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इजरायल की UN से ठनी, लेबनान खाली करने की दी धमकी

हमास, हिजबुल्लाह और ईरान के खिलाफ मोर्चा खोलना के बाद इजरायल अब संयुक्त राष्ट्र से आर-पार के लिए तैयार है. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने लेबनान से संयुक्त राष्ट्र शांति सेना को पूरी तरह से हटाने की धमकी दी है. साथ ही इजरायल ने यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ (अवांछित) करार दे दिया है.

रविवार को एक वीडियो संदेश में नेतन्याहू ने सीधे गुटेरेस को संबोधित करते हुए दक्षिणी लेबनान से ‘यूनाइटेड नेशंस अंतरिम फोर्स इन लेबनान’ (यूएनआईएफआईएल) को वापस बुलाने की चेतावनी दी है. नेतन्याहू ने कहा कि शांति-सेना को अपनी सलामती के लिए वॉर-जोन खाली करना होगा. इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा कि यूएनआईएफआईएल को ये ‘तुरंत’ करना होगा.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के 1701 प्रस्ताव के तहत यूएनआईएफआईएल के करीब 11 हजार सैनिक इजरायल-लेबनान सीमा पर तैनात रहते हैं. वर्ष 2006 में इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच हुई युद्धविराम के बाद से ही शांति सेना सीमा (ब्लू लाइन) पर तैनात रहती है.  

भारतीय सेना की एक टुकड़ी (करीब 900 सैनिक) इस यूएनआईएफआईएल का हिस्सा हैं और ‘ब्लू लाइन’ पर विवादित गोलन हाइट्स पर तैनात रहती है. हाल ही में जब गोलन हाइट्स पर तैनात एक सैनिक घायल हो गया था तो उनके सुरक्षित मेडिकल-इवेक्युएशन के लिए भारत ने अपना एक सी-130 एंबुलेंस-एयरक्राफ्ट वॉर-जोन में भेजा था.

जानकारी के मुताबिक, अगर ब्लू लाइन पर स्थिति बिगड़ती है तो भारत अपने सैनिकों को वापस बुलाने की पूरी तैयारी कर चुका है. माना जा रहा है कि मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिए उन्हें सुरक्षित निकाला जाएगा.

खास बात ये है कि शनिवार को यूएनआईएफआईएल में सैनिक भेजने वाले 34 देशों ने इजरायली सेना की कार्रवाई को लेकर एक बयान जारी किया था. भारत ने हालांकि, इस बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया था लेकिन ये जरूर कहा था कि इस बयान का समर्थन करता है.

यूएनआईएफआईएल का आरोप है कि पिछले एक हफ्ते से इजरायली सेना संयुक्त राष्ट्र के सैन्य ठिकानों को निशाना बना रही है. इन हमलों में यूएनआईएफआईएल के दो सैनिक घायल भी हो गए हैं.  

रविवार को यूएनआईएफआईएल ने आरोप लगाया कि इजरायली टैंक और सैनिक यूएन परिसर के करीब तैनात हैं और ऐसे बम छोड़े हैं जिससे शांति-सेना के 15 सदस्य की त्वचा में खुजली और पेट में दर्द की शिकायत होने लगी. शांति-दूतों ने मास्क भी लगाया लेकिन कोई असर नहीं हुआ. यूएनआईएफआईएल का इशारा केमिकल-बम की तरफ था.

इजरायल और संयुक्त राष्ट्र के बीच इतनी ठन गई है कि यूएन महासचिव गुटेरेस को पर्सोना नॉन ग्राटा यानी अवांछित करार दे दिया है. इजरायल ने अपने इस कदम को लेकर अपने देश में एक सर्वे भी कराया जिसमें 87 प्रतिशत जनता ने फैसले को सही ठहराया.

इजरायल का आरोप है कि गुटेरेस एंटी-इजरायली हैं और 1 अक्टूबर को ईरान की 200 मिसाइलों के हमलों की ‘आलोचना’ तक नहीं की. इजरायल का आरोप है कि गुटेरेस, हमास और लेबनान के हिजबुल्लाह जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई को गलत ठहरा रहे हैं. (इजरायल ने लांघी Blue-Line, भारत चिंतित)

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