गुजरात में सर क्रीक से सटी पाकिस्तानी सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली भारतीय सेना की दक्षिणी कमान ने जमीन से मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया है. अंडमान निकोबार कमान की मदद से थलसेना ने इस टेस्ट को बंगाल की खाड़ी में अंजाम दिया.
भारतीय सेना के मुताबिक, सिम्युलेटेड बैटल परिस्थितियों मे मिशन ने अपने सभी लक्ष्यों को पूरा किया. इससे सेना की ब्रह्मोस यूनिट की ऑपरेशन्ल तैयारियों के साथ रियल-टाइम में प्रसियन स्ट्राइक मिशन की क्षमताओं का भी प्रदर्शन किया.
जानकारी के मुताबिक, ये ब्रह्मोस मिसाइल एडवांस गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम से लैस थी और तेज रफ्तार के दौरान अपने लक्ष्य को भेद दिया.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस तबाह करने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया था. लेकिन ये ब्रह्मोस मिसाइल, वायुसेना के फाइटर जेट सुखोई से पाकिस्तान में दागी गई थी.
सोमवार को थलसेना ने जिस ब्रह्मोस मिसाइल का टेस्ट किया, वो लैंड वर्जन है और जमीन से दागी जाती है. नौसेना के जंगी जहाज भी ब्रह्मोस के नेवल वर्जन से लैस हैं.
सोमवार के परीक्षण के बाद, थलसेना की दक्षिणी कमान के कमांडिंग इन चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने ब्रह्मोस यूनिट की जमकर प्रशंसा की.
इस सफल प्रक्षेपण ने सेना की लंबे समय तक सटीक हमले की क्षमता बढ़ाने और निवारक शक्ति को सुदृढ़ करने के लगातार प्रयासों में एक प्रमुख मील का पत्थर चिह्नित किया है. इसके अलावा एक बार फिर भारत की स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों की सटीकता, विश्वसनीयता और प्रभावकारिता को प्रदर्शित किया, जो देश की रणनीतिक और तकनीकी क्षमताओं में सतत प्रगति को दर्शाता है.

