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अरुणाचल के बम्बू से दुश्मन का मुकाबला, एलएसी पर बनेंगे बांस के बंकर

अरुणाचल प्रदेश में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के बंकर के लिए बम्बू (बांस) से बने बंकर बनाने के लिए भारतीय सेना ने आईआईटी, गुवाहाटी से हाथ मिलाया है. बांस से बने ये बंकर, पारंपरिक मैटेरियल की तरह ही मजबूत हैं लेकिन भार में बेहद कम हैं.

सेना के मुताबिक, वजन में बेहद कम होने के चलते, बंकर्स बनाने के सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में बेहद आसानी होगी जिससे समय और परिश्रम की बचत होगी.

सेना और आईआईटी, गुवाहाटी के बीच एमओयू

मंगलवार को गुवाहाटी में भारतीय सेना की ‘गजराज कोर’ (4 कोर) और आईआईटी, गुवाहाटी के बीच ‘ईपॉक्सी-बम्बू’ से बने कंपोजिट पर रिसर्च, डिजाइन और फैब्रिकेशन के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर हुए. इस बम्बू कंपोजिट को भारतीय सेना, हाई ऑल्टिट्यूड एरिया यानी बेहद ऊंचाई वाले इलाकों में बंकर बनाने के लिए इस्तेमाल करेगी.

इस एमओयू पर सेना की रेड हॉर्न डिवीजन के जीओसी, मेजर जनरल रोहिन बावा और आईआईटी गुवाहाटी के डायरेक्टर, प्रोफेसर देवेंद्र जलिहल के बीच हस्ताक्षर हुए.

खास बात है कि असम और अरुणाचल प्रदेश में बम्बू बहुतायत संख्या में उगता है. सेना की गजराज कोर की जिम्मेदारी, अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी की है.

बम्बू से बने बैंकर्स को भेद नहीं पाती गोली

रक्षा मंत्रालय के गुवाहटी स्थित प्रवक्ता, लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने बताया कि “इस प्रोजेक्ट के जरिए, हाई ऑल्टिट्यूड एरिया में मल्टीपल डिफेंस वर्क का निर्माण किया जाएगा, ताकि बम्बू से बने बंकर्स के फील्ड ट्रायल किए जाएं. ट्रायल के दौरान, इस बंकर्स पर स्माल-आर्म्स से फायरिंग और सभी मौसम की अनुकूलता परखी जाएगी.” (https://x.com/prodefgau/status/1886612948124082206)

सेना के ट्रांसफॉर्मेशन का दशक

भारतीय सेना ने इस दशक को ‘ट्रांसफॉर्मेशन का दशक’ घोषित किया है. इसके तहत सेना नई मिलिट्री टेक्नोलॉजी को अपना रही है ताकि आधुनिक जंग के मैदान की चुनौतियों का सामना किया जा सके.

टेक्नोलॉजी एडॉप्शन के लिए सेना, सरकारी रिसर्च एंड डेवलपमेंट संस्थान, शैक्षणिक संस्थान, मिलिट्री एजुकेशनल इकाइयों और स्टार्टअप्स के साथ समन्वय और सहयोग कर रही है.

एमओयू के हस्ताक्षर के मौके पर मेजर जनरल बावा ने कहा कि इस तरह के समझौतों से सेना को ‘निस-टेक्नोलॉजी’ तो प्राप्त होगी ही, साथ ही ‘होल ऑफ नेशन एपोर्च’ के जरिए आत्मनिर्भर भारत की पहल को सफल बना पाएंगे.