अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के जेनोफोबिया वाले बयान पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खूब जमकर सुनाया है. एस जयशंकर ने जो बाइडेन पर पलटवार करते हुए जो बाइडेन की टिप्पणी को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत अपनी मेहमान-नवाजी के लिए जाना जाता है.
भारत अपने मेहमान-नवाजी के लिए मशहूर: एस जयशंकर
विदेश मंत्री ने कहा है कि “भारत अपने मेहमाननवाजी के लिए जाना जाता है. भारत हमेशा से एक अनोखा देश रहा है. दुनिया के इतिहास में भारत ऐसा देश रहा है, जिसने जरूरतमंद की हमेशा मदद की है.” सीएए का हवाला देते हुए जयशंकर ने कहा कि “भारत वो देश है जो पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों को नागरिकता देता है. हमारे पास नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) है, जो उन लोगों के लिए दरवाजे खोलता के लिए है जो दूसरे देशों में मुसीबत में है.” एस जयशंकर ने कहा, “मुझे लगता है कि हमें उन लोगों के लिए अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए जिन्हें भारत आने की जरूरत है.”
बाइडेन के अर्थव्यवस्था वाले बयान पर भी विदेश मंत्री ने कहा कि “भारत की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा नहीं रही है.” जयशंकर ने कहा कि “हमारा सबसे खुला हुआ समाज है. हम सबसे ज्यादा दुनिया को समझते. हम सबसे ज्यादा प्लूरलिस्ट सोसायटी हैं. दूसरा हमारी जीडीपी की दर 7 प्रतिशत है.” विदेश मंत्री ने कहा कि ‘आप दूसरे देशों की जीडीपी चेक करेंगे तो जवाब मिल जाएगा.” (बाइडेन भूले IMF के आंकड़े, याद रहा जेनोफोबिया)
भारत, चीन, रूस, जापान जेनोफोबिक- बाइडेन
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में भारत को “जेनोफोबिक’ बताया था. बाइडेन ने कहा था कि “भारत, चीन, रूस और जापान की जेनोफोबिक प्रकृति ही उनकी आर्थिक परेशानियों के लिए जिम्मेदार है. अमेरिका की अर्थव्यवस्था इसलिए बढ़ रही है, क्योंकि वह अपनी धरती पर आप्रवासियों का स्वागत करता है.” बाइडन ने अमेरिकी मेहमाननवाजी और जेनोफोबिक वाला बयान राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के लिए वॉशिंगटन में फंड रेजिंग कार्यक्रम के दौरान दिया था. बाइडन ने कहा कि “रूस और चीन के साथ जापान की भी अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकती है, अगर ये भी अपनी धरती पर अप्रवासियों का स्वागत करने लगे.”
हालांकि, हकीकत ये है कि भारत, चीन और यहां तक की रुस की विकास दर भी अमेरिकी से ज्यादा है.
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