करीब 35 वर्ष बाद भारतीय सेना ने श्रीलंका में ऑपरेशन पवन के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को आधिकारिक तौर से श्रद्धांजलि अर्पित की है. मंगलवार को खुद थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने राजधानी दिल्ली में नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचकर आतंकी संगठन लिट्टे (एलटीटीई) के साथ हुई लड़ाई में बलिदान देने वाले सैनिकों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किए.
राष्ट्रीय समर स्मारक पर थलसेना प्रमुख के साथ ऑपरेशन पवन में हिस्सा लेने वाले वेटरन्स भी मौजूद थे. इनमें मेजर जनरल अशोक मेहता (रिटायर), महावीर चक्र विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल अतुल कोचर (रिटायर) और परमवीर चक्र (मरणोपरांत) विजेता मेजर रामास्वामी परमेश्वरन की विधवा उमा परमेश्वरन भी शामिल थीं.
80 के दशक के आखिर में (1987-90) तक भारतीय सेना ने श्रीलंका में लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम यानी एलटीटीई के खिलाफ ऑपरेशन पवन छेड़ा था. लेकिन इस दौरान भारतीय सेना को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. करीब तीन वर्ष में भारतीय सेना के एक हजार से ज्यादा सैनिक (1171) वीरगति को प्राप्त हुए थे और करीब साढ़े तीन हजार (3500) घायल हुए थे.
ऑपरेशन पवन में बड़ी संख्या में सैनिकों के वीरगति को प्राप्त होने के चलते, तत्कालीन राजीव गांधी सरकार को आलोचना का शिकार होना पड़ा था.1991 में खुद राजीव गांधी को अपनी जान भी इसके चलते एक आत्मघाती हमले में गंवानी पड़ी थी. ऐसे में भारतीय सेना में ऑपरेशन पवन के बारे में कम ही चर्चा की जाती रही थी. लेकिन सैनिकों और पूर्व-फौजियों की तरफ से वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की बहादुरी और कर्तव्य-परायणता को आधिकारिक सम्मान देने की मांग उठती रही थी.
वर्ष 2019 में राष्ट्रीय समर स्मारक पर आजादी के बाद से आतंकियों या फिर दुश्मन देश के खिलाफ लड़कर बलिदान देने वाले सैनिकों के नाम लिखे गए थे. ऐसे में ऑपरेशन पवन में जान न्यौछावर करने वाले सैनिकों के नाम भी शामिल थे. लेकिन कभी भी इन सैनिकों को सम्मान नहीं दिया गया.
25 नवंबर को परमवीर चक्र विजेता (मरणोपरांत) मेजर परमेश्वरन की पुण्यतिथि के अवसर पर थलसेना प्रमुख ने राष्ट्रीय समर स्मारक पहुंचकर खुद श्रद्धांजलि अर्पित कर ऑपरेशन पवन के वीर सैनिकों को सम्मान दिया.
खास बात है कि अगले महीने (1-2 दिसंबर) को खुद थलसेना प्रमुख श्रीलंका के आधिकारिक दौरे पर जाने वाले हैं.

