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आफ्टर यू जय, भारत का कायल अमेरिका

Jaishankar along with Blinken and German Foreign Minister Annalena Baerbock.

भारत के संबंध अगर आज अमेरिका से लगातार मजबूत हो रहे हैं और दूसरी तरफ रुस से तेल भी खरीद रहा है तो किसी को इससे कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. क्योंकि आपसी संबंधों में एक से ज्यादा विकल्प अच्छा होता है. ये मानना है देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर का.

शनिवार को जर्मनी में म्युनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस (एमसीसी) को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं है कि भारत बिना किसी भावुकता के दूसरे देशों (जैसे रुस) से लेन देन करता है. लेकिन ऐसा करते हुए हर देश को अपने लोगों के विकास और इतिहास को ध्यान रखना होता है. इस दौरान जयशंकर के साथ अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक भी मंच पर मौजूद थे. 

विदेश मंत्री ने दो टूक कहा कि वो जमाना अब लद गया है जब सभी देश एक ब्लॉक (अमेरिका) या दूसरे ब्लॉक (सोवियत संघ) के साथ जुड़े रहते थे. उन्होनें कहा कि मल्टीपल चॉयस से किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए बल्कि सराहना करनी चाहिए. दरअसल, जयशकंर से ये सवाल पूछा गया था कि भारत के संबंध क्योंकि अमेरिका से बेहतर हो रहे हैं तो क्या भारत कुछ भी कर सकता है. क्या भारत ने नॉन-एलाइनमेंट (गुटनिरपेक्ष) की जगह अब आन-एलाइनमेंट की पॉलिसी अपना ली है. जयशंकर के जवाब पर पूरे हॉल ने तालियों के साथ स्वागत किया. 

चीन और रुस के साथ ब्रिक्स के सवाल पर जयशंकर ने कहा कि ये संगठन तब बना था जब जी-7 ग्रुप के जरिए पूरी दुनिया पर चुनिंदा ताकतवर देशों का प्रभाव था जबकि कुछ शक्तिशाली देशों को बाहर रखा गया था. ऐसे में मिडिल-पावर देशों ने इसे खड़ा किया और ये संगठन लगातार बढ़ता जा रहा है. ब्रिक्स में शामिल होने के लिए आज 30 से भी ज्यादा देश कतार में खड़े हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 संगठन आज जी-7 का ही विस्तार है जिसमें पांच देश ब्रिक्स के ही हैं. इस सवाल पर अमेरिकी विदेश मंत्री ने भी कहा कि हमें देशों को बहुत रिजिड-ब्लॉक्स में नहीं बांधना चाहिए. ब्लिंकन ने क्वाड संगठन का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते बेहद मजबूत हैं. (https://x.com/DrSJaishankar/status/1758866389626958261?s=20)

दरअसल, एमसीसी में पश्चिमी देश रुस के यूक्रेन के खिलाफ जंग की निंदा कर रहे थे. क्योंकि ऐतिहासिक संबंधों के चलते भारत ने कभी रुस का खुलकर विरोध नहीं किया है ऐसे में जयशंकर से कड़े सवाल पूछे जा रहे थे जिसका विदेश मंत्री ने बेहद सहजता से जवाब दिया. खुद ब्लिंकन ने जयशंकर के पक्ष से सहमति जताई. 

जर्मनी की विदेश मंत्री ने भारत और साउथ अफ्रीका जैसे देशों का हवाला देते हुए कहा कि हम इतिहास को तो नहीं बदल सकते हैं लेकिन भविष्य को सभी देश मिलकर बेहतर बना सकते हैं. जर्मनी की विदेश मंत्री ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि भारत और साउथ अफ्रीका जैसे देश यूरोप से लगातार सवाल खड़े करते हैं कि जब ऐसे देश मुश्किल में थे तो पश्चिमी देश कभी भी उनकी सहायता के लिए सामने नहीं आए. लेकिन आज जब रुस से यूरोपीय देशों को डर सता रहा है तो वे भारत जैसे देशों से मदद की अपेक्षा रख रहे हैं. 

इजरायल-हमास युद्ध पर भी जयशंकर ने कहा कि वे 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए आतंकी हमले की भर्त्सना करते हैं और उसके लिए इजरायल के बदले को भी ठीक ठहराते हैं लेकिन इस दौरान आम लोगों के हताहत होने और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों को मानना चाहिए. उन्होंने कहा ये भी जरूरी है कि हमास ने जितने भी इजरायली नागरिकों को बंधक बनाया है उन्हें तुरंत रिहा कर देना चाहिए. 

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