जिस न्यूक्लियर हथियारों के लिए मिडिल ईस्ट में तनाव फैला हुआ है, इजरायल और ईरान रुकने का नाम नहीं ले रहे. इजरायल और अमेरिका का कहना है ईरान न्यूक्लियर प्रोग्राम के बेहद करीब है, दोनों देशों ने इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (आईएईए) के हेड राफेल ग्रॉसी रिपोर्ट को हमलों का आधार बनाया. लेकिन एक सप्ताह के अंदर ही ग्रॉसी ने अपने उस बयान से यूटर्न कर लिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी भी वक्त ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को अंजाम दे सकता है.
ईरान के खिलाफ ये सबूत नहीं, कि वो परमाणु हथियार बना रहा है: आईएईए
जिस परमाणु प्रोग्राम को लेकर इजरायल-ईरान में मार-काट मची हुई है. उस प्रोग्राम को लेकर अपने दावे से पीछे हट गया है आईएईए. आईएईए के चीफ राफेल ग्रॉसी ने अपने ताजा बयान में कहा है कि ईरान के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे लगे कि वो परमाणु हथियार बना रहा है, यानी जिस खतरे को लेकर अमेरिका, इजरायल से लेकर यूरोप के कई देशों ने चिंता जताई, वो खतरा दरअसल है ही नहीं.
जबकि इजरायल ने 13 जून को जब ईरान पर पहला हमला किया तो ग्रॉसी के बयान के बाद ही किया था. लेकिन जंग भयंकर मोड़ पर है तो ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर ग्रॉसी अपने बयान से पीछे हटते दिख रहे हैं.
राफेल ग्रॉसी पर भड़के ईरान के अफसर, बोले, विश्वासघात किया
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बकाई ने राफेल ग्रॉसी का वीडियो शेयर करके विश्वासघात करने का आरोप लगाया. बकाई ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, मिस्टर ग्रॉसी अब बहुत देर हो चुकी है, आपने इस सच्चाई को पूरी ताकत के साथ छिपाने की कोशिश की. बेबुनियाद आरोपों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की. फिर उसी प्रस्ताव के बहाने शैतानों ने ईरान पर आक्रमण शुरू कर दिया. हमारे शांतिपूर्ण परमाणु ठिकानों पर गैरकानूनी तरीके से हमला किया. क्या आपको पता है इस युद्ध में कितने निर्दोष ईरानी मारे गए या घायल हुए? क्या यूएन जैसे संस्थानों के लिए नियुक्ति की कसौटी पर खरा उतरने वाले किसी अंतरराष्ट्रीय अधिकारी का यह आचरण है? इसके लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए. आपने पूरी व्यवस्था के साथ विश्वासघात किया है.
कहीं इराक के केमिकल बम की तरह ही तो नहीं है ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम की कल्पना
राफेल ग्रॉसी के बयान से कहा जा रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं ईरान के दावे सच हों, वो न्यूक्लियर प्रोग्राम और यूरेनियम वृद्धि की बातें गलत हों. जिस तरह से इराक का केमिकल बम कल्पना मात्र निकला, वैसे ही कहीं ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम सिर्फ एक सोच तो नहीं हैं.
उदाहरण के तौर पर इतिहास में इराक में अमेरिकी हमलों को देखा जा सकता है. अमेरिका ने इराक नें सद्दाम हुसैन पर जनसंहार के हथियार यानि केमिकल बम बनाने और भंडारण का आरोप लगाकर अटैक किया था, लेकिन लेकिन सद्दाम की मौत के बाद जब वहां कुछ भी नहीं मिला तो अमेरिका की बहुत बेइज्जती की गई थी. राफेल ग्रॉसी के बयान के बाद ईरान पर अटैक को इराक के हमलों से जोड़कर देखा जा रहा है.
जहां-जहां इजरायल ने टारगेट किया, न्यूक्लियर हथियार नहीं मिले: ईरान
13 जून से इजराइल ने ईरान पर बड़े पैमाने पर एयरस्ट्राइक शुरू की थी. टारगेट पर थे परमाणु सुविधाएं, सैन्य ठिकाने और यहां तक कि वैज्ञानिक और वरिष्ठ अफसर तक मौजूद थे. ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के सीनियर कमांडर मोहसिन रेजाई ने खुलासा किया है कि इजराइली हमलों से पहले ही उनके संवेदनशील परमाणु ठिकानों को खाली करा लिया गया था. यानी जिन ठिकानों पर इजराइल ने बम बरसाए, वहां पहले से कुछ था ही नहीं. रेजाई ने कहा, हमने पहले ही सारा न्यूक्लियर मटीरियल सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया था, इजरायल ने खाली पड़े ठिकानों पर अटैक किया है.
ईरान नहीं बना रहा न्यूक्लियर हथियार, गबार्ड के बयान को ट्रंप ने ठुकराया
अमेरिका की खुफिया एजेंसी की प्रमुख तुलसी गबार्ड ने देश की खुफिया एजेंसियों के हवाले से मार्च के महीने में अमेरिकी संसद में कहा था कि ईरान परमाणु बम नहीं बना रहा है. लेकिन जब ट्रंप से गबार्ड के बयान के बारे में पूछा गया तो ट्रंप ने कहा, मुझे फर्क नहीं पड़ता कि गबार्ड क्या कहती हैं, सच ये है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के बहुत करीब पहुंच गया है.
एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि कहीं अमेरिका और इजरायल की सिर्फ ईरान पर हमले करना चाहते हों, वहां ही कट्टरपंथी सुप्रीम लीडर को हटाना चाहते हों, न्यूक्लियर प्रोग्राम सिर्फ कोरी कल्पना मात्र हो. कुछ एक्सपर्ट्स ने तो इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू का मजाक उड़ाया है, कि वो साल 1996 से कहते आ रहे हैं, कि ईरान न्यूक्लियर हथियार बनाने के बेहद करीब है, लेकिन ये ‘बेहद करीब’ समय खत्म ही नहीं हो रहा है.