तीन महाद्वीप और आठ देशों के अलग-अलग बंदरगाहों के साथ 12,500 नॉटिकल मील का सफर पूरा करने के बाद रूस में बना भारतीय नौसेना का आईएनएस तुशील युद्धपोत कारवार बंदरगाह (कर्नाटक) पहुंच गया है. एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस कारवार, आईएनएस तुशील का गृह-बंदरगाह है.
पिछले साल 9 दिसंबर को रूस के कलिनिनग्राड बंदरगाह में आईएनएस तुशील की कमीशनिंग सेरेमनी हुई थी. इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी भी मौजूद थे.
भारतीय नौसेना के मुताबिक, कलिनिनग्राड से चलने के बाद आईएनएस तुशील लंदन (इंग्लैंड), कासाब्लांका (मोरक्को), डकर (सेनेगल), लोग (टोगो), लागोस (नाइजीरिया), वाल्विस बे (नामीबिया), डरबन (दक्षिण अफ्रीका) और विक्टोरिया (सेशेल्स) का दौरा किया.
पहली स्वदेश यात्रा के दौरान आईएनएस तुशील ने मोरक्को, सेनेगल, नाइजीरिया, नामीबिया और साउथ अफ्रीका की नौसेनाओं के साथ मेरीटाइम पार्टनरशिप एक्सरसाइज में हिस्सा लिया. इसके अलावा गुयाना की खाड़ी में आईएनएस तुशील ने पैट्रोलिंग भी की.
कारवार पहुंचने पर नौसैनिक और उनके परिवार के सदस्यों ने आईएनएस तुशील के युद्ध-घोष ‘निर्भय, अभेद्य और बलशील’ के नारें के साथ नए जंगी जहाज का स्वागत किया.
आईएनएस तुशील की ताकत जानिए
आईएनएस तुशील युद्धपोत पर एंटी-सबमरीन वारफेयर में निपुण कामोव हेलीकॉप्टर को तैनात किया जाएगा. कामोव हेलीकॉप्टर भी रूस में बने हैं.
आईएनएस तुशील को नौसेना युद्ध के सभी चार आयामों – वायु, सतह, पानी के नीचे और विद्युत चुम्बकीय – में नीले पानी के संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है.
तुशील कई तरह के उन्नत हथियारों से लैस है, जिसमें रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, उन्नत रेंज वाली वर्टिकल-लॉन्च की गई श्टिल सरफेस-टू-एयर मिसाइल, उन्नत स्टेल्थ विशेषताओं वाली उन्नत मध्यम-रेंज की एंटी-एयर और सरफेस गन, ऑप्टिकली-नियंत्रित क्लोज-रेंज रैपिड फायर गन सिस्टम, एंटी-सबमरीन टॉरपीडो, रॉकेट, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक और संचार वॉरफेयर सूट शामिल हैं.
तुशील पर उन्नत एंटी-सबमरीन और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर, कामोव 28 और कामोव 31 को भी तैनात किया जा सकता है.
एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस बन रहा है कारवार
गोवा के करीब कर्नाटक के कारवार में बन रहे एशिया के सबसे बड़े मेरीटाइम बेस का बंदरगाह करीब छह किलोमीटर लंबा है जहां एक साथ 50 से ज्यादा युद्धपोत, पनडुब्बियां और यार्ड क्राफ्ट (छोटे शिप) डॉक कर सकेंगे. खास बात ये है कि इस बेस का ड्राई-बर्थ कुतुबमीनार से ऊंचा होगा.
प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत उत्तरी कर्नाटक के कारवार में तैयार किए जा रहा ये नेवल बेस 25 किलोमीटर एरिया में फैला होगा. नौसेना के मुताबिक, कारवार के प्रोजेक्ट सीबर्ड का मुख्य आकर्षण होगा 75 मीटर कवर ड्राई-बर्थ, जो कुतुबमीनार से ऊंचा होगा. ये ड्राई-बर्थ 33 हजार स्क्वायर मीटर एरिया में फैला होगा. इस बर्थ में युद्धपोत के डॉक करने के साथ-साथ चार जहाज का मेंटेनेंस भी हो सकता है. प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) प्रोजेक्ट सीबर्ड के दूसरे फेज के लिए मंजूरी दे चुकी है.
नेवल एयर स्टेशन भी होगा कारवार में
सीबर्ड प्रोजेक्ट के तहत कारवार में नेवी और कमर्शियल ग्रीन-फील्ड नेवल एयर स्टेशन होगा जिसका 2700 मीटर लंबा रनवे होगा. इस एयर स्टेशन से भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात होने वाले फाइटर जेट इत्यादि को मदद तो मिलेगी ही साथ ही सिविल एन्क्लेव भी होगा जहां कमर्शियल फ्लाइट के ऑपरेशन्स हो सकेंगे.
प्रोजेक्ट सीबर्ड के फेज-2 ए में चार अलग-अलग टाउनशिप होंगे जिसमें 10 हजार नौसैनिक, नेवल ऑफिसर और डिफेंस सिविलियन स्टाफ के रहने के लिए आवासीय परिसर होंगे. इंडियन नेवी के मुताबिक, कारवार स्थित नेवल बेस के निर्माण से 7000 लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा और देशभर में करीब 20 हजार जॉब पैदा होंगी. जब कारवार में एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाएगा तो यहां 50 हजार लोग रह पाएंगे.