रूस में निर्मित मल्टी-रोल स्टील्थ मिसाइल फ्रिगेट (युद्धपोत) आईएनएस तुशील कलिनिनग्राड से भारत के लिए रवाना हो गया है. लेकिन अपनी पहली ही यात्रा पर तुशील, ऑपरेशन तैनाती के लिए तैयार है और समुद्री-मार्ग पर पड़ने वाले मित्र-देशों के बंदरगाहों पर रोकेगा.
इसी महीने की 9 तारीख (दिसंबर) को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी की मौजदूगी में रूस के कलिनिनग्राड में तुशील की कमीशनिंग सेरेमनी आयोजित की गई थी.
नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, कलिनिनग्राड से लौटते हुए तुशील डिप्लोमेसी, मिलिट्री और कांस्टेबुलरी गतिविधियों को अंजाम देगा.
कमीशनिंग सेरेमनी से पहले ही तुशील ने अपने सभी रूसी हथियार प्रणालियों के फायरिंग परीक्षणों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है और यह लगभग युद्ध के लिए तैयार स्थिति में भारत पहुंचेगा.
तुशील, बाल्टिक समुद्र से लेकर नॉर्थ समंदर और अटलांटिक से होते हुए हिंद महासागर पहुंचेगा. इस दौरान समुद्री-मार्ग में पड़ने वाले मित्र-देशों के बंदरगाह पर पोर्ट-कॉल के लिए रूकेगा. साथ ही मित्र-देशों की नौसेनाओं के साथ साझा युद्धाभ्यास में भी हिस्सा लेगा. इस दौरान पायरेसी वाले क्षेत्रों में भी युद्धाभ्यास किया जाएगा. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1869725569841258640)
भारत-रूस रक्षा संबंधों में नया आयाम
तुशील के निर्माण से भारत और रूस के सैन्य संबंधों में एक नया आयाम जुड़ गया है. यूक्रेन जंग में उलझे होने के बावजूद, रूस ने भारत को स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट (युद्धपोत) आईएनएस तुशिल बनाकर सौंपा है.
कलिनिनग्राड के यंतर शिपयार्ड में मल्टी-रोल स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तुशिल (एफ 70) का निर्माण हुआ है. वर्ष 2018 में भारत और रूस ने तुशील और एक अन्य फ्रिगेट तामल के निर्माण के लिए करार किया था. करार के तहत दो अन्य तलवार क्लास फ्रिगेट का निर्माण रूस की मदद से मेक इन इंडिया के तहत गोवा शिपयार्ड में होना है.
तुशील की कमीशनिंग सेरेमनी में रक्षा मंत्री और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के अलावा रूस के उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर वासिलीविच फोमिन सहित कैलिनिनग्राद के गवर्नर एलेक्सी सर्गेयेविच बेसप्रोज़वन्नीख, रूसी नौसेना के कमांडर-इन-चीफ एडमिरल अलेक्जेंडर एलेक्सेयेविच मोइसेयेव, रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार और रूसी नौसेना के बाल्टिक बेड़े के कमांडर वाइस एडमिरल व्लादिमीर वोरोब्योव मौजूद थे. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1864964334532665820)
तुशील की ताकत
आईएनएस तुशील युद्धपोत पर एंटी-सबमरीन वारफेयर में निपुण कामोव हेलीकॉप्टर को तैनात किया जाएगा. कामोव हेलीकॉप्टर भी रूस में बने हैं.
आईएनएस तुशील को नौसेना युद्ध के सभी चार आयामों – वायु, सतह, पानी के नीचे और विद्युत चुम्बकीय – में नीले पानी के संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है.
तुशील कई तरह के उन्नत हथियारों से लैस है, जिसमें रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, उन्नत रेंज वाली वर्टिकल-लॉन्च की गई श्टिल सरफेस-टू-एयर मिसाइल, उन्नत स्टेल्थ विशेषताओं वाली उन्नत मध्यम-रेंज की एंटी-एयर और सरफेस गन, ऑप्टिकली-नियंत्रित क्लोज-रेंज रैपिड फायर गन सिस्टम, एंटी-सबमरीन टॉरपीडो और रॉकेट और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार सूट शामिल हैं.
तुशील पर उन्नत एंटी-सबमरीन और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर, कामोव 28 और कामोव 31 को भी तैनात किया जा सकता है.
प्रोजेक्ट 1135.6 के तहत भारत और रूस में बनने हैं कुल 08 जहाज
आईएनएस तुशील, प्रोजेक्ट 1135.6 का एक उन्नत क्रिवाक-3 श्रेणी का फ्रिगेट है, जिसमें से छह पहले से ही सेवा में हैं. इनमें से तीन तलवार क्लास के जंगी जहाज, रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के बाल्टिस्की शिपयार्ड में बनाए गए हैं. साथ ही तीन टेग श्रेणी के जहाज, यंतर शिपयार्ड में बनाए गए थे. ये सभी भारतीय नौसेना में सेवारत हैं.
आईएनएस तुशील , दो उन्नत अतिरिक्त अनुवर्ती जहाजों में से पहला है, जिसके लिए अनुबंध अक्टूबर 2016 में जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, भारतीय नौसेना और भारत सरकार के बीच हस्ताक्षरित किया गया था. दूसरा जहाज तामल फिलहाल यांतर शिपयार्ड में ही तैयार किया जा रहा है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह जहाज अत्याधुनिक नियंत्रणों के साथ एक उन्नत गैस टरबाइन प्रणोदन संयंत्र द्वारा संचालित है और 30 नॉट से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है. उच्च स्तर की स्वचालन और स्टेल्थ विशेषताएं इसकी लड़ाकू क्षमता और उत्तरजीविता को और बढ़ाती हैं.