारत: मोदी

By Himanshu Kumar

चीन पर अपरोक्ष रुप से वार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ तौर से कहा कि भारत विकास के विचार का समर्थन करता है न कि विस्तारवाद का. ये बात पीएम मोदी ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में वियतनाम के प्रधानमंत्री  फाम मिन्ह चिन्ह की मौजूदगी में कही.  

पीएम मोदी ने वियतनाम के प्रधानमंत्री का राजधानी दिल्ली में स्वागत करते हुए एक स्वतंत्र, खुले, नियम-आधारित, समृद्ध इंडो-पैसिफिक का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि “वियतनाम हमारी महत्वपूर्ण एक्ट ईस्ट पॉलिसी और इंडो-पैसिफिक विजन पार्टनर है. इंडो-पैसिफिक के बारे में हमारे विचारों के बीच अच्छा समन्वय है. हम विकास का समर्थन करते हैं, विस्तारवाद का नहीं. हम एक स्वतंत्र, खुले, नियम-आधारित, समृद्ध इंडो-पैसिफिक के लिए सहयोग करना जारी रखेंगे.”

वियतनाम के प्रधानमंत्री इनदिनों (30 जुलाई-1 अगस्त) तक दिल्ली के दौरे पर हैं. दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने वार्ता के बाद एक साझा प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया. वियतनाम के साथ ‘विस्तृत स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप’ को मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वियतनाम की समुद्री सुरक्षा बढ़ाने 

के लिए 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण की घोषणा की. साथ ही आतंकवाद तथा साइबर सुरक्षा पर सहयोग करने पर भी जोर दिया.दोनों नेताओं ने आपसी व्यापार क्षमता के लिए आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा और शीघ्र निष्कर्ष पर भी सहमति जताई.

पीएम मोदी ने कहा कि भारत के ‘विकसित भारत 2047’ और वियतनाम के ‘2047 विजन’ के कारण दोनों देशों ने विकास के क्षेत्र में गति पकड़ी है. मोदी ने कहा, “आज हमारी चर्चा में हमने आपसी सहयोग के सभी क्षेत्रों पर विस्तार से चर्चा की और भविष्य के लिए रोडमैप तैयार करने के लिए कई कदम उठाए.”

मोदी ने कहा, “बौद्ध धर्म हमारी साझा विरासत है, जिसने दोनों देशों के लोगों को आध्यात्मिक स्तर पर जोड़ा है. हम वियतनाम के लोगों को भारत में बौद्ध सर्किट में आमंत्रित करते हैं. हम चाहते हैं कि वियतनाम के युवा भी नालंदा विश्वविद्यालय का लाभ उठाएं.”

उन्होंने इंडो-पैसिफिक में भागीदार के रूप में वियतनाम के महत्व पर भी प्रकाश डाला. पीएम ने कहा कि “इंडो-पैसिफिक के बारे में हमारे विचारों में अच्छी सहमति है. हम ‘विकासवाद’ का समर्थन करते हैं, ‘विस्तारवाद’ का नहीं. हम एक स्वतंत्र, खुले, नियम-आधारित और समृद्ध इंडो-पैसिफिक के लिए अपना सहयोग जारी रखेंगे.”

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साउथ चाइना सी में वियतनाम का आसियान समूह के दूसरे देशों की तरह ही चीन से पुराना विवाद रहा है. हालांकि, हाल के सालों में चीन ने वियतनाम से संबंध सुधारने की दिशा में कोशिश जरूर की है. भारत की तरह ही वियतनाम का चीन के साथ लंबा सीमा विवाद रहा है और दोनो देश (चीन और वियतनाम) 70 के दशक में युद्ध तक लड़ चुके हैं. यही वजह है कि पीएम मोदी ने वियतनाम के प्रधानमंत्री की मौजूदगी में स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक का जिक्र किया. 

भारत की तरह ही वियतनाम भी ‘स्ट्रेटेजिक-इंडिपेंडेंस’ में विश्वास रखता है. यही वजह है कि वियतनाम की ‘बैम्बू-डिप्लोमेसी’ को दुनियाभर में सराहा जाता है. (Bamboo-diplomacy वाले वियतनाम के दौरे पर पुतिन)

भारत और वियतनाम ने प्रधानमंत्री मोदी और उनके वियतनामी समकक्ष की मौजूदगी में द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने के लिए गुरुवार को कई समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. दोनों देशों ने रक्षा और रणनीतिक संबंधों से परे अपने सहयोग का विस्तार करके इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्रीन टेक और जलवायु परिवर्तन को शामिल करने का फैसला किया है.

पीएम मोदी ने चिन्ह की मौजूदगी में भारत की मदद से वियतनाम की टेलीकॉम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी में आर्मी सॉफ्टवेयर पार्क का भी वर्चूयली उद्घाटन किया. इस मौके पर चिन्ह ने प्रधानमंत्री मोदी को वियतनाम आने का निमंत्रण भी दिया.

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